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Showing posts from 2022

भारतीय चित्रकला का इतिहास पुस्तक समीक्षा : योगेन्द्र कुमार पुरोहित

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भारतीय चित्रकला का इतिहास पुस्तक समीक्षा  चित्रकार मित्रों एवं कला विद्यार्थियों इस सप्ताह मुझे डॉ. राकेश गोस्वामी (आर्ट हिस्टोरियन) की पुस्तक "भारतीय चित्रकला का इतिहास" (प्रागेतिहासिक काल से बंगाल स्कूल तक) की प्रति प्रकाशक गोस्वामी पब्लिकेशन एंड डिस्ट्रीब्यूटर, 14 कटरा रोड, प्रयागराज- 211002 द्वारा प्राप्त हुई, जिसकी समीक्षा के लिए मुझे भारतीय डाक के माध्यम से भेजी गई। जिसका मैंने एक कला विद्यार्थी की भांति गहनता से अध्ययन किया और पाया की पुस्तक आसान भाषा में कला विद्यार्थी शोधार्थियों के बौद्धिक स्तर को ध्यान में रख कर लिखी गयी है। पुस्तक के लेखक डॉ. राकेश गोस्वामी ने भारतीय कला के इतिहास को अपनी पेनी नजर से खंगालते हुए पुनः नए सिरे से शुरुवात की है जो कला अध्ययन के लिए बहुत जरुरी और उपयोगी है। भारतीय चित्रकला के इतिहास को डॉ राकेश गोस्वामी ने करीब 400 पृष्ठ की इस पुस्तक में पूर्ण तथ्यों और घटनाओं के साथ भारतीय चित्रकला और उसके चित्रकारों को उल्लेखित किया है। पुस्तक के अध्ययन से ज्ञात हुआ की अजंता, बाघ, सिंघिरिया आदि चित्र गुफाओं का लेखक ने स्वयं वहाँ जाकर गहन अवलोकन ...

मथेरण कला के तपस्वि श्री मूलचंद महात्मा बीकानेर : योगेंद्र कुमार पुरोहित

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इतिहास में जहाँ एक तरफ अजन्ता की कला बिखर रही थी वही दूसरी और बीकानेर रियासत की नीव रखी जाने लगी थी! दोनों अलग अलग बात है इतिहास में, फिर भी इनमे एक समानता है और वो है कला! अजंता जिन कारणों से विलुप्त होने को थी वही उसकी कई उपशैलियाँ किसी अन्य कारणों से फल फूलने लगी थी! और इसी क्रम में बीकानेर रियासत में भी अजंता की उपशैली का विकास चित्रकला के रूप में हुआ था! जिसे मथेरण कला कहा गया! बीकानेर रियासत में मथेरण कला मेवाड़, मारवाड़, से होते हुए पहुंची और इसे आश्रय मिला! मथेरण नाम से पहले ये अजंता की ही शैली रही होगी, जिसका उदेश्य मात्र बौद्ध और जैन धर्म का प्रचार रहा होगा पर बीकानेर रियासत में आते ही ये उपशैली मथेरण एक मिश्रित चित्र शैली के रूप में सामने आयी! एक विशेष जाति के परिवार के कारीगर जिन्हे मथेरण जाति कहा जाता है! उन्होंने बीकानेर के राज महलों, मंदिरों और धनाड्य वर्ग के प्रासादों को अपनी चित्रशैली से अलंकृत किया! मथेरण चित्र के विषय अब अजंता की भांति नहीं थे न ही उनमे बुद्ध के जीवन की जातक कथाएं थी! मथेरण कलाकारों के चित्रों का विषय अब हिन्दू देवी देवताओं की जातक कथा...

