माँ शारदा की प्रतिमा को पुनः ताम्र रंग से मूल स्वरूप में तैयार किया : योगेन्द्र कुमार पुरोहित

चित्रकार और साहित्यकार को माँ शारदे का आशीर्वाद किस रूप में मिले और कैसे मिले ये निश्चित नहीं पर ये बिलकुल निश्चित है की आप शिक्षा और माँ शारदे का सम्मान करते है तो आशीर्वाद का फल मिलना तय है। 

दो दिन पहले अजित फाउंडेशन के सभागार में मोळियो राजस्थानी बाल साहित्य उपन्यास के लेखक मनीष कुमार जोशी ने अपने उपन्यास मोळियो का लोकार्पण किया। तब माँ शारदे की प्रतिमा के आगे सभी ने पुष्प अर्पित किये मैंने भी किए। माँ शारदे की यह प्रतिमा अजित फाउंडेशन के सभागार में काफी लम्बे समय से स्थापित है और हर आयोजनों में सर्वप्रथम पूजा एवं पुष्पांजलि की जाती है वहाँ आयोजित होने वाले सभी प्रकार के साहित्य कला और सांस्कृतिक आयोजनों में।

इस बार अजित फाउंडेशन के सहायक कर्मचारी सरल स्वभाव के धनी, नैतिकता के मूल्यों को समझने वाले श्री गौरीशंकर जी ने मुझ से कहा की माँ शारदे की प्रतिमा का रंग पीताम्बरी से साफ़ करने के साथ ही छूट गया सो अब ये अच्छी नहीं दिख रही। कभी आप इसे पुनः इसके वास्तविक रंग में लाने का कार्य करे अजित फाउंडेशन के लिए।

 उनकी पीड़ा को मैंने समझा और जाना की हर कार्यक्रम में माँ शारदे की प्रतिमा की अनिवार्यता होती है और गौरीशंकर जी को माँ शारदे की प्रतिमा को अपने हाथों से स्थापित करना होता है जो उन्हें असहजता के भाव में ले जाता है और वे स्वयं रंग-रोगन करना जानते नहीं। सो मुझसे उन्होंने बिना किसी संकोच के, अपनत्व के भाव से अधिकार पूर्वक कहा आप इसे वास्तविक स्वरुप में लाये आप पुरोहित जी।

सो मैंने लेखक मनीष कुमार जोशी जी से आग्रह किया की आप अजित फाउंडेशन को सहयोग स्वरुप ताम्र रंग की व्यवस्था करवाए ताकि मैं माँ शारदे की प्रतिमा को उसके वास्तविक स्वरुप में ला सकुं। उन्होंने हामी भरी और आज दोपहर को मैं उपस्थित हुआ ताम्र रंग और मथेरण चित्रकला के चित्रकार श्री मूलचंद महात्मा जी के साथ।

मैंने माँ शारदे की प्रतिमा को साफ किया फिर प्रथम रंग का कोट मथेरण कला के चित्रकार मूलचंद महात्मा जी ने किया। उपरांत एक रंग कोट मैंने भी किया। फिर तूलिका से फाइनल टच के साथ माँ शारदे की प्रतिमा को स्प्रे कलर से मेटेलिक लुक में पुनः ला दिया जैसी की वो जब अजित फाउंडेशन में स्थपित की गयी थी। अजित फाउंडेशन के संयोजक श्री संजय श्रीमाली जी ने हम कलाकारों के लिए चाय की व्यवस्था भी की और बड़े ही आत्मीय भाव से आभार भी ज्ञापित किया लेखक श्री मनीष कुमार जोशी, मथेरण कला के चित्रकार मूलचंद महात्मा जी का और मेरा भी। पर मेरे लिए आभार से बड़ी बात माँ शारदे का आशीर्वाद था जो आज इस रूप में मुझे मिला अजित फाउंडेशन में जिसकी मैंने कल्पना नहीं की थी। सो साधुवाद श्री गौरीशंकर जी, अजित फाउंडेशन को।

कुछ फोटो उस जीवंत कला अभिव्यक्ति के कला की देवी माँ शारदे के लिए किये गए कला कर्म को आपके अवलोकन हेतु।

योगेन्द्र कुमार पुरोहित
मास्टर ऑफ फाइन आर्ट
बीकानेर - इंडिया

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