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Showing posts from July, 2022

जयपुर के युवा चित्रकार अमित हारित के चित्रों की एकल प्रदर्शनी का चेन्नई में शुभारंभ : लाखन सिंह जाट

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 चेन्नई की "सरला आर्ट वर्ल्ड" कला दीर्घा में शुरू हुई। जयपुर के युवा चित्रकार अमित हारित के चित्रों की प्रदर्शनी "ड्रीमस्केप्स" का उद्घाटन चेन्नई की प्रसिद्ध आर्ट गैलरी आर्ट वर्ल्ड 'सरला सेंटर फॉर आर्ट' में शुभारंभ हुआ। इस प्रदर्शनी में अमित की 30 पेन्टिंग्स प्रदर्शित की गई हैं। प्रदर्शनी के बारे में चर्चा करते हुए चित्रकार अमित ने बताया कि "मैंने अपनी इन पेंटिंग्स में पिछले कई वर्षों के प्रकृति और मनुष्य के साथ अपने दुनियावी अनुभवों को सहेजा है। जो मेरे चित्रों में एक अनोखी दुनियां से हमें रूबरू कराते हैं जहाँ मेरे द्वारा देखे हुये रूपाकार निजी दृष्टिकोण के साथ चित्रित हैं।" अमित के चित्र देखकर उन चित्रों का यथार्थ जोकि ऐसी कल्पनाओं का संसार है जो स्मृतियों से प्रभावित है दर्शक को अपने भीतर खींचता चला जाता है। एक्रेलिक रंगों से कैनवास औऱ पेपर पर बने इन चित्रों में मनुष्य और प्रकृति के आपसी अंतर्संबंधों के विविध रूप देखने को मिलते हैं। प्रदर्शनी का विधिवत उद्घाटन पर चेन्नई के वरिष्ठ कलाकार प्लनिअप्पन और मुरलीधरन ने अमित के चित्रों में जो रहस्यमयी स...

पुरा सम्पदा का संरक्षण सिर्फ सरकार का काम नहीं : डॉ. दुर्गाप्रसाद अग्रवाल

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 कुछ बरस पहले का वह दृश्य मुझे बार-बार याद आता है। हम लोग भ्रमण के लिए दुबई गए हुए थे। एक सुबह हम वहां अल फ़हीदी क़िले में स्थित दुबई संग्रहालय देखने गए। संग्रहालय बहुत समृद्ध और सुव्यवस्थित था, लेकिन अभी मैं उसकी बात नहीं कर रहा हूं। मैं उस दृश्य की बात कर रहा हूं जो मुझे बार-बार याद आता है। दृश्य यह था कि लगभग तीन से सात-आठ बरस की उम्र के कोई एक सौ बच्चे अपनी अध्यापिकाओं के संरक्षण में उस संग्रहालय में घूम रहे थे, या घुमाये जा रहे थे। निश्चय ही उन अबोध बच्चों ने उस संग्रहालय को उस  तरह नहीं देखा होगा जैसे हम देख रहे थे, लेकिन इसके बावज़ूद मुझे यह बात बहुत भली लगी कि एक स्कूल प्रबंधन को अपने बच्चों को संग्रहालय में भेजना ज़रूरी लगा। इस तरह उस स्कूल ने अपने बच्चों के अबोध मनों में संग्रहालय के प्रति रुचि का बीजारोपण किया. बहुत सम्भव है कि आगे चलकर उन बच्चों में से कुछ दुबारा उस या किसी अन्य संग्रहालय में जाएं और उन्हें यह बात याद आए कि पहले भी कभी वे यहां या ऐसे ही किसी अन्य संग्रहालय में आए थे।  हम सब में विभिन्न रुचियां इसी तरह आई और विकसित हुई हैं।  दुनिया के कई अन्य ...

गोंड चित्रकला शिविर जवाहर कला केंद्र में हुआ संपन्न: डॉ. रेणु शाही

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 राजस्थान की गुलाबी नगरी " जयपुर " की शानो-शौकत पूरे विश्व में प्रसिद्ध है। जयपुर अपनी कला और संस्कृति परंपराओं में बहुत अदभुद और श्रेष्ठ स्थान रखता है जिसका किसी से कोई जोड़ नहीं है। वैसे तो पूरा राजस्थान अपनी विभिन्न लोक कलाओं के लिए पूरे विश्व मे विशेष रूप से जाना ही जाता है। यहां पर कला एवं कलाकार को आगे बढ़ाने एवं विकास  हेतु अनेक आयोजन किसी ना किसी रूप में संपन्न होते ही रहते है। इस बहुउद्देशीय कार्य के लिए बहुत से कला केंद्रों की स्थापना यहां पर हुई है जो निरंतर इसकी प्रसिद्धि के लिए प्रयासरत है, इसमें सबसे अधिक प्रसिद्ध जयपुर का जवाहर कला केंद्र (जे.के.के) है, जो मुख्य रूप से कलात्मक गतिविधियों कराने मे अग्रणी संस्था है। यह संस्थान कला और संस्कृति का मुख्य केंद्र है। इसकी स्थापना सन-1993 में हुई थी, इसके वास्तुकार चार्ल्स कोरिया थे।  कलात्मक गतिविधियों के मुख्य संस्थानों में जवाहर कला केंद्र,  राजस्थान के कला को बढ़ावा देने के साथ ही साथ अन्य राज्यों के कलाओं के विकास के लिए भी सदैव तत्पर रहता है। यहां वर्ष में कई बार कला उत्सवों व मेलों का आयोजन नियमित रूप स...

