यादें : राजस्थान की छतरियों में बने भित्ति चित्रों के संग्रह के संदर्भ में।

कलावृत्त (कला क्षेत्र में अग्रणी संस्था) के संस्थापक, मेरे पिता एवं गुरु डॉ महेंद्र कुमार शर्मा, सुमहेन्द्र इस चित्र में श्री कार्ल खंडालावाला, तत्कालीन चेयरमैन, राष्ट्रीय ललित कला अकादेमी, नई दिल्ली के तत्कालीन चेयरमैन एवं ललित कला एंशिएंट (Lalit Kala Ancient) पत्रिका के संपादक के साथ।

राष्ट्रीय ललित कला अकादमी ने उन्हें राजस्थान की छतरियों में बनी पेंटिंग्स के संग्रह करने का कार्य दिया था इसी कार्य की प्रगति को देखने के लिए श्री कार्ल खंडालावाला 3 दिवसीय यात्रा पर जयपुर पधारे थे।

इस प्रोजेक्ट राजस्थान की छतरियां (Cenetaphs of Rajasthan) पर काम चल रहा था, जिसके तहत पुरानी सभी छतरियों को देखकर उनमें बनी कुछ अच्छी पेन्टिंग्स की पूर्ण विवरण के साथ अनुकृति बना कर राष्ट्रीय ललित कला अकादमी को उनके संग्रह के लिए बनाकर देनी थी।

इस कार्य के लिए जयपुर के लगभग सभी पुराने शमशानों में जा-जा कर डॉक्यूमेंटेशन एवं पेंटिंग की फोटोग्राफ कर पूरा विवरण अकादमी को दिया गया और फिर राष्ट्रीय ललित कला अकादमी द्वारा चिन्हित पेंटिंग्स की मौके पर जाकर उन पेंटिंग्स की अनुकृति बनाकर अकादमी को दी गई थी।

चार महीने में ढूंढाड़ क्षेत्र की सभी छतरियों का कार्य पूर्ण होने को ही था कि तभी अकादमी द्वारा आगे के लिए इस कार्य को रोक देने के लिए कह दिया था।

मैं इस कार्य मे हर समय पिताजी के साथ उनके सहायक के रूप में कार्य कर रहा था। दो स्थानों आमेर में सागर की और जाते समय पहाड़ी के ऊपर स्थित कायस्थों की बगीची और आमेर के ही पुराने शमशान जो वर्तमान में दिल्ली बाई-पास स्थित है, वहाँ पर कार्य करते मेरे कुछ ऐसे खास अनुभव है जो याद आने पर आज भी किसी फिल्म के दृश्य की तरह मेरी आँखों के सामने घूम जाते है।

खैर उनके बारे में आपको अगले भाग में बताऊंगा।


@संदीप सुमहेन्द्र






Comments

  1. सुनहरी यादें

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  2. सुमहेन्द्र जी ने इस तरह के अनेकानेक कार्य राष्ट्रीय ललित कला अकादेमी, नई दिल्ली के लिए किए थे और उनकी मुक्त कंठ से प्रशंसा भी हुई थी परंतु इस परियोजना के कार्य को अकादेमी ने बीच में ही क्यों रोक दिया था इसे अकादेमी को बताना चाहिए, और अगर यह जानकारी नहीं उपलब्ध है तो अकादेमी से पूछा जाना चाहिए.
    इसमें संदीप के अनुभव क्या हैं...इसकी प्रतीक्षा है.

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    1. अखिलेश अंकल मैं जल्दी ही वो भी लिख कर आपको अवगत करवाऊंगा। इसके लिए मैं दोनो स्थानों पर जाकर आऊंगा।
      🙏🌹

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  3. बहुत ही अछि जानकारी दी गुरू जी की कला सृजन व उनको सहेजने की ,इतने अच्छे कार्य को बीच ने क्यो रोका ये जानकारी भी सबके सामने आनी चाहिए

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  4. बहुत बढ़िया जानकारी दी है आपने

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  5. अच्छी जानकारी...आगे क्या हुआ? उत्सुकता है

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    1. Tel you as early as possible, may be in 3-4 days. Thanks

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  6. बेहतरीन पोस्ट है

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  7. ललित कला अकादमी और कला प्रेमियों का दुर्भाग्य है के इस काम को पूरा नहीं होने दिया गया, अगर पूरा होता है तो यह एक धरोहर होती, धीरे-धीरे सारे भित्ति चित्र खत्म होते जा रहे हैं यह एक तरह से हमारे लिए धरोहर होती, यह अनु कृतियां कहीं पब्लिश होते तो आज के छात्र उनको देखकर लाभान्वित होते, मैंने स्वयं ने आदरणीय गुरु जी से लघु चित्र शैली की तकनीक और बारीकियां सीखी है, जो कि जीवन में बहुत काम आई,
    मुझे याद है जब मैं आज स्कूल में पढ़ता था उस समय बूंदी की चित्रशाला के भित्ति चित्रों की अनुकृतियां बना रहे थे कुछ अनु कृतियों को देखने का मुझे भी मौका मिला वह अनु कृतियां हूबहू वैसी ही थी जैसी चित्रशाला में चित्रित थी, आज भी वो कृतियाँ मेरे मानस पटल पर अंकित है.

