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Showing posts from January, 2023

माँ शारदा की प्रतिमा को पुनः ताम्र रंग से मूल स्वरूप में तैयार किया : योगेन्द्र कुमार पुरोहित

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चित्रकार और साहित्यकार को माँ शारदे का आशीर्वाद किस रूप में मिले और कैसे मिले ये निश्चित नहीं पर ये बिलकुल निश्चित है की आप शिक्षा और माँ शारदे का सम्मान करते है तो आशीर्वाद का फल मिलना तय है।  दो दिन पहले अजित फाउंडेशन के सभागार में मोळियो राजस्थानी बाल साहित्य उपन्यास के लेखक मनीष कुमार जोशी ने अपने उपन्यास मोळियो का लोकार्पण किया। तब माँ शारदे की प्रतिमा के आगे सभी ने पुष्प अर्पित किये मैंने भी किए। माँ शारदे की यह प्रतिमा अजित फाउंडेशन के सभागार में काफी लम्बे समय से स्थापित है और हर आयोजनों में सर्वप्रथम पूजा एवं पुष्पांजलि की जाती है वहाँ आयोजित होने वाले सभी प्रकार के साहित्य कला और सांस्कृतिक आयोजनों में। इस बार अजित फाउंडेशन के सहायक कर्मचारी सरल स्वभाव के धनी, नैतिकता के मूल्यों को समझने वाले श्री गौरीशंकर जी ने मुझ से कहा की माँ शारदे की प्रतिमा का रंग पीताम्बरी से साफ़ करने के साथ ही छूट गया सो अब ये अच्छी नहीं दिख रही। कभी आप इसे पुनः इसके वास्तविक रंग में लाने का कार्य करे अजित फाउंडेशन के लिए।  उनकी पीड़ा को मैंने समझा और जाना की हर कार्यक्रम में माँ शारदे की प्रत...

मथेरण कला के श्रेष्ठ चित्रकार को 74वें गणतंत्र दिवस पर किया सम्मानित : योगेन्द्र कुमार पुरोहित

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मुझे आज बहुत बरसों बाद महाराजा करणी सिंह स्टेडियम बीकानेर में जाने का अवसर बना और अवसर बनने का कारण रहा चित्रकला (बीकानेर की पुरातन और परंपरागत कला मथेरण चित्रकला) आज हिंदुस्तान के राष्ट्रीय पर्व 74वें गणतंत्र दिवस पर हर वर्ष की भांति बीकानेर प्रशासन के द्वारा बीकानेर की महान विभूतियों को सम्मानित किया गया। इस सम्मान कार्यक्रम में सम्मानित हुए बीकानेर मथेरण कला के वरिष्ठ चित्रकार श्री मूलचंद महात्मा जी। आप विगत 40 वर्षों से निरंतर सिर्फ और सिर्फ मथेरण कला को ही चित्रित करते आ रहे है और यही आप के आजीविका उपार्जन का साधन भी है, बीकानेर शहर में। मथेरण कला जोकि जैन शैली की उपशैली मानी जा सकती है। जिसका समय के साथ स्वरुप भी बदला और विषय भी पर ये कला बीकानेर की उस्ता कला से भी पहले की बीकानेर की कला है। बीकानेर का भांडासर जैन मंदिर इसका ऐतिहासिक प्रमाण है। एक और बात उस्ता कला जहाँ अलंकरण परक है वहीं मथेरण कला बीकानेरी सांस्कृतिक मूल्यों से जुडी हुई आध्यात्मिक विषय परक कला है। मुझे अति हर्ष हो रहा है इस बात से की वर्तमान में जिला कलेक्टर श्री भगवती प्रसाद कलाल जी ने मथेरण कला और उसके कलाकारों...

