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Showing posts from May, 2020

यादें : राजस्थान की छतरियों में बने भित्ति चित्रों के संग्रह के संदर्भ में।

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कलावृत्त (कला क्षेत्र में अग्रणी संस्था) के संस्थापक , मेरे पिता एवं गुरु डॉ महेंद्र कुमार शर्मा,  सुमहेन्द्र इस चित्र में  श्री कार्ल   खंडालावाला,   तत्कालीन चेयरमैन,  राष्ट्रीय ललित कला अकादेमी , नई दिल्ली के तत्कालीन चेयरमैन एवं ललित कला एंशिएंट ( Lalit Kala Ancient) पत्रिका के संपादक के साथ। राष्ट्रीय ललित कला अकादमी ने उन्हें राजस्थान की छतरियों में बनी पेंटिंग्स के संग्रह करने का कार्य दिया था इसी कार्य की प्रगति को देखने के लिए श्री कार्ल खंडालावाला 3 दिवसीय यात्रा पर जयपुर पधारे थे। इस प्रोजेक्ट राजस्थान की छतरियां ( Cenetaphs of Rajasthan) पर काम चल रहा था , जिसके तहत पुरानी सभी छतरियों को देखकर उनमें बनी कुछ अच्छी पेन्टिंग्स की पूर्ण विवरण के साथ अनुकृति बना कर राष्ट्रीय ललित कला अकादमी को उनके संग्रह के लिए बनाकर देनी थी। इस कार्य के लिए जयपुर के लगभग सभी पुराने शमशानों में जा-जा कर डॉक्यूमेंटेशन एवं पेंटिंग की फोटोग्राफ कर पूरा विवरण अकादमी को दिया गया और फिर राष्ट्रीय ललित कला अकादमी द्वारा चिन्हित पेंटिंग्स की मौके पर जाकर उन ...

यूनानी साहित्य में रामसेस।। को ‘ओजीमेन्डियास’ कहा गया है।

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कला एवं साहित्य -  (भाग-०२) Ozymandias   प्राचीन मिश्र की कला मनुष्य के मृत्यु के बाद के जीवन के इर्द गिर्द घूमती है। मृत्यु के बाद भी ‘ का ’ जीवित रहती है इसी सोच के कारण विशाल आकार के पिरामिडों का निर्माण कर उसमें ‘ ममी ’ को सुरक्षित रखा जाता था। विशालता एवं स्थायित्व कला का मुख्य ध्येय था जो कठोर पत्थर में बनाई गयी मूर्तियों में परिलक्षित होता है।   प्राचीन मिश्र के नव साम्राज्य काल में महान शक्तिशाली ‘ फराहो ’ हुआ था- रामसेस॥ अपनी विजयों से एक विशाल साम्राज्य के निर्माण के साथ-साथ विशाल मंदिरों एवं मूर्तियों का निर्माण उस काल में हुआ। मोजेज का मिश्र से पलायन भी संभवत: उसी काल में हुआ था।   यूनानी साहित्य में इसी रामसेस।। को ‘ ओजीमेन्डियास ’ कहा गया है। थीब्ज के उसके मोर्चरी मंदिर से उसकी एक खंडित मूर्ति ब्रिटिश म्यूज़ियम ले ज़ायी गई थी इसी पर ब्रिटिश रोमांटिक कवि ‘ शैली ’ ने Ozymandias कविता लिखी।   कवि एक यात्री के माध्यम से फराहो की मूर्ति का वर्णन करता है साथ ही यूनानी इतिहासकार डायोडोरस सिक्यूलस के उस उध्दरण को कविता में...

कलाकृति के निर्माण में विषय का चयन करते समय साहित्य हमेशा केंद्र में बना रहा विशेषत: धार्मिक साहित्य

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कला एवं साहित्य  (भाग-०१) कलाकृति के निर्माण में विषय का चयन करते समय साहित्य हमेशा केंद्र में बना रहा विशेषत: धार्मिक साहित्य  किंतु एक साहित्यकार की नज़रें कलाकृति में क्या देखती है वह कलाकृति में क्या खोज रहा है । कला एवं साहित्य इन्ही सवालों से जुड़ी उत्सुकताओ एवं संभावनाओं को उजागर करने काप्रयास है मिट्टी के पात्रों पर काली लाल आकृति तकनीक से किया गया चित्रण यूनानी आर्काइक कला की पहचान थी   इन्हीं ही उत्कृष्ट कलाकृतियों को केंद्र में रखकर रोमांटिक कवि जॉन कीट्स ने Ode on a Grecian urn की रचना की। कवि यूनानी पात्र के समक्ष हतप्रभ खड़ा हुआ अपनी कल्पना शक्ति से देख रहा कि एक स्थिर पात्र पर घटनाए किस प्रकार घटित हो रही है। प्रेमी अपनी प्रेमिका को पकड़ने के लिए आगे बढ़ रहा है , कुछ युवक तेज़ी से भाग रही युवतियों का पीछा कर रहे है , वाद्ययंत्रों से बजता हुआ संगीत उसे सुनाई देता है।वह ईर्ष्याकर रहा है , उन मनुष्यों से जिनका प्रेम और आनंद हज़ारों बरसों का समय बीत जाने पर भी स्थिर है , किन्तु यहाँ कवि दुविधा में भी है , वह देखता है । जो अमर है वह...