प्रोफ़ेसर मदन लाल नगर स्मृति दिवस 27 अक्टूबर पर विशेष

दर्द छुपा था उनके चित्रों में चित्रकार मदन लाल नागर उत्तर प्रदेश के उन अग्रणी कलाकारों में रहे है , जिन्होंने समकालीन भारतीय चित्रकला में नये आयाम जोड़े हैं। यह उनकी लगन , संघर्ष और रचना-धार्मिता की कहानी भी अपने में समेटे है और अपने ' नगर ' की बिखरती प्राचीन संस्कृति का दर्द भी। इधर करीब दो दशकों से श्री नागर केवल ' नगर ' ( सिटी) शीर्षक से अपने शहर के विभिन्न रूपों को अपने चित्र-फलक पर उतारते रहे थे। उनका यह ' शहर ' कोई और नही वही तहजीब का जाना-माना ' लखनऊ ' था - जहां वे जन्में ( 1923), पले कला की शिक्षा पाई और दी भी। उनके जेहन से इन शहरों की वे गालियां , जिनमें उनका बचपन बीता। जिसे उन्होंने अपने कदमों से नापा और मकान की छत पर चढ़ कर देखा भी था , बिसर ना सका था। सुबह , दोपहर , शाम और न जाने कितने रूपों में देखा था उसे उन्होंने , और यह उनके चित्रों में मुखर होता रहा था एक ' मिथक ' की तरह। पर साथ ही उनमें एक दर्द भी था - ' लखनऊवीं तहजीब से कहीं बहुत गहरा लगाव था। ' देहरी का मोह ' भी शायद ऐसा ही होता है। उसके बदलते रूप को उनका ' कला...