लोक ही जिसका धर्म एवं लोक ही जिसकी पूजा - वो है मास्टर गोपाल बिस्सा : योगेन्द्र कुमार पुरोहित

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कहते है आध्यात्मिक ग्रंथो में जहाँ बहुत से प्रश्न अधूरे रहते है उन्हें पूर्णता मिलती है लोक जीवन शैली से। ऐसा मैंने कई बार साहित्य चर्चाओं और मंचों से सुना है। पद्म पुरस्कार विजेता डॉ. चंद्र प्रकाश देवल साहब से (वरिष्ठ साहित्यकार राजस्थानी भाषा) डॉ. अर्जुन देव चारण (राजस्थानी भाषा वेता और रंग लेखक) और लोक संस्कृति के विशेषज्ञ स्वर्गीय डॉ. श्रीलाल मोहता, बीकानेर के श्री मुख से। ये सत्य भी माना जा सकता है क्यों की प्रतिदिन हमारे आस-पास जो कुछ घटता है उसमे आधार लोक संस्कृति का ही होता है। उदहारण के लिए हम हमारे दैनिक जीवन की दिनचर्या को ले सकते है, जो नींद से जागने से लेकर पुनः रात्रि में सोने तक की क्रिया में निहित है। मेरे लिए लोक अंतर मन का स्वतंत्र आह्लाद है जो आपके मन मस्तिष्क को स्वतंत्रता से अपनी मानसिक, वैचारिक और शारीरिक क्रिया करने का अवसर उपलब्ध करवाता है ! उसका रूप-स्वरूप कुछ भी हो सकता है, लेकिन वो रहता लोक के अंतर्गत ही है। आसान भाषा में कहूं तो अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता "कला का एक मुखरित स्वरूप है लोक" ! लोक को किसी परिभाषा या माध्यम की जरूररत नहीं वो अपनी जरूरत के...

त्रिलोक चंद मांडण की "काष्ठ कला" में कालीबंगा की सोंधी महक : योगेन्द्र कुमार पुरोहित

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पिछले दिनों नववर्ष '2023' के प्रथम माह में आयोजित समकालीन चित्रकार शिविर नोहर, जिला हनुमानगढ़ जाना मेरे लिए बहुत ही लाभप्रद रहा। सिंधुघाटी की उस माटी से जुड़ने और वहाँ के कलात्मक वातावरण में मानव जीवन को विकसित और परिष्कृत होते देखना मेरे लिए विशेष सुखद अनुभूति ही रही। मैंने पाया की वहाँ लगभग सभी व्यक्ति, बच्चे, महिलायें किसी ना किसी रूप में कला से सीधे जुड़े हुए है। अब उसे हम लोक कला कहें या परंपरागत कला या फिर आधुनिक कला इन सब का अंतर भाव एक ही है। "अभिव्यक्ति अपने अंतर मन और मनन की" जो वहाँ के जन जीवन की एक सामान्य और प्रतिदिन की अतिआवश्यक क्रिया है। मैंने वहाँ जिनसे भी बात की तो पाया की वे सब किसी न किसी कला में त्रिलोक चंद मांडण की "काष्ठ कला" में कालीबंगा की सोंधी महक : योगेन्द्र कुमार पुरोहित त्रिलोक चंद मांडण की "काष्ठ कला" में कालीबंगा की सोंधी महक : योगेन्द्र कुमार पुरोहित दक्ष है। अब वो चाहे कृषि कला, भवन निर्माण कला हो, चित्रकला, मूर्तिकला या फिर काष्ठ कला ! (ये सब सिंधुघाटी सभ्यता के प्रमुख आधार है प्रमाण हेतु ऐतिहासिक दृष्टि से) यहाँ मै...

शेखावाटी कला को समर्पित युवा चित्रकार राजेश कुमार बिदावत : योगेन्द्र कुमार पुरोहित

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राजस्थान  में चित्रकला की कई चित्रण पद्धतियां विकसित हुई जैन और बौद्ध कला के उपरांत। मैं राजस्थान की चित्रण शैलियों को उनकी उपशैलि ही मानता हूँ  जैन और बौद्ध चित्रण पद्धति की,  ये बात मैं कला इतिहास के आधार पर नहीं बल्कि चित्रित दृश्यों के आधार पर कह रहा हूँ।  क्योंकि राजस्थान  चित्रण शैलियां एक धारा की भांति  प्रतीत होती है और उस धारा का प्रादुर्भाव मुझे दृष्टि गोचर होता है, जैन और बौद्ध कला के रूप में और  कला इतिहास के तथ्यों के साथ भी।   कारण चाहे जो भी रहे हो राजस्थान के चित्रण की इन उपशैलियों के जन्म या उन्नति के, पर इनके रंग, विषय, रेखाओं का अंकन, चित्र संयोजन और माध्यम चित्र फलक भित्ति चित्रण, काष्ठ रंगांकन, ताड़पत्र, कागज और सिल्क कपडे पर चित्रण आदि की पद्धति एक समान ही प्रतीत होती है। राजस्थान में इन चित्रण की उपशैलियों को अलग-अलग नाम और पहचान भी मिली जिनमे किशनगढ़ शैली, हाड़ोती शैली, मेवाड़ शैली, मारवाड़ शैली, नाथद्वारा शैली, शेखावाटी शैली, बूंदी शैली, इसके अतिरिक्त फड़ शैली (सिल्क पेंटिंग) आदि। राजस्थान में इन सभी शैलियों की अपनी एक अलग पहच...

