"मोहनदास से महात्मा" चित्रकार द्वारा गांधी के चित्रों का सृजन एवं प्रदर्शनी - संदीप सुमहेन्द्र

जयपुर के चित्रकार चन्द्रप्रकाश गुप्ता ने राष्ट्रपिता महात्मा गांधी के चेहरे पर वात्सल्य और दृढ़ संकल्प के भावों को प्रमुखता से चित्रित किया।

जवाहर कला केन्द्र में दो दिवसीय आयोजित प्रदर्शनी में महात्मा गांधी के चित्रों की प्रदर्शनी लगाई गई। चित्रकार द्वारा महात्मा के जीवन पर किया अध्ययन और चिंतन में मगन महात्मा के हर भावों को एवं तत्कालीन घटनाओं को बड़ी कुशलता से सृजित कर अपने चित्रों को जीवंत बनाया है। जवाहर कला केन्द्र की सुकृति आर्ट गैलरी में हुई गांधी के मोहनदास से महात्मा तक के सफर थीम पर बनाएं 27 चित्रों को प्रदर्शित किया।

इन चित्रों में विशेष रूप से महात्मा के सिरहाने बैठी बालिका इंदिरा गांधी, उन्हें महात्मा का उद्बोधन देने वाले गुरु रवीन्द्रनाथ टैगोर सभी चित्र इनके आस-पास बैठे लोगों से जीवंत संवाद कर रहे हों ऐसा प्रतीत होता है।


इस प्रदर्शनी का विधिवत उद्घाटन कला एवं संस्कृति मंत्री डॉ. बी.डी. कल्ला, विधायक प्रशांत बैरवा, संस्कृतिकर्मी सुधीर माथुर एवं सुधीर कासलीवाल ने किया।

एक चित्र मे दांडी यात्रा के लिए गांधी का संकल्प, के साथ अन्य कुछ विशेष घटनाओं में एक बालिका को लाड़ करते हुए बापू के चहरे पर वात्सल्य के भाव के अक्स ने दृढ़ संकल्प के भाव, विदेशी वस्त्रों की होली, जेल के बैरक में पत्र लिखते गांधी, आश्रम में स्वतंत्रता सेनानियों के साथ तथा नेताजी सुभाषचंद्र बोस के साथ विचार-विमर्श करते महात्मा गांधी को चित्रित किया गया है, चन्द्र प्रकाश ने इस तपस्वी के जीवन संघर्ष और उनके व्यक्तित्व को सहजता से देखा और महसूस किया जा सकता है। जलरंगों से बनाई गई इन आकर्षक तस्वीरों की विशेषता यह हैं उनकी जीवंतता, गतिवान आकृतियां, रंगों और रेखाओं के चित्ताकर्षक सुनियोजन इसके अलावा इनमें भारतीय चित्रकला की मूल आत्मा कही जाने वाली ‘रेखाओं’ की तीक्ष्णता महात्मा गांधी के एक-एक मनोभाव को खूबसूरती से जीवंत करती हैं।

अपने चित्रों के बारे में चर्चा करते हुए चन्द्र प्रकाश ने कहा कि मेरा मुख्य उद्देश्य है कि मैं आज की युवा पीढ़ी को संस्कारवान और राष्ट्र सम्मान, एवं स्वदेशी उत्पादनों से देश की प्रगति के प्रति सचेत रहने के लिए अपने चित्रों द्वारा हमारे राष्ट्रपिता महात्मा गांधी जी के संघर्ष के बारे में बताऊं। स्कूल के छात्र छात्राओं के उत्साह को देखकर मैं खुद भी आश्चर्यचकित हूं।


आलेख : संदीप सुमहेन्द्र

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