अमूर्त चित्रकार अमित कल्ला का चयन चाइना के अंतर्राष्ट्रीय आर्टिस्ट एक्सचेंज रेजीडेंसी के छठे ताओहुआ तान प्रोग्राम में।
देश के अमूर्त चित्रकार और कवि अमित कल्ला को इस वर्ष अक्टूबर से चीन के अनहुई प्रांत में आयोजित होने वाले छठे ताओ हुआ तान, अंतर्राष्ट्रीय आर्टिस्ट एक्सचेंज रेजीडेंसी प्रोग्राम के लिए चयनित किया गया है। निकट भविष्य में बनने वाले वर्ल्ड आर्ट म्यूजियम के कला संग्रहण के तहत विश्व प्रसिद्ध क्यूरेटर गॉर्डन नोवाक और लियू जियान द्वारा इस रेज़िडन्सी के प्रतिभागियों का चयन किया गया है जिनके मार्गदर्शन में वहाँ दृश्य कलाओं से जुड़े विभिन्न अकादमिक और रचनात्मक कार्यक्रम कार्यक्रम सम्पन्न होंगें। द पीच ब्लॉसमपूल आर्ट सेंटर के स्टूडियो में रहकर अमित अपनी बहुरंगी शैली में एक नई चित्र सीरीज़ भी तैयार करेंगें, जिसे वहाँ होने वाली सामूहिक प्रदर्शनी में दर्शाया जाएगा, इसके साथ ही अपनी काव्य-चित्र यात्रा और भारतीय कला दृष्टि के विभिन्नदार्शनिक व सौंदर्यात्मक पहलुओं पर व्याख्यान भी देंगें।
इस आयोजन में दुनिया के अलग-अलग देशों से चुनिंदा कलाकारों को आमंत्रित कियागया है, जो रेजीडेंसी में साथ रहकरअपनी-अपनी कला परंपरा, शैली, तकनीक औरउसकी संधानात्मक प्रक्रिया को एक दूसरे से साझा करेंगे, इससे पहले अन्तराष्ट्रिय पटल पर कल्ला अमेरिका, साउथ कोरिया, इटली, ऑस्ट्रेलिया, दुबई, सिंगापुर, टर्की, लातविया, एस्टोनिया, फ़िनलैंड और बांग्लादेश जैसे देशों में भी अपनी कला प्रदर्शित कर चुके हैं तथा पूर्वी यूरोप केमार्क रॉथकों आर्ट सेंटर में आर्टिस्ट इन रेसीडेंट अवॉर्ड से सम्मानित किए जा चुके हैं।
वे एक स्वतंत्र चित्रकार के रूप में पिछले दो दशकों से अधिक समय से सक्रिय हैं, उन्होंने भारत के विभिन्न शहरों में पंद्रह एकल तथा सवा सौ से ज्यादा सामूहिक चित्र प्रदर्शनियो में भागीदारी की है, बतौर कवि इनकी तीन पुस्तकें भी प्रकाशित हो चुकी है होने न होने से परे पुस्तक को भारतीय ज्ञानपीठ के नवलेखनपुरस्कार से सम्मानित किया गया, शब्द-शब्द विसर्जन कविता संग्रह भी खासा चर्चा में रहा है, और कुछ समय पूर्व शब्द कहे सेअधिक का विमोचन हुआ है। इन्हें सत्य शांति पुरस्कार, मरू परंपरासम्मान, सृजन सम्मान, वाणी समागम, प्रकृति सम्मान, कला संवाहक, कला संगोष्टी विश्वरंग पुरस्कार से भी नवाज़ा जा चुका है। हाल ही में इनके चित्र ट्रानसेंडिगफॉर्म को 63वी राष्ट्रीय कला प्रदर्शनी में दिखलाया गया है।
स्वभाव से यायावर अमित की अपने बचपन से ही योग और दर्शन विषय में गहरी रुचि रही है, देश के अनेक साधु-संतों, फकीरों तथा हिमालय के योगियों संग उनके अनुभव अत्यंत मार्मिक हैं, उन्हें उपनिषद, स्वामी विवेकानंद, रमण माहृषी और जे कृष्णमूर्ति के विचार दर्शन के विभिन्न पहलू हमेशा प्रेरणा देते रहे हैं।
"चित्रकार अमित कल्ला के अनुसार मानवीय सभ्यता उसकी संगति की सीमाओं को छू कर अपने मूल नैसर्गिक स्वरूप में लौटना चाहती है, जिसे अपने दामन में ठहराव लिए कलाओं के सहारे की ज़रूरत है, सच्चे लेखक, कवि, कलाकारों की ज़रूरत है जो जीवन में कल्पना और यथार्थ के बीच साँसलेने की गुंजाईश पैदा करे उन अंतरालों को गढ़े जहाँ इस दौड़ती भागती दुनिया में कोईभी कुछ देर ठहर सके, अपने भीतर उठते उन स्वरों को सुन सके, अपने मन की कह सके - जहाँ अधूरे में चाह हो पूरा होने की ताउम्र भटकता रहे वह रंगत पाने को बिन जाने ही उस पूरे पर मुक़र्रर अधूरे को। विभिन्न रंगों रुपाकरों के मार्फत कोई भी चित्र संजीदगी से अनुभव करने का एक यथासंभव रचनात्मक विस्तार है जहाँ अमूर्त का निरूपण देखने में तो मूर्त लगता है लेकिन फ़ॉर्म को समझने के बाद उसके अर्थ बदल जाते हैं, तमाम चित्र दरअसल जीवनानुभव कीबात करते हैं यह भाव की अवस्था से जुड़ा मसौदा है जहाँ संवेदना के आधार पर कितना कुछ अभिन्न अर्थों के दृश्यों में उपस्थित होता है।"
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