Gurmeet Goldie - Art is Putting mind in Creation to associate with the People : Jang S. Verman

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“Art field has given a lot, taught a lot, given peace of mind, first of all, given joy in our life.. You are taught to be restrained in your life, whatever is in the field of this art, the artists are blessed because when an artist creates any art work, he dissolves himself in it, gets lost in it. He diverts his attention from the world, to only complete the journey of art. He lives, realizes, goes to meditation and in himself, the enjoyment becomes different. In every breath, this is just how he makes his art? How to get it out? He gets immersed in this whole process and by the time he reaches the final stage, he is completely drowned. Whatever a person likes, he does the same, but the art perfectly combines the artist, putting his mind fully in the art work to associate his mind with the people. The artist does the work of connecting with each other. When we watch a drama or a movie, we live every scene we watch, that is, we go into it, we laugh and weep. It’s the hard work of many p...

25 वाँ लोकरंग विभिन्न संस्कृतियों का समन्वय - डॉ. रेणु शाही

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जयपुर स्थित जवाहर कला केन्द्र द्वार इस वर्ष आजादी का अमृत महोत्सव के अंतर्गत वार्षिक समारोह  "लोकरंग 2022 "   का भव्य आयोजन किया गया। यह कार्यक्रम लोकरंग के 'रजतजयन्ती' के रूप में मनाया गया है। इस कारण इसका विशेष महत्व है। दिनांक 10 अक्टूबर से 20 अक्टूबर तक आयोजित होने वाले इस समारोह का उद्घाटन श्रीमती गायत्री राठौड़ (प्रमुख शासन सचिव, कला, साहित्य, संस्कृति, पुरातत्व व पर्यटन विभाग) द्वारा दीप प्रज्वलित करके किया गया। इस मौके पर डॉ. अनुराधा गोगिया अतिरिक्त महानिदेशक जवाहर कला केन्द्र जयपुर, अब्दुल लतीफ उस्ता, संग्रहाध्यक्ष जकेके, रामपाल कुमावत, प्रशासनिक अधिकारी, भरत सिंह केयरटेकर तथा कला एवं कलात्मक गतिविधियों से जुड़े गणमान्य लोग एवं कलाकार उपस्थित थे। लगभग हर वर्ष की तरह ही इस वर्ष भी देश के विभिन्न राज्यों से हस्तशिल्प एवं कलाकृतियों की दुकाने सजाई गयी। इसमें राजस्थानी चित्र कला के विविध रूपों को दिखने का मौका मिला, जैसे लघुचित्र कला एवं आधुनिक चित्रकला के मूर्त - अमूर्त दोनों रूपों को देखा गया। इसमें कुछ यथार्थवादी चित्रण भी देखने को मिलें जिनमें दैनिक जीवन से...

"मोहनदास से महात्मा" चित्रकार द्वारा गांधी के चित्रों का सृजन एवं प्रदर्शनी - संदीप सुमहेन्द्र

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जयपुर के चित्रकार चन्द्रप्रकाश गुप्ता ने राष्ट्रपिता महात्मा गांधी के चेहरे पर वात्सल्य और दृढ़ संकल्प के भावों को प्रमुखता से चित्रित किया। जवाहर कला केन्द्र में दो दिवसीय आयोजित प्रदर्शनी में महात्मा गांधी के चित्रों की प्रदर्शनी लगाई गई। चित्रकार द्वारा महात्मा के जीवन पर किया अध्ययन और चिंतन में मगन महात्मा के हर भावों को एवं तत्कालीन घटनाओं को बड़ी कुशलता से सृजित कर अपने चित्रों को जीवंत बनाया है। जवाहर कला केन्द्र की सुकृति आर्ट गैलरी में हुई गांधी के मोहनदास से महात्मा तक के सफर थीम पर बनाएं 27 चित्रों को प्रदर्शित किया। इन चित्रों में विशेष रूप से महात्मा के सिरहाने बैठी बालिका इंदिरा गांधी, उन्हें महात्मा का उद्बोधन देने वाले गुरु रवीन्द्रनाथ टैगोर सभी चित्र इनके आस-पास बैठे लोगों से जीवंत संवाद कर रहे हों ऐसा प्रतीत होता है। इस प्रदर्शनी का विधिवत उद्घाटन कला एवं संस्कृति मंत्री डॉ. बी.डी. कल्ला, विधायक प्रशांत बैरवा, संस्कृतिकर्मी सुधीर माथुर एवं सुधीर कासलीवाल ने किया। एक चित्र मे दांडी यात्रा के लिए गांधी का संकल्प, के साथ अन्य कुछ विशेष घटनाओं में एक बालिका को लाड़ करते...

