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Showing posts from March, 2020

कोरोना से मुक्ति - चित्रकार अजय मिश्रा की अभिव्यक्ति

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अजय मिश्रा राज्य के युवा चित्रकार अजय मिश्रा ने "कोरोना वाइरस" जैसी महामारी से लड़ने और सुरक्षित रहने का संदेश कैनवास पर अपनी अभियक्ति को चित्रित कर देने का प्रयास किया। मिश्रा ने स्वयं देशवासियो से अपील की है कि "इस समय समस्त भारत के नागरिकों को एकजुट होकर गांधीवादी सोच के साथ कार्य करना पड़ेगा।  सन 2000 में राजस्थान स्कूल ऑफ आर्ट्स से एप्लायड आर्ट में बी.एफ.ए. तथा 2002 में राजस्थान विश्वविद्यालय से एम.एफ.ए कर वर्तमान में टोंक जिले में केन्द्रीय विद्यालय में कला शिक्षक के रूप में कार्यरत है। कोरोना से आज़ादी की जंग चर्चा के दौरान उन्होंने कहा कि "ऐसे विकट समय में हिंसा, कालाबजारी एवं अफवाओं पर ध्यान ना देकर, सभी प्रदेशवासियों को अपने आस-पास के गरीब लोगों की मदद के लिये आगे आना चाहिये  और व्यक्तिगत ज़िमेदारी निभाते हुए बस घर में रहते हुए सारे कार्य करने का प्रयास करना होगा।  प्रथम चित्र में चित्रकार अजय मिश्रा ने राष्ट्रपिता महात्मा गांधी के चित्र को कोरोना मास्क पहने हुए चित्रित किया हैं और कोरोना से लड़ेंगे ये संदेश को दर्शाया हैं यह चित्र कैनवास ...

कोरोना वाइरस : डॉक्टरों को सलाम युवा कलाकार कुँवर कृष्णा कुंद्रा की कूची से

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जयपुर के युवा कलाकार कुँवर कृष्णा कुंद्रा ने अपनी रचनात्मक अभिव्यक्ति (जलरंग) के द्वारा #कोरोना_वायरस से बचाव का संदेश दिया।

पारंपरिक कला द्वारा करोना से सावधानी संदेश

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चित्रकार वीरेंद्र बन्नू जयपुर के वरिष्ठ पारंपरिक चित्रकार वीरेंद्र बन्नू द्वारा चित्रित तस्वीर में विश्व मे फैल रही महामारी covid-19 से से सावधानी बरतने हेतु बनाया है। चित्रकार द्वारा बनाया चित्र पारंपरिक पर्शियन शैली का फिगर ईरान में हुए विनाश के बारे में सावधान करता है। चित्र में दर्शाया गया कि सावधानीपूर्वक बचाव में ही सुरक्षा है जिससे स्वस्थ रहा जा सकता है तथा अन्य लोगो में भी इसके लिए जागरुकता लायी जा सकती है। जयपुर के पारंपरिक चित्रकार वीरेंद्र बन्नू सातवीं पीढ़ी के चित्रकार है। आपके पिता श्री वेदपाल शर्मा "बन्नू जी" भी विश्व स्तरीय चित्रकार थे। संदीप सुमहेन्द्र

मूर्तिकला की पुरातन से आधुनिकतम प्रवृत्तियों के साक्षी, कला पण्डित, मूर्तिकार : लल्लू नारायण शर्मा

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कला पंडित लल्लू नारायण शर्मा   जयपुर ।  मूर्तिकला के लिये विश्‍व प्रसिद्ध है। गुलाबी और सफेद संगमरमर की मूर्तियाँ जयपुर की विशिष्टता हैं। जयपुर का मूर्ति मोहल्ला अपने आप में दर्शनीय स्थल हैं। पत्थरों में टांकी-हथौड़ी की इनकार से वातावरण में कर्ण-प्रिय संगीत घोलते हुए प्राण प्रतिष्ठा करते हजारों कलाकार अपनी साधना में निमग्न केवल कला ही के लिये समर्पित है। न जाने कितने मूर्ति शिल्पी संजोये हैं गुलाबी नगरी जयपुर ने अपने आगोश में। मूर्तिकला के क्षेत्र में कलाकारों की संख्या निश्‍चित रूप से ज्यादा है। इनके नाम ढूंढ पाना तो इसलिए कठिन है कि मूर्ति शिल्प पर रचनाकार हस्ताक्षर करता ही कहां है। छैनी , हथौड़ी और शिला खण्डों से अपूर्व तादाम्य स्थापित कर उत्कीर्णन के इतिहास में रत्न जोड़कर इस परम्परा को समृद्ध किया है कला पंडित लल्लू नारायण शर्मा ने। धवल केशराशि , धवल धोती कुर्ता , चेहरे पर मृदु मुस्कान लिये अनन्य बहुमुखी प्रतिभा के धनी विख्‍यात शिल्पी लल्लूनारायण शर्मा का जन्म 24 जुलाई 1924 को जयपुर में मूर्तिकारों के परिवार में हुआ। इनके पुत्र राजस्थान स्कूल ऑफ़ आर्टस के मूर्त...