वनस्थली विद्यापीठ "डिजाइन शो-केस_2024" वार्षिक प्रदर्शनी : संदीप सुमहेन्द्र

महिला शिक्षा में श्रेष्ठ और विशेष स्थान रखने वाली देश की प्रसिद्ध विश्वविद्यालय "वनस्थली विद्यापीठ के डिपार्टमेंट ऑफ डिजाइन एवं स्कूल ऑफ आर्किटेक्चर द्वारा वार्षिक प्रदर्शनी का जवाहर कला केन्द्र में की सुकृति कला दीर्घा में सफलतापूर्वक आयोजन हुआ।

प्रदर्शनी का विधिवत उद्घाटन जयपुर के प्रख्यात कलाकार प्रो. चिन्मय मेहता, "अनन्ताया" की मैनेजिंग डायरेक्टर एवं प्रसिद्ध आर्किटेक्ट श्रीमती गीतांजलि कासलीवाल, नवोदय विद्यालय समिति, जयपुर सम्भाग के डिप्टी कमिश्नर श्रीमान एस.के. माहेश्वरी तथा जवाहर कला केन्द्र की एडिशनल डायरेक्टर सुश्री प्रियंका जोधावत द्वारा किया गया।

छात्राओं को संबोधित करते हुए प्रो. मेहता जी ने कहा की गाँधीवादी आदर्शो को साकार करती महिलाओं के लिये देश की सबसे नायाब संस्था वनस्थली विद्यापीठ की विश्वभर में अपनी अलग पहचान है। मैं इस विद्यापीठ में 60 के दशक से वहाँ आता जाता रहा हूँ। पहले गांव के सादे परिवेश में उच्च शिक्षा का एक आकर्षक प्रतिष्ठान सभी को मोहता था। विज्ञान व तकीनीक की इस बदली सदी से कदम मिलाकर आज वनस्थली (बहु विधायी विश्वविद्यालय के रूप में) उच्च शिक्षा की नई ऊंचाइयों को छू रहा है, यह हमारे एवं इस संस्था से शिक्षा प्राप्त छात्राओं के साथ साथ चित्रकारों शिल्पकारों के लिए भी गर्व की बात है। इसी क्रम में यहाँ का डिजाइन संस्थान भी बहुत ही उल्लेखनीय कार्य कर रहा है जिसकी बानगी आज जे.के.के में आयोजित इस सुंदर प्रदर्शनी में मुझे देखने को मिली है। कला एवं सृजन से जुड़े दर्शक एवं कला प्रेमी भी इससे देखकर बहुत प्रभावित हुए होंगे ऐसा मुझे महसूस ही रहा है।


मेरे आग्रह पर वरिष्ठ चित्रकार श्री समदर सिंह खंगारोत "सागर जी" एवं श्री आर बी गौतम जी ने भी प्रदर्शनी का अवलोकन किया और छात्राओं से उनके सर्जनात्मक विचारो को जाना। सभी छात्राओं ने विस्तारपूर्वक अपने अपने कार्य के बारे में। सभी के विचार जानकार सागर जी ने कहा कि आज आप सभी के प्रतिभाशाली और शक्तिशाली रचनात्मक कलाकृतियों देख कर मुझे बहुत खुशी हुई।

विद्यापीठ से अपने संबंधों की जानकारी देते हुए उन्होंने बताता है कि मेरा स्वयं का भी शुरू से ही वनस्थली विद्यापीठ के टीचर्स और स्टूडेंट्स से बहुत अच्छा और अद्भुत साथ रहा है, किसी न किसी रूप में प्रारंभ से ही वनस्थली विद्यापीठ से मेरा जुड़ाव रहा है। परम श्रद्धेय श्री हीरालाल जी शास्त्री साहब के मूल गांव के पड़ोस का या यूं कह सकते हैं कि मैं भी उनके गांव का ही रहने वाला हूं। और उनके परिवार का जयपुर में वर्षों तक पड़ोसी भी रहा। वहां के कला विभाग के लगभग सभी प्रसिद्ध कलाकारों से बहुत मेरा बहुत गहरा लगाव और सम्पर्क रहा है।

वनस्थली की कला शिक्षा में जो एक बहुत महत्वपूर्ण और जरुरी बात रही है वो है किसी भी कला शैली की बहुत गहराई से अध्ययन करते हैं और उसके बाद वे उन्हें अपने अंदाज में बनाते हैं, आप सभी को भी अपने आस-पास और दूर के भी एलिमेंट्स का गहन अध्ययन खूब गहराई से करके अपनी एक बिल्कुल अलग और नयी कृति का सृजन करते रहना चाहिए। वर्तमान में हमारी समृद्ध लोक कला एवं संस्कृति को आगे बढ़ाने की जिम्मेदारी आप सभी युवाओं पर बहुत अधिक है। आज यहां आप सभी को देख कर और आपके काम देखकर बहुत आनंद आया। आप और आपके सभी गुरुजनों को मेरी बहुत बहुत बधाई और हार्दिक साधुवाद।