पारंपरिक लघु चित्रण कला को समर्पित महिला चित्रकार एवं शिक्षिका : संदीप सुमहेन्द्र

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पंजाब की निवासी चित्रकार जसप्रीत कौर वर्तमान में गवर्नमेंट कॉलेज फॉर गर्ल्स, लुधियाना में असिस्टेट प्रोफेसर के पद पर अपनी सेवाएं दे रही है। लघु चित्रण के प्रति अपने लगाव एवं कलागुरू डॉ. सुमहेन्द्र द्वारा वर्ष 2005 से पंजाबी यूनिवर्सिटी, पटियाला में आरंभ किए लघु चित्रण के विशेष पाठ्यक्रम में विधिवत लघु चित्रण विधा को अपने गुरु डॉ. सुमहेन्द्र के सानिध्य में वर्ष 2009 से 2011 तक प्रशिक्षण ले कर सीखा और इसकी बारीकियों को समझा, और निरंतर अभ्यास से दिन प्रतिदिन अपनी कलम को और उत्कृष्टता प्रदान कर नये नये प्रयोग कर लघु चित्रण में सृजन कर रही है। जसप्रीत इस विधा में प्रयोग होने वाले प्राकृतिक रंगो का ही उपयोग करती है जिन्हें ये स्वयं ही बनती है। परम्परागत चित्रण के साथ साथ इसी विधा में समसामयिक विषयों पर भी बहुत उत्कृष्टता और सुंदर संयोजन के साथ रंगो का चयन बड़ी सावधानी से करती है जिससे चित्र की मौलिकता देखते ही बनती है। अपनी यादों को ताजा करते हुए जसप्रीत ने बताया कि जब मैंने पंजाब यूनिवर्सिटी में पहली बार सुमहेन्द्र सर को पेंटिंग बनाते हुए देखा तो लघु चित्रण के प्रति मेरा भी इंट्रेस्ट और बढ...

सृष्टि के सृजनकर्ता भगवान श्री विश्‍वकर्मा और उनके शास्‍त्र : श्रीकृष्ण जुगनू

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यह मेरे लिए प्रसन्नता का विषय है कि कल तक जो शिल्प और स्थापत्य के ग्रंथ केवल शिल्पियों के व्यवहार तक सीमित और केन्द्रित थे, उन पर आज अनेक संस्थानों से लेकर कई विश्व विद्यालयों तक ज्ञान सत्र आयोजित होने लगे हैं, सेमिनार, राष्ट्रीय, अंतरराष्ट्रीय गोष्ठियां, वेबीनार आदि होने लगे हैं। अनेक विद्वानों की भागीदारी होने लगी हैं। शिल्प के ये विषय पाठ्यक्रम के विषय होकर रोजगार और व्यवहार के विषय हुए हैं। शिल्‍प और स्‍थापत्‍य के प्रवर्तक के रूप में भगवान् विश्‍वकर्मा का संदर्भ बहुत पुराने समय से भारतीय उपमहाद्वीप में ज्ञेय और प्रेय-ध्‍येय रहा है। विश्‍वकर्मा को ग्रंथकर्ता मानकर अनेकानेक शिल्‍पकारों ने समय-समय पर अनेक ग्रंथों को लिखा और स्‍वयं कोई श्रेय नहीं लिया। सारा ही श्रेय सृष्टि के सौंदर्य और उपयोगी स्‍वरूप के र‍चयिता विश्‍वकर्मा को दिया। उत्तरबौद्धकाल से ही शिल्‍पकारों के लिए वर्धकी या वढ़्ढी संज्ञा का प्रयोग होता आया है। 'मिलिन्‍दपन्‍हो' में वर्णित शिल्‍पों में वढ़ढकी के योगदान और कामकाज की सुंदर चर्चा आई है जो नक्‍शा बनाकर नगर नियोजन का कार्य करते थे। यह बहुत प्रामाणिक संदर्भ है, ...

