कलाकार अखिलेश निगम : आकस्मिक रूपाकारों में जीवन की तलाश - डॉ. मंजुला चतुर्वेदी

कलाकार : अखिलेश निगम सृष्टि के प्रारंभ से ही मानव मन ने जीवन को जिज्ञासा से देखा और इसे समझने का यत्न किया। उसकी आंखों ने प्रकृति से विविध रंगों को सहेजा, कानों ने ब्रह्मांड में व्याप्त ध्वनियों को सुना, ध्राण शक्ति से उसने सुगंधित श्वासें लीं, जिह्वा से उसने अच्छा और बुरा परखा, तन मन को स्वस्थ, स्पर्श से भावों के ताप को समझते हुए अन्य पदार्थों को समझा और उन्हें मनोनुकूल आकार दिए। जानने और परखने की इस प्रक्रिया में संवेदनशीलता बहुत कारगर सिद्ध हुई और कवि तथा कलाकारों के जन्म हुए। कवियों ने शब्दों और अर्थों के माध्यम से जीवन का सार समझने और उसे देखने की दृष्टि दी वहीं कलाकारों ने सृजन के माध्यम से नव प्रयोग किए। कभी जल रंग, कभी तैल रंग और कभी रेखांकन में विविध रूपों की सृष्टि की और जीवन को पर्त दर पर्त बुनने का प्रयास किया जिससे सभी जीवन की बनावट, बुनावट, उदात्तता और उसके विस्तार को कुछ समझ सकें। `प्रकृति`, कैनवास पर एक्रिलिक रंग ऐसे ही जीवन को विभिन्न माध्यमों में तलाशने वाले हमारे समय के प्रमुख कलाकार हैं श्री अखिलेश निगम जिन्होंने कला के विभिन्न माध्यमों में जीवन के विविध परिप्रे...