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  8. ललित कला अकादमी और कला प्रेमियों का दुर्भाग्य है के इस काम को पूरा नहीं होने दिया गया, अगर पूरा होता है तो यह एक धरोहर होती, धीरे-धीरे सारे भित्ति चित्र खत्म होते जा रहे हैं यह एक तरह से हमारे लिए धरोहर होती, यह अनु कृतियां कहीं पब्लिश होते तो आज के छात्र उनको देखकर लाभान्वित होते, मैंने स्वयं ने आदरणीय गुरु जी से लघु चित्र शैली की तकनीक और बारीकियां सीखी है, जो कि जीवन में बहुत काम आई,
    मुझे याद है जब मैं आज स्कूल में पढ़ता था उस समय बूंदी की चित्रशाला के भित्ति चित्रों की अनुकृतियां बना रहे थे कुछ अनु कृतियों को देखने का मुझे भी मौका मिला वह अनु कृतियां हूबहू वैसी ही थी जैसी चित्रशाला में चित्रित थी, आज भी वो कृतियाँ मेरे मानस पटल पर अंकित है.

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  9. Nice information for the young artist...
    Nishtha

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  10. गुरुवर का कला, कला शिक्षा और कला संरक्षण के लिए बहुत ही व्यापक नजरिया था ..... जिसे मैंने उसके साथ एक लम्बे सानिध्य में महसूस किया ....

    गुरुवर को नमन !!!

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  11. निश्चित ही अगर यह कार्य पूर्ण होता तो लाखों कला प्रेमी आज लाभान्वित होते।

    कलागुरु गुरुदेव को शत शत नमन
    🙏🙏🙏

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  12. अदभुत अविस्मरणीय कार्य।
    कार्य बीच में ही क्यों रोकना पड़ा?
    देवेन्द्र सिंह बैस

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    1. Devendra ji thanks, it's a govt. project i really don't know why this project is actually store.

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  13. Good work Sundeepji. The chattris look fascinating. I had also photographed some in jaisalmer years back. You should compile this work for others to see. Best of luck.
    Ranjit

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    1. Thank you very much Ranjit ji, actually this work is done by my father in 1990-91 for National Art Adkedmi, Delhi but they stop this project. So I write about that because I also worked with him.

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  14. We are glad to knew about kalavrat....great congratulations.

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  15. शरद जी कलावृत्त संस्था की स्थापना 1975 में डॉ सुमहेन्द्र ने की थी, जयपुर की मूर्तिकला एवं मूर्तिकारों को उचित स्थान कला जगत में दिलवाने के लिए साथ ही एक त्रैमासिक कला पत्रिका का प्रकाशन भी किया जाता था। इस कला पत्रिका के 50 अंक तो मेरे पिता अपने समय मे प्रकाशित कर गए, पर अभी इसका प्रकाशन बंद है जिसे वापस शरू करने के प्रयास में हूँ।

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  16. शरद जी कलावृत्त संस्था की स्थापना 1975 में डॉ सुमहेन्द्र ने की थी, जयपुर की मूर्तिकला एवं मूर्तिकारों को उचित स्थान कला जगत में दिलवाने के लिए साथ ही एक त्रैमासिक कला पत्रिका का प्रकाशन भी किया जाता था। इस कला पत्रिका के 50 अंक तो मेरे पिता अपने समय मे प्रकाशित कर गए, पर अभी इसका प्रकाशन बंद है जिसे वापस शरू करने के प्रयास में हूँ।

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  17. बहुत सुन्दर
    कला के क्षेत्र मे इस जानकारी के लिए बहुत धन्यवाद ��

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    1. धन्यवाद .... विनीता जी 👍

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  18. Prof. M.k Sumahendra is an eminent Artist from Jaipur Rajasthan. His works are alive and living on after his Demis. His visual world needs to be reinterpreted and revisiting many times to understand him as an Artist and above all his being good human being.

    Jaspreet

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    1. Thank you Jaspreet ji, I will publish litle about his works.

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  19. smriti vishesh

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