Indian artist join 18th International Mark Rothko Painting Symposium 2022 : Sundip Sumahendra

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Artist Amit Kalla is participate 18th International Painting Symposium. The Daugavpils Mark Rothko Art Centre will open the 18th International Mark Rothko Painting Symposium. Exhibition and host a meeting with the authors At 4 p.m. on Friday, 16 September, 2022. Eighteen and counting – that’s how many times Daugavpils has brought together artists from across the planet into a shared time-space to give free rein to their creativity and, possibly, change the world for the better, at least a little, because every bit counts. This is the tenth time the International Mark Rothko Painting Symposium has been held at the Daugavpils Mark Rothko Art Centre, making it an anniversary occasion. Indian artist Amit Kalla said, For me it's really wonderful moments to realise the sence and essance of creativity which certainly have much larger meaning, Art is the connection between man and Cosmic realm, which exists in our visual imaginations, Again and again each and every moment am trying to rea...

राजीव आचार्य : गागर में सागर सा एक व्यक्तित्व

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• राजीव आचार्य एक बहुआयामी व्यक्तित्व के घनी कुशल प्रशासक, अभिनेता निर्देशक, लाइट व साउण्ड इन्जीनियर, सम्पादक और वृत्तचित्रों का निर्देशन और अभिनय आदि भूमिकाएँ निभाने वाले हरफ़नमौला “राजीव आचार्य” को कला, साहित्य, लोक संस्कृति और फ़िल्मांकन के क्षेत्रों में कौन नहीं जानता, पश्चिम क्षेत्र सांस्कृतिक केंद्र के साथ काम करते हुए, उदयपुर को अपना उत्सव, यूएसएसआर के महोत्सव, शिग्मो उत्सव, लोकोत्सव, आदिम उत्सव और मारू से सागर तक और राजस्थान, गुजरात, महाराष्ट्र में आयोजित अन्य प्रमुख त्योहारों के सफल संचालन के लिए अग्रणी क्रेडिट “राजीव” को जाता हैं। दमन और दीव और दादरा और नगर हवेली के केंद्र शासित प्रदेशों के साथ गोवा और जवाहर कला केंद्र, जयपुर में उन्होंने लोकरंग और अन्य वार्षिक उत्सवों का प्रबंधन भी किया। नाट्य रूपांतरण के साथ-साथ विविध क्षेत्रों के नायाब जादूगर “राजीव” की विभिन्न उपलब्धियों में से एक उपलब्धि प्रस्तुत वीडियो हैं, जिसमें गुलाबी नगर जयपुर के कला तीर्थ “जवाहर कला केन्द्र” पर बने वृत्तचित्र में जयपुर के संस्थापक महाराजा सवाई जयसिंह के वास्तुशास्त्र से लेकर जवाहर कला केन्द्र की ड...