अपनी जड़ों से जुड़ने का एक सफल प्रयास - चित्रकार शिविर नोहर 2023 : योगेन्द्र कुमार पुरोहित

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सिंधु घाटी सभ्यता को हमने पढ़ा है और ये सभ्यता स्थित रही है भारत के भू-भाग पर भी, इसे आज कालीबंगा नाम से जाना जाता है और इसके आस पास के क्षेत्र में भी काफी कुछ सिंघु घाटी सभ्यता के प्रमाण मिले है। राजस्थान के जिले हनुमानग़ढ और उसके कस्बे नोहर में भी सिंधु घाटी सभ्यता के प्रमाण मिले है जिसका लेखा-जोखा इतिहासकारों ने लिखित रूप से किया हुआ है। ये तो हुई अतीत की बात, पर वर्तमान में भी सिंधु घाटी सभ्यता जीवित है आज के समकालीन परिवेश में इतिहास के प्रमाणों को प्रामाणित करते हुए। इस बात का प्रमाण हाल ही में आयोजित "राज्य स्तरीय चित्रकला शिविर" के रूप में मेरे सामने आया और जिसका मैं स्वयं प्रतिभागी और प्रत्यक्षदर्शी भी बना। चित्रकार शिविर नोहर 2023, जिला हनुमानग़ढ में वहाँ की शिक्षण संस्थान गार्गी विद्यापीठ समिति और राजस्थान ललित कला अकादमी के अध्यक्ष के प्रयासों से आयोजित किया गया। गौरतलब बात ये है की राजस्थान ललित कला अकादमी के अध्यक्ष श्री लक्ष्मण व्यास नोहर से आते है और आप एक प्रख्यात मूर्तिकार है समकालीन भारतीय कला के मानचित्र पर। चित्रकार शिविर नोहर 2023 का उदेश्य सुदूर क्षेत्रों...

चित्रकार योगेंद्र बीकानेर का प्रतिनिधित्व करेंगे समकालीन चित्रकला शिविर में : संदीप सुमहेन्द्र

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 तीन  दिवसीय कला शिविर 3 से 5 जनवरी, 2023  गार्गी विद्यापीठ समिति, नोहर (जिला हनुमानग़ढ) और राजस्थान ललित कला अकादमी  के संयुक्त तत्वावधान में तीन दिवसीय समकालीन चित्रकला शिविर का आयोजन हनुमानग़ढ के नोहर में किया जा रहा है। शिविर में 20 चित्रकार भाग लेंगे, जिसमें राजस्थान के कई शहरों के चित्रकार शिरकत करेंगे।  इस राज्यस्तरीय चित्रकला शिविर में के चित्रकार योगेंद्र कुमार पुरोहित, बीकानेर का प्रतिनिधित्व करेंगे। शिविर का उदेश्य राजस्थान के सुदूर क्षेत्रों में चित्रकला का सकारात्मक वातावरण बनाना है। इस मुहीम में गार्गी विद्यापीठ समिति नोहर और राजस्थान ललित कला अकादमी के अध्यक्ष श्री लक्ष्मण व्यास जी ने ये पहल और शुरुवात की है। जिसके परिणाम निश्चित रूप से सकारात्मक और अनुकरणीय होंगे। इस चित्रकार शिविर के संयोजक श्री महेंद्र प्रताप शर्मा के अनुसार दिनाक 3 जनवरी 2023 से 5 जनवरी 2023 तक ये चित्रकला शिविर जांगीड़ सुथार समाज भवन, नेहरू नगर, नोहर जिला, हनुमानग़ढ में आयोजित होगा। शिविर में कलाकारों को कैनवास और रंग रोगन तथा ब्रश आदि चित्र सामग्री आयोजन समिति द्वारा उपलब्ध करव...