सुमहेन्द्र और उनका रचना-संसार
Dr. Sumahendra |
कला-गुरु डाॅ० महेन्द्र कुमार शर्मा "सुमहेन्द्र" (1943 - 2012) के 77वें जन्मोत्सव (2 नवम्बर) पर विशेष :
सुमहेन्द्र और उनका रचना-संसार
Gods, Tempera, 1975
सुमहेन्द्र भारत के उन चंद कलाकारों में हैं जिन्होंने देश की परम्परागत कला-शैलियों को जीवन्त बनायें रखा है। उन्होंने परम्परा का निर्वाह करते हुए अपनी कृतियों में आधुनिक प्रयोग किये हैं, और उस सतह को तोड़ने के बावजूद परम्परागत शैली की विशेषताओं एवं प्रभाव को बरकरार रखा है। यूं तो कई परम्परागत कला शैलियों में सुमहेन्द्र ने दक्षता प्राप्त कर रखी थी परंतु मुख्यतः किशनगढ़ शैली में ही उन्होंने चित्रांकन किया, और अपनी कृतियों में अधिकांशतः इसी शैली के नायक-नायिका (बणींठणीं और नागरीदास) को प्रतीक स्वरूप समसामयिक समस्यओं से जूझते हुए या उनकी प्रेमकथा को आधुनिक प्रसंग में उतारा।
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Lady with pigion, Acrylic on bord |
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Self Portrait, Lenocut |
प्रशासनिक कार्यों में भी वे दक्ष रहे। अत: राजस्थान ललित कला अकादमी के सचिव और जवाहर कला केन्द्र में दृश्य कला संकाय के निदेशक जैसे महत्वपूर्ण पदों पर भी अपनी सेवाएं दीं उन्होंने। वे राष्ट्रीय ललित कला अकादमी की महासभा में " विशिष्ठ कलाकार " के रूप में सदस्य भी निर्वाचित हुए। और अनेक देशों की, कला- संदर्भ में, यात्राएं भी कीं।
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लघु चित्र परंपरा का अनुकरण करती सुमहेन्द्र की एक कृति (अंश) |
बहुत कुछ है उन पर कहने को, वह भी विविधता पूर्ण। पर उनके द्वारा स्थापित 'कलावृत्त' (युवा सृजक मंच) संस्था की चर्चा के बगैर बात अधूरी रह जायेगी। इसकी स्थापना करके युवा कलाकारों को ललित कला और मूर्ति कला क्षेत्र में मंच देने की उनकी सफल कोशिशें और कलावृत्त नाम से ही कला पत्रिका का प्रकाशन करके उन्होंने स्थापित संस्थाओं को भी एक दिशा दी थी।
यह संस्था उनके चिरंजीव संदीप आज भी सक्रियता से संचालित कर अपने पिताश्री की विरासत को संभाल रहे हैं, इसलिए उसे साधुवाद और आशीर्वाद।
मेरा मन इसे नहीं स्वीकारता कि सुमहेन्द्र हमारे बीच नहीं हैं इसीलिए उनके बाद जयपुर जाने का साहस मैं आजतक नहीं जुटा पाया हूं। और तो और संदीप के आग्रह के बावजूद कुछ वर्ष पहले तक मेरी कलम तक उनके लिए न चल सकी। हाथ थर्रा जाते थे, दिल रो उठता था ऐसे अंतरंग मित्र को याद कर। बस, तुम्हारी स्मृति को प्रणाम मित्र।
संपर्क : 9580239360.
ई-मेल : akhileshnigam44@gmail.com
अत्यंत सरल भाषा में सुंदर प्रस्तुति, आदरणीय गुरूजी।
ReplyDeleteवैसे तो हम कई पुस्तकों में प्रसिद्ध चित्रकार सुमहेंद्र जी के विषय में जानकारी पाते हैं किन्तु प्रस्तुत ब्लाग अपने आप में काफी जानकारी समेटे है।