आत्मचेतना से सौंदर्य एवं संस्कृति के सजीव चित्रण की सिद्धहस्त चित्रकार विनीता शर्मा

कला मूर्त हो या अमूर्त सौंदर्यात्मक अभिव्यक्ति ने चित्रकार के काल्पनिक विचार, रेखांकन की लय और भावों का गहराई से संप्रेषण ही चित्रित चित्र मे चित्रकार की अभिव्यक्ति को सार्थक और सजीव बनती है। चित्र में भाव की प्रधानता और लयात्मकता रेखांकन को दर्शाने के लिए साधना करनी पड़ती है वर्षो तक, तब कहीं जाकर चित्रकार उस स्तर को छू पाता है कि उसको प्रतिष्ठित चित्रकार के रूप में देखा जाएं । गुलाबी नगरी जयपुर की चित्रकार "विनीता शर्मा" भी एक ऐसी ही चित्रकार है जिन्होंने अपनी हर मुश्किल को किनारा दिखते हुए हर परिस्थिति में सृजनरत रहते हुए आज भी निरंतर चित्रण कर रही है। यूं तो हर क्षेत्र में उत्तम कार्य करने के लिए स्वास्थ्य बहुत बड़ा सहायक होता है, लेकिन कुछ लोग अपने दृढ़ संकल्प से इन समस्याओं को नियंत्रित कर अपना कार्य करते है तो वह निश्चित ही कुछ अलग रूप लेते है। चित्रकार विनीता शर्मा से मेरा परिचय 2018 में हुआ, पारिवारिक पृष्ठभूमि भी इसका कारण बनी साथ ही कलावृत्त की गतिविधियां भी। इसके उपरांत कोरोना काल में कलावृत्त द्वारा आयोजित "समसामयिक लघु चित्रण की ऑनलाइन कार्यशाला में भाग ल...