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Showing posts from December, 2022

भारतीय चित्रकला का इतिहास पुस्तक समीक्षा : योगेन्द्र कुमार पुरोहित

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भारतीय चित्रकला का इतिहास पुस्तक समीक्षा  चित्रकार मित्रों एवं कला विद्यार्थियों इस सप्ताह मुझे डॉ. राकेश गोस्वामी (आर्ट हिस्टोरियन) की पुस्तक "भारतीय चित्रकला का इतिहास" (प्रागेतिहासिक काल से बंगाल स्कूल तक) की प्रति प्रकाशक गोस्वामी पब्लिकेशन एंड डिस्ट्रीब्यूटर, 14 कटरा रोड, प्रयागराज- 211002 द्वारा प्राप्त हुई, जिसकी समीक्षा के लिए मुझे भारतीय डाक के माध्यम से भेजी गई। जिसका मैंने एक कला विद्यार्थी की भांति गहनता से अध्ययन किया और पाया की पुस्तक आसान भाषा में कला विद्यार्थी शोधार्थियों के बौद्धिक स्तर को ध्यान में रख कर लिखी गयी है। पुस्तक के लेखक डॉ. राकेश गोस्वामी ने भारतीय कला के इतिहास को अपनी पेनी नजर से खंगालते हुए पुनः नए सिरे से शुरुवात की है जो कला अध्ययन के लिए बहुत जरुरी और उपयोगी है। भारतीय चित्रकला के इतिहास को डॉ राकेश गोस्वामी ने करीब 400 पृष्ठ की इस पुस्तक में पूर्ण तथ्यों और घटनाओं के साथ भारतीय चित्रकला और उसके चित्रकारों को उल्लेखित किया है। पुस्तक के अध्ययन से ज्ञात हुआ की अजंता, बाघ, सिंघिरिया आदि चित्र गुफाओं का लेखक ने स्वयं वहाँ जाकर गहन अवलोकन ...

मथेरण कला के तपस्वि श्री मूलचंद महात्मा बीकानेर : योगेंद्र कुमार पुरोहित

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इतिहास में जहाँ एक तरफ अजन्ता की कला बिखर रही थी वही दूसरी और बीकानेर रियासत की नीव रखी जाने लगी थी! दोनों अलग अलग बात है इतिहास में, फिर भी इनमे एक समानता है और वो है कला! अजंता जिन कारणों से विलुप्त होने को थी वही उसकी कई उपशैलियाँ किसी अन्य कारणों से फल फूलने लगी थी! और इसी क्रम में बीकानेर रियासत में भी अजंता की उपशैली का विकास चित्रकला के रूप में हुआ था! जिसे मथेरण कला कहा गया! बीकानेर रियासत में मथेरण कला मेवाड़, मारवाड़, से होते हुए पहुंची और इसे आश्रय मिला! मथेरण नाम से पहले ये अजंता की ही शैली रही होगी, जिसका उदेश्य मात्र बौद्ध और जैन धर्म का प्रचार रहा होगा पर बीकानेर रियासत में आते ही ये उपशैली मथेरण एक मिश्रित चित्र शैली के रूप में सामने आयी! एक विशेष जाति के परिवार के कारीगर जिन्हे मथेरण जाति कहा जाता है! उन्होंने बीकानेर के राज महलों, मंदिरों और धनाड्य वर्ग के प्रासादों को अपनी चित्रशैली से अलंकृत किया! मथेरण चित्र के विषय अब अजंता की भांति नहीं थे न ही उनमे बुद्ध के जीवन की जातक कथाएं थी! मथेरण कलाकारों के चित्रों का विषय अब हिन्दू देवी देवताओं की जातक कथा...

Gurmeet Goldie - Art is Putting mind in Creation to associate with the People : Jang S. Verman

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“Art field has given a lot, taught a lot, given peace of mind, first of all, given joy in our life.. You are taught to be restrained in your life, whatever is in the field of this art, the artists are blessed because when an artist creates any art work, he dissolves himself in it, gets lost in it. He diverts his attention from the world, to only complete the journey of art. He lives, realizes, goes to meditation and in himself, the enjoyment becomes different. In every breath, this is just how he makes his art? How to get it out? He gets immersed in this whole process and by the time he reaches the final stage, he is completely drowned. Whatever a person likes, he does the same, but the art perfectly combines the artist, putting his mind fully in the art work to associate his mind with the people. The artist does the work of connecting with each other. When we watch a drama or a movie, we live every scene we watch, that is, we go into it, we laugh and weep. It’s the hard work of many p...