वरिष्ठ चित्रकार एवं पत्रकार कलाविद श्री आर. बी. गौतम जी ने प्रदर्शनी के अवलोकन पश्चात कहा कि वनस्थली विद्यापीठ के विद्यार्थियों द्वारा शिक्षा के विविध आयामों में किए सृजनात्मक अभिव्यक्ति में न केवल विद्यार्थियों की बहुविध प्रतिभा बल्कि यहां के शिक्षकों की कर्तव्य परायणता और उनके बहुविधि ज्ञान का परिचय भी मिलता है। उन्होंने भी छात्राओं को एकाग्रता से चिंतन एवं मनन कर अपनी अभिव्यक्ति को उकेरने की सलाह दी।

प्रदर्शनी के संयोजक जय पटेल जी से चर्चा हुई तो मैंने उन्हें बताया की "वनस्थली विद्यापीठ के शिल्प मंदिर में मेरे पिताश्री डॉ सुमहेन्द्र जी की फ्रेस्को पेंटिंग्स बनाई हुई है जो उन्होंने विद्यापीठ में कला संकाय के संस्थापक प्रो. देवकीनंदन शर्मा जी द्वारा आयोजित भित्ति चित्रण शिविर में बनाये थे, शायद 60 या 70 के दशक में "वैसे तो प्रो. देवकीनंदन जी के सुपुत्र श्री भवानी शंकर जी ने मुझे उन पेंटिंग्स के फोटो दिए है" लेकिन एक बार वहाँ जाकर अपनी आँखों से उन चित्रों को देखने की बहुत इच्छा है मेरी बात सुनते ही प्रो. जय पटेल जी ने कहा की आपको जब भी समय मिले आप जरूर पधारे।

तभी मुलाकात हुई श्री नरेन्द्र देव जी से, दवे जी राजस्थान स्कूल ऑफ आर्ट में मुझे डिजाइनिंग और फोटोग्राफी पढ़ते थे लेकिन उनसे गुरु शिष्य के साथ साथ मुझसे उनके बहुत आत्मीय और मित्रवत संबंध रहे है। आज लंबे समय बाद मुलाकात हुई तो बहुत से स्मृतियों पर खुल के बातें हुई। दवे जी के सुपुत्र दुष्यंत दवे भी वनस्थली विद्यापीठ में डिजाइन विभाग में एसोसिएट प्रोफेसर है।

इस प्रदर्शनी को देखने के उपरांत श्री नरेन्द्र देव जी से भी चर्चा हुई, उनका कहना था की वनस्थली विद्यापीठ के डिजाइन डिपार्टमेंट की एनुअल एग्जीबिश में बैचलर इन डिजाइन कोर्स के फाउंडेशन, कम्युनिकेशन डिजाइन, फैशन डिजाइन एंड इंटीरियर डिजाइन और आर्किटेक्चर के स्टूडेंट के सिलेक्टेड वर्क डिस्प्ले किए गए। इस एग्जिबिशन में टेक्सटाइल, ज्वैलरी, वीएफएक्स और फिल्म मेकिंग जैसे एक्सक्लूसिव कोर्सेज के डिस्प्ले देख कर यूवा स्टूडेंट्स को काफी मोटिवेशन मिला है। वनस्थली विश्वविद्यालय के डिज़ाइन डिपार्टमेंट की एग्जिबिशन देखना सुखद अनुभूति है। ज्वैलरी डिज़ाइन, इंटीरियर डिजाइन, और आर्किटेक्चर डिज़ाइन डिपार्टमेंट के स्टूडेंट्स के वर्क नए इनोवेशन के साथ किए गए हैं। टेक्सटाइल डिपार्टमेंट तो बहुत पुराना है ही। स्वाभाविक है काम तो बहुत अच्छा होगा ही।

इस अवसर पर वनस्थली विद्यापीठ की कुलपति महोदया प्रो. ईना आदित्य शास्त्री के मार्गदर्शन में यह प्रदर्शनी आयोजित हुई। साथ ही प्रदर्शनी में 33 छात्राओं के सृजित कार्यों को प्रदर्शित किया गया, साथ फैकल्टी के शिक्षकों में श्री जय पटेल, डॉ. ईशा भट्ट, डॉ. आशिमा अरोड़ा श्री रफीक मोहम्मद, आर्किटेक्ट विवेक कुमार एवं श्रीमती सुचेता धाड़गे भी उपस्थित रहे। मेरे साथ राजस्थान स्कूल ऑफ़ आर्ट से कला शिक्षा प्राप्त किये श्री राजकुमार चौहान, श्री अजय मिश्रा और श्री ताराचंद शर्मा ने भी इस प्रदर्शनी की बहुत सराहना किये बिना न रहा सके।  


संदीप सुमहेन्द्र
चित्रकार एवं कला समीक्षक
अध्यक्ष, कलावृत्त - ए क्रिएटिव आर्टिस्ट फोरम
ईमेल : sundipsumahendra@gmail.com
मोबाइल : 91+98294 37374

Comments


  1. सभी उभरते हुए प्रतिभावान कलाकारों के उज्वल भविष्य की कामनाओं के साथ बधाई !
    आभार कलावृत्त के संपादक श्री संदीप शर्मा जी का जिन्होंने इस रचनात्मक पोस्ट के माध्यम से मुझे इस नूतन कलाकारों की कला प्रदर्शनी के अवलोकन करने के लाभ से लाभान्वित करवाया !
    चित्रकार
    योगेंद्र कुमार पुरोहित
    मास्टर ऑफ़ फाइन आर्ट,
    बीकानेर, इंडिया

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