अपनी तूलिका से धार्मिक रूढ़िवादी विचारधारा को नकारता कलाकार : संदीप सुमहेन्द्र

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राजस्थान जोधपुर जिले के 78 वर्षीय चित्रकार सैयद मेहर अली अब्बासी विगत 65 वर्षो से अपने सृजनात्मक चित्रण के लिए प्रसिद्ध है।  इस प्रसिद्धि का एक मुख्य कारण है उनके सिद्धहस्त हाथों से "भगवान गणेश" के चित्र बनाना, क्योंकि वें मुस्लिम समाज से है तो हिन्दू देवी - देवताओं की तस्वीरें क्यों बनाते है ? इसके लिए चित्रकार को अपने परिवार एवं समाज की नाराजगी का भी सामना करना पड़ा, लेकिन इनके दृढता प्रथम पूज्य श्रीगणेशजी के प्रति आदर सम्मान और चित्रकार मन की कोमलता ने सभी की दखल और नाराजगी को नजरंदाज कर अपनी राह पर निरंतर चलते रहे। उल्लेखनीय उपलब्धि है कि अब्बासी ने आज तक कि अपनी कला यात्रा मे भगवान गणेश के 4500 से अधिक तस्वीरें कला की हर विधा मे बनाई है जैसे जलरंग, पेस्टल, पेंसिल स्केच, ऑयल एवं टेंप्रा आदि। गणेश जी की तस्वीरें बनाने से भी इनको एक विशिष्ठ पहचान मिली। चर्चा करते हुए अब्बासी जी ने बताया कि मैं बचपन से ही देखता आऐ की हर शुभ कार्य के लिए भगवान गणेश की पूजा अर्चना की जाती है इसने मेरे मन उनके प्रति आसक्ति हुई और फिर गणेशजी के विभिन्न रूपों का बहुत बड़ा दायरा है। भगवान गणेश का ...

भारतीय चित्रकला में गुरु-शिष्य परम्परा का विशेष महत्व : डॉ रेणु शाही

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 भरत के नाम से संबोधित भारत वर्ष योगियों संतों तथा महान ऋषि-मुनियों का देश रहा है। इन्ही में महर्षि वेदव्यास संस्कृत के प्रकांड विद्वान थे। उन्हें कृष्ण द्वैपायन भी कहा जाता है। वे आदि गुरु हैं। इसलिए उनके जन्मदिन आषाढ़पूर्णिमा को गुरुपूर्णिमा के नाम से जाना जाता है। वेदांत दर्शन व अद्वैत वाद के संस्थापक वेदव्यास ऋषि पाराशर के पुत्र थे तथा उनकी माता का नाम सत्यवती था। पत्नी आरुणि से उत्पन्न महान बाल योगी सुखदेव इनके पुत्र हैं। एक परंपरा के अनुसार पांडू, धृतराष्ट्र और विदुर भी महर्षि वेदव्यास  के संतान माने जाते हैं। वेदव्यास ने महाभारत, ब्रह्मसूत्र, 18 पुराण, 18 उपपुराण की रचना किए हैं। इसके अतिरिक्त इन्होंने वेदों को उनके विषय के अनुसार ऋग्वेद, यजुर्वेद, सामवेद, अथर्ववेद के रूप में चार भागों में विभाजित किया है। महर्षि वेदव्यास की शिष्य परंपरा में पैल, जैमिनी, वैशंपायन, समन्तु मुनि, रोमहर्षण आदि का नाम महत्वपूर्ण रूप से सामने आता है। यह आषाढ़ पूर्णिमा गुरु महात्मा का पर्व है। इस दिन गुरु की पूजा का विधान शास्त्रों में मिलता है। गुरुपूर्णिमा वर्षा ऋतु में पङती है। इस दिन से 4 ...

राजस्थान के युवा चित्रकार लाखन सिंह जाट की सृजनात्मक चित्रण अभिव्यक्ति : संदीप सुमहेन्द्र

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 संस्कृति मंत्रालय, भारत सरकार की और से जूनियर रिसर्च फेलोशिप मे चित्रकला के लिए राजस्थान से युवा चित्रकार लाखन सिंह जाट का चयन हुआ, यह फेलोशिप 2019-2020 के लिए दी गई थी लेकिन कोविड के चलते इसे जनवरी -2021 मे प्रदान किया गया। इस फेलोशिप के तहत 10,000/- रूपये प्रति माह इन्हें दिए जाएंगे दो वर्ष तक। फेलोशिप और चित्रण के बारे में चर्चा के दौरान लाखन ने बताया कि मेरी कलाकृतियाँ मेरे गाँव में मौजूद विडंबना को दर्शाती हैं, जो स्पष्ट रूप से दुनिया के वर्तमान परिदृश्य को दर्शाती है, पूरा देश समान रूप से व्यथित और संघर्षरत हैं, सही मायने में एक "वैश्विक गाँव"। समकालीन कला एक कलाकार की गहरी वैचारिक अभिव्यक्ति है, जिसके माध्यम से दुनिया को देखने के नए तरीके सामने आते हैं। चित्रों द्वारा मेरी कलात्मक अभिव्यक्ति,  मेरी अपनी चित्रण शैली लगातार विकसित हो रही है, वर्तमान परिपेक्ष्य में मेरी जो भी अवधारणा है, मैं उस तथ्य से गहराई से प्रभावित हूं कि मूल और निरपेक्ष बने रहने के लिए हमें अपने जीवन में "गांव के जीवन" को अपनी जड़ों की ओर लौटने के साधन के रूप में रोमांटिक करना होगा। चेहरे...