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Showing posts from January, 2020

आध्यात्मिक सृजनकर्ता : हिम्मत शाह जी से मेरी यादगार मुलाकात

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पांच वर्ष पूर्व 2015 में कलावृत्त संस्था एवं राजस्थान विश्वविद्यालय के विजुवल आर्ट डिपार्टमेंट के सयुक्त तत्वाधान से आयोजित "नेशनल स्कल्पचर वर्कशॉप" के समापन के अवसर पर विशिष्ट अतिथि के रूप में पधारे वरिष्ठ कलाकार श्री हिम्मत शाह जी से दुबारा मिलने की मेरी स्वयं की बहुत समय से इच्छा थी। मन में था कि कभी इस विशिष्ट मूर्तिकार एवं चित्रकार से व्यक्तिगत रूप से मिलकर कला के बारे में चर्चा कर अपने ज्ञान में वृद्धि की जाये। कभी ऐसा सुअवसर प्राप्त हो मैं श्री हिम्मत शाह जी के पास बैठकर उनसे बातचीत करके कला के कुछ रहस्यों को जानूं, खासकर मूर्तिकला के बारे में। और आखिरकार यह शुभ अवसर मुझे प्राप्त हुआ 17 जनवरी 2020 को, मुलाकात हुई स्वयं उनके अपने निवास पर, जहां उनकी कला के एक से बढ़कर एक उनके कलात्मक विचारो से सृजित मूर्तिशिल्प देखने के साथ ही उनकी कला की सृजनात्मक अभिव्यक्ति के बारे में खुद उन्ही के साथ चर्चा करते गए देखने और उन्हें समझने का अवसर मिला । चर्चा के दौरान उन्होंने बताया कि कोई भी कलाकार अपने आप में पूर्ण नहीं होता है क्योकि जो उसके विचारों में आता है उसे अभिव्यक...

तेलंगाना आर्ट : डॉ स्नेहलता प्रसाद का राजस्थान विश्वविद्यालय में व्याख्यान

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जयपुर।   राजस्थान विश्वविद्यालय के फाइन आर्ट डिपार्टमेंट में हैदराबाद की कलाकार डॉ स्नेहलता प्रसाद ने तेलंगाना आर्ट पर विस्तृत व्याख्यान दे छात्र-छात्रों को इस कला के बारे में विस्तार पूर्वक जानकारी दी। डॉ स्नेहा ने बताया कि तेलंगाना आर्ट के बारे में राजस्थान के कला छात्रों को अवगत करवाया जाये। तेलंगाना आर्ट का इतिहास 4000 वर्षो पुराना है जिसे हम वर्तमान में पांच भागो में देखते है :- 1. निर्मल पेंटिंग 2. डेक्कन पेंटिंग 3. विजयनगर पेंटिंग  4. चिरियाल पेंटिंग एवं मुगल पेंटिंग । वर्तमान में सिर्फ 8-9 परिवार ही इस कला की परंपरा को आगे बढ़ा रहे है जो कि पूर्ण रूप से प्राक्रतिक रंगों का इस्तेमाल करते है तथा ये सभी रंग वे स्वयं अपने हाथों से बनते है। सर्व प्रथम ग्राउंड के लिए चाक पाउडर मे गोंद, चावल का पानी (मांड) व कई अन्य चीजें मिलाकर उसे तैयार करते है तथा अन्य रंगों में पीला रंग हल्दी से, हरे रंग को एक खास पेड़ के पत्तो से और काले रंग के लिए काजल और कोयले के पाऊडर से बनते है। ज्यादातर लाल, हरा, पीला और कला रंग ही पेंटिंग्स में इस्तेमाल करते है। 1950 में तत्क...