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Showing posts from January, 2024

"जनमानस के राम" प्रदर्शनी में श्री राम जी के चित्रों एवं शिल्पों का अदभुद सृजन-II : संदीप सुमहेन्द्र

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यज्ञ फाउंडेशन, आर्ट फिएस्टा और मैत्रेय संस्था की और से आयोजित "जन मानस के राम" प्रदर्शनी में चित्रकारों एवं मूर्तिकारों ने भगवान श्री राम जी के जीवन प्रसंगों को अपनी अपनी कल्पनाओं से चित्रों एवं मूर्तियों में सृजित किया। इस प्रदर्शनी मे देशभर के 25 आर्टिस्टों ने भाग लिया। जवाहर कला केंद्र की सुरेख कला दीर्घा में प्रदर्शित किए चित्र एवं शिल्पों के बारे में संरक्षक गोविन्द पारीक एवं आयोजक आचार्या हिमानी शास्त्री ने विस्तृत जानकारी सभी कला प्रेमियों को दी, सभी आर्टिस्टों को उनके उत्कृष्ट चित्रण कार्य के लिए प्रमुख शासन सचिव, कला एवं संस्कृति, गायत्री राठौड़ ने सम्मानित किया और गलता पीठ के अवधेशाचार्य ने स्मृति चिन्ह प्रदान किए। सभी चित्रकारों एवं शिल्पकारों के इस अदभुद सृजन द्वारा रंगों के माध्यम से अपनी अपनी कलात्मक अभिव्यक्ति को चित्रित किया। प्रदर्शनी में लगे चित्रों को देखने के पश्चात मैं अपनी चर्चा को आगे बढ़ाते हुए मिला जयपुर की चित्रकार नीलू कांवरिया से उन्होने बताया कि भगवान श्री राम 500 वर्षों के इंतजार के बाद अपने जन्मस्थान अयोध्या में बने भव्य मंदिर में भगवान राम की प...

"जन मानस के राम" प्रदर्शनी में श्री राम जी के चित्रों एवं शिल्पों का अदभुद सृजन : संदीप सुमहेन्द्र

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यज्ञ फाउंडेशन, आर्ट फिएस्टा और मैत्रेय संस्था की और से आयोजित "जन मानस के राम" प्रदर्शनी में चित्रकारों एवं मूर्तिकारों ने भगवान श्री राम जी के जीवन प्रसंगों को अपनी अपनी कल्पनाओं से चित्रों एवं मूर्तियों में सृजित किया। इस प्रदर्शनी मे देशभर के 25 आर्टिस्टों ने भाग लिया । जवाहर कला केंद्र की सुरेख कला दीर्घा में प्रदर्शित किए चित्र एवं शिल्पों के बारे में संरक्षक गोविन्द पारीक एवं आयोजक आचार्या हिमानी शास्त्री ने विस्तृत जानकारी सभी कला प्रेमियों को दी, सभी आर्टिस्टों को उनके उत्कृष्ट चित्रण कार्य के लिए प्रमुख शासन सचिव, कला एवं संस्कृति, गायत्री राठौड़ ने सम्मानित किया और गलता पीठ के अवधेशाचार्य ने स्मृति चिन्ह प्रदान किए। सभी चित्रकारों एवं शिल्पकारों के इस अदभुद सृजन द्वारा रंगों के माध्यम से अपनी अपनी कलात्मक अभिव्यक्ति को चित्रित किया। प्रदर्शनी में लगे चित्रों को देखने के पश्चात मैं हुआ की मुझे इनके बारे में लिखना चाहिए। अपनी चर्चा आरंभ करते हुए सर्व प्रथम मैं परम्परागत लघु चित्रण में सात पीढ़ियों से चित्रण कर रहे परिवार में कलागुरु वेदपाल शर्मा बन्नू जी के सुपुत्र सि...

सनत दा के राम का वैभव - अखिलेश निगम

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सनत कुमार चटर्जी सनत कुमार चटर्जी "सनत दा" का अपना एक अद्भुत रचना संसार रहा है। ज्यों -ज्यों उनकी कृतियों से आप निजता का अनुभव करते जायेंगे त्यों-त्यों उनके रहस्य आप पर प्रकट होते चले चलेंगे। ठीक किसी गूढ़ कविता की तरह। वे और उनका रचना-संसार भारतीय अध्यात्म का दर्शन है। लखनऊ कला महाविद्यालय के प्रथम भारतीय आचार्य/प्राचार्य असित कुमार हलदार जी के प्रमुख शिष्यों में से वे एक माने जाते हैं। देवी-देवताओं के चित्रण में उन्हें सदैव रुचि रही है परंतु प्रभु श्रीराम का चित्रण वे कुछ अलग ढंग से ही करते हैं। श्री राम के प्रतिस्थापित रूपों से अलग वे "जन-जन में श्रीराम" की भावना या उनके प्रभुत्व को दर्शाते हैं। एक कलाकार की पैनी दृष्टि, उसकी कलाकारिता, उनका रचना कौशल आदि सभी कुछ इन चित्रों में प्रस्फुटित होता है। सनत दा (१९३५ - २०१७) ने इस श्रंखला के तैंतीस चित्रों की रचना सन् २००३ में अयोध्या से लौट कर की थी। उनके अयोध्या जाने की अपनी कहानी है। उनकी एक प्रिय शिष्या आशा सेठ बहुत समय से उनसे अपने घर अयोध्या आने का आग्रह करती चली आ रहीं थीं। यह सुयोग सनत दा को वर्ष २००३ में सेवान...