अन्नपूर्णा नगरी बारां के स्थापना दिवस पर विशेष : कुलदीप भार्गव

राजस्थान का हाड़ौती भौगोलिक प्रदेश जो किसी समय हाड़ा राजवंश के द्वारा शासित होता था। विस्तृत कोटा रियासत के एक भू-भाग के रूप में बारां नगर स्थित था। बारां शहर की प्राचीनता के प्रमाण यहाँ पुरानें शहर में निर्मित परकोटा औऱ विभिन्न रियासत कालीन दरवाज़े हैं। वराह नगरी के नाम से विख्यात इस नगर को 10 अप्रैल 1991 को प्रशासनिक रूप से ज़िले का दर्जा मिला। इस से पूर्व यह नगर कोटा ज़िले की एक तहसील थी।

बारां ज़िले का प्राकृतिक परिवेश ईश्वर प्रदत्त हरियाली से युक्त है। नदियां, झरनें, पहाड़, घाटियों औऱ पठारी भू-भाग में विस्तृत यह जिला भौगोलिक रूप से समृद्ध है। शाहबाद की घाटियां, वन क्षेत्र के रूप में सागवान, खेर, शीशम आदि वृक्षों की यहाँ बहुतायत है।

सांस्कृतिक रूप से भी यह जिला बेहद धनी है। यहाँ धरती के आँचल में पूरा-संपदा यत्र-तत्र बिखरी पड़ी हुई है। स्थापत्य औऱ धर्म-प्रेमियों के लिए यह स्थान अत्यंत रमणीक सरोवर की भांति शांति प्रदान करनें वाला है। रामगढ़ क्षेत्र में पहाड़ स्थित अन्नपूर्णा कृष्णाई माता का गुफा मंदिर धर्म प्रेमियों की गहन आस्था का केंद्र रहा है। रामगढ़ क्षेत्र में स्थित रामगढ़ क्रेटर को अभी हाल ही में विश्व भू विरासत की मान्यता मिलने से यह स्थल सम्पूर्ण विश्व के भू वैज्ञानिकों के लिए अत्यंत ही रहस्यमय ओर जिज्ञासा का केंद्र है। यहीं स्थित 10 वी शताब्दी का प्रसिद्ध भंडदेवरा मंदिर खजुराहो वाली अनूभूति प्रदान करता है।
बारां के ही मांगरोल क्षेत्र में बाणगंगा नदी के किनारे स्थित हांड़ीपाली महादेव मंदिर भी स्थापत्य कला की दृष्टि से बेहद ही सुंदर है। प्राचीन किवदंती के अनुसार महाभारत काल में हिडम्बा नामक राक्षसी औऱ भीम के विवाह मंडप के रूप में इस मंदिर का निर्माण हुआ था। बारां का ही काकूनी क्षेत्र भी ऐतिहासिक और कलात्मक रूप से काफी समृद्ध रहा है।

लेखक : कुलदीप भार्गव

Comments

  1. Awesome described by you sir.

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  2. Jai jai Baran jai jai Rajasthan

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  3. अदभुत जानकारी के लिए धन्यवाद गुरुदेव

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  4. बहुत अच्छी जानकारी के लिए धन्यवाद

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