वरिष्ठ चित्रकार नरेंद्र सिंह चौहान-राजस्थान के अदभुद कला साधक : संदीप सुमहेन्द्र
जन्म - 8 जनवरी 1932
देवलोकगमन - 17 जनवरी 2020
जयपुर । पोर्ट्रेट और यथार्थवादी चित्रकला के सिद्धहस्त चित्रकार श्री नरेन्द्र सिंह चौहान जी की आज पुण्यतिथि है, राजस्थान के वरिष्ठ और श्रेष्ठ चित्रकार को कलावृत्त परिवार की और से सादर नमन करते हुए मैं विनम्र श्रद्धांजलि अर्पित करता हूँ।
चित्रकार की कला में लावण्यता और पश्चिम में इटली और यूनानी की कला शैली तथा मूर्तिकला के शरीर सौष्ठव से विशेष रूप से प्रभावित है। इसी कारण उनके चित्र एवं मूर्तियां भी और अधिक आकर्षक और सुंदरता लिए होती है। बंगाल की वाश शैली का प्रभाव भी सुस्पष्ट इनके चित्रों पर दिखता है।
मुम्बई के कलाकार गोकुलदास कपाड़िया, जगननाथ अहि वासी, जयपुर के शिवनारायण चौगान और पद्मश्री रामगोपाल विजयवर्गीय की कला शैली ने इन्हें विशेष रूप से प्रभावित किया था। पुराने चित्रों को नया स्वरूप देने में भी ये बहुत ही दक्षतापूर्वक चित्रण करते थे। ऑइल पेंट, जलरंग से उन्होंने अपनी कलाकृतियों का सृजन किया।
चित्रकार नरेंद्र सिंह की मान्यता थी कि "कला का उद्देश्य लोगों में आनंद, उल्लास और उत्साह का संचार करने के साथ देखनेवाले के अंतर्मन को स्पन्दित करना चाहिए तभी कलाकृतियां श्रेष्ठ कहलाएंगी"। आधुनिक चित्रकला की काल्पनिक उड़ान और राई के दाने तथा चावल के दाने पर सूक्ष्म चित्रांकन का अपना महत्व हो सकता है किंतु नरेंद्र सिंह की मान्यता यह थी कि "अंनत काल तक सभी को आकर्षित कर मानव मन को झंकृत करने वाली कलाकृतियां ही श्रेष्ठ मानी जाती है।"
जयपुर के हवामहल के पीछे गोवर्धन नाथ जी के मंदिर परिसर के एक कोने के भवन में इन्होंने अपने स्टूडियो स्थापित किया जहाँ इनकी कलाकृतियां सुव्यवस्थित रूप से आज भी प्रदर्शित है, अपने इसी स्थान पर यह मनमौजी कलाकार जीवनभर अपनी कला साधना में लीन रहे। उनकी एक और विशेषता थी कि किसी भी व्यक्ति को भी एकबार देख लेने के पश्चात ही अपनी कल्पना से उसका हूबहू चित्र बनाने की कला में इन्हें प्रवीणता प्राप्त थी। इनकी कलाकृतियों का सौंदर्य इन्हें चिर यौवन प्रदान करता था। नरेंद्र सिंह जी अखिल भारतीय हस्तशिल्प कला संस्थान के माध्यम से कला एवं कलाकारों को हमेशा प्रोत्साहित करने के लिए प्रयत्नशील रहे। उनके इस स्टूडियो को वर्तमान में उनके बड़े सुपुत्र राजकुमार चौहान संचालित कर रहे है।
कला जगत की जोड़-तोड़ की व्यवस्था और कलाकारों की आपसी चालो और राजनीतिक चालो से अपने आप को दूर रखते हुये जीवन पर्यंत अपनी कला साधना में लीन रहने वाले चित्रकार श्री नरेंद्र सिंह चौहान जी को मेरा शत-शत नमन: एवं विनम्र श्रद्धांजलि।
चित्रकार नरेंद्र सिंह जी के बड़े सुपुत्र राजकुमार चौहान भी चित्रकार है, और मेरे बहुत घनिष्ठ मित्र है। उन्होंने भी राजस्थान स्कूल ऑफ आर्ट्स से चित्रकला में डिप्लोमा किया है लेकिन फिर उनका रुझान फोटोग्राफी में हो गया तो इन्होंने भी अपने आप को प्रकृति एवं वन्यजीवों की फोटोग्राफी में विशेष दक्षता हासिल कर अपने आपको एक प्रतिष्ठित वाइल्ड-लाइफ फोटोग्राफर के रूप में प्रसिद्धि पायी है।
![]() |
| पूर्व प्रधानमंत्री स्व. श्रीमती इंदिरा गांधी चित्रकार द्वारा दिये लाइव डेमो को देखते हुए। |
लेख़क : संदीप सुमहेन्द्र
ई-मेल - sundipsumahendra@gmail.com
मोबाइल - 98294 37374






Comments
Post a Comment