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Showing posts from July, 2024

लोककला शैलीयों पर आधारित चित्रों की प्रदर्शनी : संदीप सुमहेन्द्र

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"जवाहर कला केन्द्र में अतिशय कला संस्था की और से 28 व 29 जुलाई को 50 से अधिक महिला चित्रकारों द्वारा चित्रित चित्रों की दो दिवसीय प्रदर्शनी, सुरेख कला दीर्घा में आयोजित हुई।" संस्था की अध्यक्षा डॉ. रीटा प्रताप से बात हुई तो उन्होंने बताया कि मुख्य रूप से राजस्थान की लोक कलाओं पर आधारित चित्रण कर राजस्थान की पहचान के साथ कला एवं संस्कृति को बढ़ावा देने के उद्देश्य से इस प्रदर्शनी का आयोजन किया गया है। प्रदर्शनी का विधिवत शुभारंभ कलाविद प्रो. चिन्मय मेहता एवं ललित कला अकादमी के पूर्व अध्यक्ष श्री लक्ष्मण व्यास द्वारा किया गया। चित्रकारों ने अपने चित्रों द्वारा राजस्थान की संस्कृति को बहुत सुंदर और आकर्षक चटकीले रंगो से चित्रित किया। अधिकतर चित्रकारों ने मांडणा चित्र शैली को आदर बनाकर अपने चित्रों को चित्रित किया। कुछ चित्रकारों ने इन्हीं लोक कलाओं की शैली में कंटेम्प्रेरी चित्रण भी किया। लाख चित्रकार द्रौपदी मीणा ने अपनी पेंटिंग के बारे में कहा कि मैं लाख माध्यम को प्रयोग करते हुए हर बार अपनी पेंटिंग्स में नये प्रयोग करने कि कोशिश करती हूं और लोक कला शैलीयां मुझे बहुत पसंद है। ...

राजस्थान स्कूल ऑफ आर्ट में स्तरीय सुधार हेतु कला शिक्षकों, पूर्व छात्रों, वरिष्ठ चित्रकारों से चर्चा एक सार्थक पहल : संदीप सुमहेन्द्र

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तीन जुलाई 2024 को राजस्थान स्कूल ऑफ आर्ट में वर्तमान प्राचार्य डॉ. अनिल कुमार खंडेलवाल जी ने संस्था के "हितधारकों" की स्कीम के तहत स्कूल ऑफ आर्ट के पूर्व छात्रों, सेवानिवृत्त शिक्षकों, कलाकारों एवं शिक्षा आयुक्तालय के अधिकारियों को मीटिंग के लिए आमंत्रित किया। इस मीटिंग का मुख्य उद्देश्य था कि राज्य की सबसे पुरानी और प्रतिष्ठित कला संस्था "राजस्थान स्कूल ऑफ आर्ट के वर्तमान स्तर से उभारने के लिए क्या किया जाना चाहिए उसके लिए सभी से उनके सुझाव के साथ आपेक्षित सहयोग देने पर खुलकर चर्चा हुई। इस चर्चा के मुख्य बिंदु : आर्ट स्कूल के स्तर को पुनः राष्ट्रीय एवं अन्तर्राष्ट्रीय स्तर पर ले जाने हेतु क्या किया जाएं ? छात्रों को प्रदर्शनियों, कला शिविरों में अधिक प्रतिभागिता कैसे मिले ? इंतरनशिप के लिए तथा अन्य कलाओं के बारे में तकनीकी एवं व्यावहारिक जानकारी अधिक से अधिक कैसे प्राप्त हो ? पूर्व छात्रों द्वारा वर्तमान छात्रों को उनसे आपेक्षित सहयोग कैसे मिले जिससे वें कला जगत में निरंतर अपनी उपस्तिथि बनाएं रखें ? इत्यादि समस्याओं के निराकरण पर खुलकर बातें हुई। सर्वप्रथम इसके लिए सभी ...