बीकानेर के 20 चित्रकारों ने "स्थापना दिवस" पर अपनी कलात्मक अभिव्यक्ति को चित्रित किया : संदीप सुमहेन्द्र

बीकानेर के चित्रकार योगेन्द्र पुरोहित से मुझे आज इस कला शिविर के बारे में जानकारी मिली। चर्चा करते हुए योगेन्द्र ने बताया कि   
"बीकानेर के स्थापना दिवस" 
के अवसर पर आयोजित इस कार्यशाला में लोक संस्कृति की संगरक्षक समिति के संयोजक श्री कृष्ण चंद्र पुरोहित ने मुझे भी बतौर चित्रकार आमंत्रित किया

नगर थरपणा उछब समिति बीकानेर के स्थापना दिवस एवं अक्षय तृतीय (आखातीज) के उपलक्ष में प्रतिवर्ष लोक सांस्कृतिक समारोह का आयोजन तीन से पांच दिनों के लिए वर्षो से आयोजित करती है। इसी क्रम में इस वर्ष भी बीकानेर के स्थापना दिवस के अवसर पर यह समिति बीकानेर की लोक संस्कृति के साथ चित्रकारों के चित्रों की चित्र प्रदर्शनी भी आयोजित करने जा रही है आगामी 3 से 5 मई, 2024 को नालन्दा पब्लिक स्कूल में यह प्रदर्शनी की जा रही है। 

समारोह से पूर्व संयोजक श्री कृष्ण चंद्र पुरोहित और चित्रकार मुकेश जोशी सांचिहर के संयोजन में पांच दिवसीय चित्रकारी की कार्यशाला का आयोजन भी रखा गया है। जिसमे बीकानेर की लोक सांस्कृति और स्थापना दिवस का प्रतिक चंदा (गोल आकार की उड़ने वाली वास्तविक पतंग) पर बीकानेर के वरिष्ठ और युवा चित्रकारों से चित्रित करवाएं जा रहे है। इस कार्यशाला में मैंने भी अपना चित्र चित्रित किया है।


लोक संस्कृति के संगरक्षक श्री कृष्ण चंद्र पुरोहित का वहाँ चित्रकार मोहन चौधरी (मोना सरदार), मास्टर कमल किशोर जोशी, मास्टर राम कुमार भादाणी, मास्टर गणेश रंगा, मास्टर रवि उपाध्याय, मास्टर धर्मा स्वामी (पेंटर धर्मा) और मास्टर मुकेश जोशी सांचिहर के साथ बैठकर मैंने भी स्थापना दिवस के विषय पर प्रतीकात्मक चित्र पारम्परिक पतंग चंदा पर उकेरा। जिसे आगामी चित्र प्रदर्शनी में प्रदर्शित किया जाएगा, यह प्रदर्शनी नगर थरपणा उछब के समारोह में नालन्दा पब्लिक स्कूल की कला दीर्घा में लगाई जाएगी। यहाँ कार्यशाला में सृजित कुछ चित्रों के छायाचित्र जो मेरे और कमल किशोर जोशी के कैमरे से लिए गए है आपसे साझा कर रहा हूं अवलोकन हेतु ... !!! आशा करता हूं हमारे द्वारा सृजित चित्र सभी कला-प्रेमियों को आकर्षित करेंगे...धन्यवाद"

मैं पूर्ण विश्वास के साथ कह सकता हूं कि हमारे देश के प्रसिद्ध शहरों के "स्थापना दिवस" पर ऐसे सार्थक आयोजनों से हमारी नई पीढ़ी को भी अपने शहर की कला एवं संस्कृति के साथ साथ उसके इतिहास के बारे में भी जागरूकता पैदा होती है इसमें तनिक भी संदेह नहीं है और यही बहुउद्देशीय आयोजन हमारी विरासत और समृद्धि के लिए महत्वपूर्ण है ... !!!

आलेख : संदीप सुमहेन्द्र
चित्रकार एवं कला समीक्षक
संपादक - कलावृत्त आर्ट मैगज़ीन एवं ब्लॉगस्पॉट

Comments

  1. आदरणीय श्री संदीप शर्मा जी आप को साधुवाद ! क्यों की आप संस्कृति के पोषण में होने वाली प्रत्येक सामाजिक गतिविधि वो चाहे बड़ी हो या छोटी उसको पूरा महत्त्व देते है और उसे गम्भीरता के साथ प्रकाश में भी लाते है अपने सम्पादकीय आलेख के माध्यम से कलावृत्त की इस ऑनलाइन कला पत्रिका के माध्यम से ! इस उपक्रम में आज आपने मेरे द्वारा दी गयी एक सामन्य सी जानकारी जो की चित्रकला के शिविर के सन्दर्भ में थी उसे पूर्ण महत्त्व देते हुए अपनी सम्पादकीयता के जरिये प्रकाशित कर के बीकानेर में आयोजित हो रहे इस चित्र कार्यशाला के सभी प्रतिभागियों के लिए ऊर्जा संचरण का कार्य किया है ! वो भी सिर्फ प्रकाशन के कार्य से नहीं बल्कि आप द्वारा इस कार्यशाला के विषय को महत्व देते हुए कलाकारों की सहभागिता को गम्भीरता से लेते हुए ! जोइस बीकानेर में आयोजित हो रहे चित्रकला शिविर के सभी प्रतिभागी कलाकारों के साथ शिविर के आयोजक के लिए भी गर्व और उत्साह की बात है !
    सो आप को साधुवाद है !
    योगेंद्र कुमार पुरोहित
    मास्टर ऑफ़ फाइन आर्ट,
    बीकानेर, इंडिया

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