स्मृति शेष : डाॅ० प्रेमा मिश्रा


 सर्व ‘दीदी’ : डाॅ० प्रेमा मिश्रा
3.10.1935- 12.08.2022

प्रेमा दीदी आज ब्रह्मलीन हो गयीं। सहजता स्मृति शेष : डाॅ० प्रेमा मिश्रा और विनम्रता ने उन्हें सर्व ‘दीदी’ का खिताब दे दिया था। इधर कुछेक वर्षों से वे अस्वस्थ चल रहीं थीं पर आज वह अंतिम घड़ी भी आ गयी। भाई प्रो.अभय द्विवेदी से प्राप्त जानकारी के अनुसार आज ही कानपुर (सिद्धनाथ घाट, जाजमऊ) में उनका अंतिम संस्कार भी कर दिया गया।

कानपुर ही उनका कर्म क्षेत्र रहा है। यहां के जुहारी देवी गर्लस् पी जी कालेज के चित्रकला विभाग की वे विभागाध्यक्ष रहीं। चित्रकला में डी.लिट् उपाधिधारी डाॅ. प्रेमा मिश्रा चित्रकला के अतिरिक्त हिन्दी साहित्य में भी निष्णात थीं। एक महिला चित्रकार के रुप में उनकी अपनी पहचान रही है। वहीं हिन्दी कला-लेखन पर भी उनकी पकड़ अच्छी रही है। उनके लेख आदि प्रतिष्ठित पत्र-पत्रिकाओं में स्थान पाते रहें हैं।

अस्वस्थता के बावजूद, कोई दो वर्ष (कोरोना काल) पूर्व, जब मैंने उनसे उनके कला गुरु प्रो० सी.बरतरिया पर लेख का आग्रह किया तो वे बेझिझक तैयार हो गईं, और निर्धारित अवधि के अंदर ही उन्होंने उसे लिख भी भेजा। कला-विकास के कार्यों में भी उनकी संलिप्तता सराहनीय रही है। वे अनेक कला संस्थाओं, ललित कला अकादमी सहित, की सक्रिय सदस्य रहीं। राज्य ललित कला अकादमी, उत्तर प्रदेश ने प्रदेश की वरिष्ठ महिला चित्रकार के रूप में उन्हें सम्मानित भी किया था।

मेरी विनम्र श्रद्धांजलि… ऊं शांति।



अखिलेश निगम
वरिष्ठ कलाकार/ कला समीक्षक

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