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Showing posts from January, 2022

जवाहर कला केन्द्र, कला एवं कलाकारों का गढ़ - राकेश जैन

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जवाहर कला केन्द्र लगभग साढ़े नौ एकड़ क्षेत्र में फैला हुआ है। भारत भवन भोपाल और गोवा आर्ट एकादमी जैसे कला संस्थानों के ख्याति प्राप्त वास्तुविद चार्ल्स कोरिया की वास्तुकला पर खड़ा और विशाल परिसर में करौली के लाल पत्थरों से निर्मित यह भवन अपने विशिष्ट वास्तुशिल्प के कारण दूर से ही आकर्षित करता है। इस बहु आयामी कला संस्थान में आडियो विजुअल विभाग , चाक्षुक कला विभाग , संगीत एवं नृत्य तथा नाटक विभाग के अलावा एक समृद्ध पुस्तकालय भी है जहां कला - संस्कृति संबद्ध हजारों दुर्लभ ग्रन्थ संग्रहित है। जवाहर कला केन्द्र के विशाल तोरणद्वार से प्रवेश करते ही दाईं और थियेटर है जिसमें मुख्यद्वार पर नाट्यकला के प्रतीक दो कठपुतलियां गोल स्तम्भों पर खडी है । थियेटर भवन में मुख्य थियेटर और ' एरेना ' है जिन्हें क्रमशः ' रंगायन ' एवं ' कृष्णायन ' कहते हैं । इसी भाग में नाट्य विभाग का कार्यालय भी है । नाट्य विभाग के ठीक सामने संदर्भ कक्ष है जिसके निचले खंड में पुस्तकालय और ऊपर आडियो विजुअल भाग है , जहाँ दुर्लभ सामग्री के अलावा रेकार्डस ( ग्र...

वरिष्ठ चित्रकार धर्मेन्द्र राठौड़ के निर्देशन में 73 वें गणतंत्र दिवस पर राजस्थान की कला व कलाकारो को मिला “राजपथ” पर सम्मान - संदीप सुमहेन्द्र

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देशभर के 500 कलाकारों की बनाई गई कलाकृति जिसमे अपने - अपने क्षेत्र के स्वतंत्रता सेनानियों व   अचर्चित नायकों की वीरता की गाथा के माध्यम से कलाकृतियां करीब 2 किमी तक प्रदर्शित हुई। राजस्थान की   सभी कला विधा के 97 चित्रकारों की ने भी इसे बनाने में अपना श्रेष्ठ कार्य कर इस कलाकृति ने अनेकता में एकता को चरितार्थ कर अधिक मूल्यवान बना दिया। कैनवास 190 फ़ीट है और विषय :- जयपुर का जंतर - मंतर , चित्तौड़गढ़ का विजय स्तंभ और दुर्ग , महाराणा प्रताप , महाराणा कुम्भा , जयमल एवं फत्ता राठौड , गुलाबो , स्वतंत्रता सेनानी विजय सिंह पथिक , केसरी सिंह बारहठ , हाड़ा रानी , तनोट माता एवं अन्य बहुत राजस्थान का प्रतिनिधित्व करती कलाओं से सजी इस कलाकृति में एकसाथ देखने को मिली । राजस्थान स्कूल ऑफ आर्ट्स से डिप्लोमा करने के पश्चात पोस्ट ग्रेजुएशन " दिल्ली कॉलेज आफ ऑर्ट्स " से किया वरिष्ठ चित्रकार धमेंद्र राठौड़ ने। धर्मेन्द्र जो स्वयं राजस्थान के सलारी - अजमेर से है , उनक...

राजस्थान के अदभुद कला साधक वरिष्ठ चित्रकार नरेंद्र सिंह चौहान - संदीप सुमहेन्द्र

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जयपुर । पोर्ट्रेट और यथार्थवादी चित्रकला के सिद्धहस्त चित्रकार श्री नरेन्द्र सिंह चौहान जी की आज पुण्यतिथि है , राजस्थान के वरिष्ठ और श्रेष्ठ चित्रकार को कलावृत्त परिवार की और से सादर नमन करते हुए मैं विनम्र श्रद्धांजलि अर्पित करता हूँ। चित्रकार की कला में लावण्यता और पश्चिम में इटली और यूनानी की कला शैली तथा मूर्तिकला के शरीर सौष्ठव से विशेष रूप से प्रभावित है। इसी कारण उनके चित्र एवं मूर्तियां भी और अधिक आकर्षक और सुंदरता लिए होती है। बंगाल की वाश शैली का प्रभाव भी सुस्पष्ट इनके चित्रों पर दिखता है। मेवाड़ के कोठारिया वंश से जुड़े एवं आजाद हिंद फौज के सैनानी श्री धवलसिंह चौहान के सुपुत्र चित्रकार नरेंद्र सिंह चौहान दर्शनशास्त्र के मर्मज्ञ चित्रकार है किंतु कला के क्षेत्र में यह यथार्थवादी है। पोर्ट्रेट और व्यक्ति चित्र तथा वास्तविक जीवन के विभिन्न पहलू ही इनकी कला के प्रिय विषय रहे है। मुम्बई के कलाकार गोकुलदास कपाड़िया , जगननाथ ...