'धर्मयुग' में सुमहेन्द्र : अखिलेश निगम

' धर्मयुग ' साप्ताहिक में राजनीति , समसामयिक विषय , फिल्म के साथ-साथ साहित्य और ललित कलाओं पर भी काफी कुछ प्रकाशित होता रहता था। इसीलिए उसके विभिन्न क्षेत्रों के अच्छे-खासे पाठक हुआ करते थे , और उन्हें उसके अंक की प्रतीक्षा रहती थी। कला-क्षेत्र की विभिन्न विधाओं के चर्चित कलाकारों की किसी एक कृति के साथ उस कलाकार पर मित्र मनमोहन सरल जी की टिप्पणी भी प्रकाशित होती थी। इस श्रृंखला का प्रकाशन वर्ष 1973-74 से प्रारंभ हुआ था। प्रसंगवश बताता चलूं कि मनमोहन जी की कला और फिल्म समीक्षाएं चर्चित रही हैं। मुंबई में बस गये मनमोहन जी मूलत: उत्तर प्रदेश के ही निवासी हैं। उक्त चर्चित श्रृंखला में उस समय तेजी से उभर रहे जयपुर के कलाकार महेंद्र कुमार शर्मा को भी स्थान मिला था अर्थात ' सुमहेन्द्र ' को। यह वह समय था जब सुमहेन्द्र को राष्ट्रीय ललित कला अकादमी ' राष्ट्रीय पुरस्कार ' (1972) से सम्मानित कर चुकी थी , और वे मुंबई से अपनी एकल प्रदर्शन ( 1974) करके जयपुर वापस लौटे थे। प्रकाशित चित्र उनकी ' महाराणा प्रताप ' श्रंखला की एक कृति है , जिसमें प्रताप के...