स्मृति शेष : डाॅ० प्रेमा मिश्रा

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 सर्व ‘दीदी’ : डाॅ० प्रेमा मिश्रा 3.10.1935- 12.08.2022 प्रेमा दीदी आज ब्रह्मलीन हो गयीं। सहजता स्मृति शेष : डाॅ० प्रेमा मिश्रा और विनम्रता ने उन्हें सर्व ‘दीदी’ का खिताब दे दिया था। इधर कुछेक वर्षों से वे अस्वस्थ चल रहीं थीं पर आज वह अंतिम घड़ी भी आ गयी। भाई प्रो.अभय द्विवेदी से प्राप्त जानकारी के अनुसार आज ही कानपुर (सिद्धनाथ घाट, जाजमऊ) में उनका अंतिम संस्कार भी कर दिया गया। कानपुर ही उनका कर्म क्षेत्र रहा है। यहां के जुहारी देवी गर्लस् पी जी कालेज के चित्रकला विभाग की वे विभागाध्यक्ष रहीं। चित्रकला में डी.लिट् उपाधिधारी डाॅ. प्रेमा मिश्रा चित्रकला के अतिरिक्त हिन्दी साहित्य में भी निष्णात थीं। एक महिला चित्रकार के रुप में उनकी अपनी पहचान रही है। वहीं हिन्दी कला-लेखन पर भी उनकी पकड़ अच्छी रही है। उनके लेख आदि प्रतिष्ठित पत्र-पत्रिकाओं में स्थान पाते रहें हैं। अस्वस्थता के बावजूद, कोई दो वर्ष (कोरोना काल) पूर्व, जब मैंने उनसे उनके कला गुरु प्रो० सी.बरतरिया पर लेख का आग्रह किया तो वे बेझिझक तैयार हो गईं, और निर्धारित अवधि के अंदर ही उन्होंने उसे लिख भी भेजा। कला-विकास के कार्यों म...

Artist Amit Kalla will join 18th Painting Symposium of Mark Rothko : Sundip Sumahendra

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Amit kalla will join 18th, Mark Rothko Painting Symposium and Residency, 2022 Daugavpils, Latvia. Jaipur based Painter and Poet, Amit Kalla is one of ten global artists selected for the Painting Symposium and Residency at Mark Rothko Art Centre in Daugavpils, Latvia, the birthplace of modern abstract artist Mark Rothko. This unique residency at the Mark Rothko Art Centre where the ten artists from world will participate in a transcultural environment to critically engage with ideas central to the Abstract Expressionist visual arts practice and will make paintings and gave talks about process, work, and influences. For symposium participants, meeting creators from other countries and sharing a workspace in the art centre’s studios is both a blessing and a challenge. It will provide a chance to immense potential to broaden creative horizons and bring new insights to every participant. By using abstract, geometric and expressive language, the artists demonstrate the diversity of their ind...

जीवन के अस्तित्व को ऑर्गेनिक फॉर्म्स द्वारा रेखांकित किया चित्रकार पल्लवी पंडित ने : संदीप सुमहेन्द्र

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 संकल्पना - जीवन की शुरुआत , चित्रकार पल्लवी पंडित की एकल प्रदर्शनी मंगलवार, 1 अगस्त को कला दलन, चौथी मंजिल, विदर्भ साहित्य संघ, सीताबर्डी में आरंभ हुई। वी.एस.एस. अध्यक्ष मनोहर म्हैसालकर ने प्रदर्शनी का विधिवत उद्घाटन किया, साथ में वनराज ट्रस्टी गिरीश गांधी, विशिष्ठ अतिथि के रूप में श्री दीपक जोशी, पूर्व विभागाध्यक्ष, चित्रकला विभाग, राष्ट्रसंत तुकड़ोजी महाराज विश्वविद्यालय, नागपुर और कलाकार, कला विद्यार्थी एवं अन्य गणमान्य व्यक्ति उपस्थित रहे। पल्लवी सिम्बायोसिस, नागपुर कैंपस में विजिटिंग लेक्चरर हैं और उन्होंने मास्टर्स ऑफ फाइन आर्ट्स, एम.एफ.ए (पेंटिंग) विधा से किया है जिसमें उन्होंने राष्ट्रसंत तुकड़ोजी महाराज नागपुर विश्वविद्यालय से स्वर्ण पदक जीता है। पल्लवी पंडित को वर्ष 2014-16 में संस्कृति मंत्रालय, भारत सरकार, नई दिल्ली द्वारा फेलोशिप (विषय : आधुनिक भारतीय चित्रकला के प्रणेता: रवींद्र नाथ टैगोर, जैमिनी राय, अमृता शेरगिल, जॉर्ज कीट) से भी सम्मानित किया गया है। सी शिवराममूर्ति द्वारा लिखित "भारतीय चित्रकला" किताब का मराठी भाषा में अनुवाद भी किया है इसे एन.बी.टी द्वारा ...