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Showing posts from May, 2024

आत्मचेतना से सौंदर्य एवं संस्कृति के सजीव चित्रण की सिद्धहस्त चित्रकार विनीता शर्मा

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कला मूर्त हो या अमूर्त सौंदर्यात्मक अभिव्यक्ति ने चित्रकार के काल्पनिक विचार, रेखांकन की लय और भावों का गहराई से संप्रेषण ही चित्रित चित्र मे चित्रकार की अभिव्यक्ति को सार्थक और सजीव बनती है।  चित्र में भाव की प्रधानता और लयात्मकता रेखांकन को दर्शाने के लिए साधना करनी पड़ती है वर्षो तक, तब कहीं जाकर चित्रकार उस स्तर को छू पाता है कि उसको प्रतिष्ठित चित्रकार के रूप में देखा जाएं । गुलाबी नगरी जयपुर की चित्रकार "विनीता शर्मा" भी एक ऐसी ही चित्रकार है जिन्होंने अपनी हर मुश्किल को किनारा दिखते हुए हर परिस्थिति में सृजनरत रहते हुए आज भी निरंतर चित्रण कर रही है। यूं तो हर क्षेत्र में उत्तम कार्य करने के लिए स्वास्थ्य बहुत बड़ा सहायक होता है, लेकिन कुछ लोग अपने दृढ़ संकल्प से इन समस्याओं को नियंत्रित कर अपना कार्य करते है तो वह निश्चित ही कुछ अलग रूप लेते है। चित्रकार विनीता शर्मा से मेरा परिचय 2018 में हुआ, पारिवारिक पृष्ठभूमि भी इसका कारण बनी साथ ही कलावृत्त की गतिविधियां भी। इसके उपरांत कोरोना काल में कलावृत्त द्वारा आयोजित "समसामयिक लघु चित्रण की ऑनलाइन कार्यशाला में भाग ल...

ठाकुर संग्रामसिंह 'राष्ट्रवर' द्वारा श्रीराम के जीवन पर रचित अनूठे महाकाव्य "दाशरथि" का लोकार्पण : संदीप सुमहेन्द्र

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"दाशरथि "   ■  राम के जीवन चरित पर  अनूठा महाकाव्य  ■ आसान नहीं है, पूर्वजों के अधूरे कार्यों को 45-50 वर्षों उपरांत नई पीढ़ी में कोई ऐसा संस्कारी जन्मे जो अपने पूर्वजों द्वारा किए गए कार्यों की महत्ता के साथ अपनी सामाजिक जिम्मेदारी को समझे और उसे आगे बढ़ाने में जी-जान लगा के जुटे और पूरा करें। राजस्थान स्कूल ऑफ आर्ट में मेरे साथ एक वर्ष के अंतराल में चित्रकला विषय में मुझसे एक वर्ष पूर्व अपना डिप्लोमा पूर्ण कर दूरदर्शन केंद्र में अपनी सेवाएं देते हुए कुछ समय पूर्व ही सेवानिवृत्त होने के उपरांत मित्र बृजराज राजावत ने यह अकल्पनीय कार्य करते हुए इस महाकाव्य के चित्र भी स्वयं की कलम से चित्रित कर अपने नानोसा के स्वप्न को पूरा किया। तत्कालीन किशनगढ़ स्टेट (वर्तमान में केकड़ी ज़िले) के सापणदा निवासी ठाकुर संग्रामसिंह 'राष्ट्रवर' ने छोटे-से गाँव में रहकर लगभग आधी सदी पूर्व रामकथा पर महाकाव्य 'दाशरथि' का सृजन आरंभ किया। ठाकुर साहब तो 30 वर्ष पूर्व परलोक सिधार गए, उनके रहते हुए यह महाकाव्य प्रकाशित नहीं हो पाया था। बरसों बाद, अपने नानोसा की प्रेरणा से चित्रकार बृजराज र...

बीकानेर के 20 चित्रकारों ने "स्थापना दिवस" पर अपनी कलात्मक अभिव्यक्ति को चित्रित किया : संदीप सुमहेन्द्र

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बीकानेर के चित्रकार योगेन्द्र पुरोहित से मुझे  आज   इस कला शिविर के बारे में जानकारी मिली। चर्चा करते हुए योगेन्द्र ने बताया कि     "बीकानेर के स्थापना दिवस"  के अवसर पर आयोजित इस कार्यशाला में लोक संस्कृति की संगरक्षक समिति के संयोजक श्री कृष्ण चंद्र पुरोहित ने मुझे भी बतौर चित्रकार आमंत्रित किया । नगर थरपणा उछब समिति बीकानेर के स्थापना दिवस एवं अक्षय तृतीय (आखातीज) के उपलक्ष में प्रतिवर्ष लोक सांस्कृतिक समारोह का आयोजन तीन से पांच दिनों के लिए वर्षो से आयोजित करती है। इसी क्रम में इस वर्ष भी बीकानेर के स्थापना दिवस के अवसर पर यह समिति बीकानेर की लोक संस्कृति के साथ चित्रकारों के चित्रों की चित्र प्रदर्शनी भी आयोजित करने जा रही है आगामी 3 से 5 मई, 2024 को नालन्दा पब्लिक स्कूल में यह प्रदर्शनी की जा रही है।  समारोह से पूर्व संयोजक श्री कृष्ण चंद्र पुरोहित और चित्रकार मुकेश जोशी सांचिहर के संयोजन में पांच दिवसीय चित्रकारी की कार्यशाला का आयोजन भी रखा गया है। जिसमे बीकानेर की लोक सांस्कृति और स्थापना दिवस का प्रतिक चंदा (गोल आकार की उड़ने वाली वास्तविक पत...