76 महिलाओं ने राजस्थान के किले, महल और हवेलियों को चित्रित किया : संदीप सुमहेन्द्र





विश्व धरोहर दिवस के अवसर पर 'वीमन आर्ट ऑरा-6' द्वारा दो दिवसीय प्रदर्शनी का सार्थक आयोजन हुआ। 
इस बहुउद्देशीय प्रदर्शनी का आयोजन करते हुए विनीता प्रजापति ने सफलता पूर्वक संचालन किया। जिसके लिए निसंदेह वें प्रसंशा की पात्र है। प्रतिभागी कलाकारों एवं कला प्रेमियों के लिए प्रदर्शनी को और अधिक रोचक बनाने के लिए कुछ चित्रकारों ने लाइव म्यूजिक परफॉर्मेंस से सभी कला प्रेमियों का मन मोह लिया। इस परफॉर्मेंस में विक्रम सिंह शेखावत, लक्ष्मी गजराज, पूजा भारद्वाज, गीतांजलि कोठारी , हर्षा गुप्ता, पूजा भार्गव , संजय शर्मा आदि ने खूब तालियां बटोरी।


जयपुर के जवाहर कला केन्द्र की सुकृति कला दीर्घा में वर्ल्ड हेरिटेज डे के मौके पर महिला कलाकारों ने कैनवास पर राजस्थान के मॉन्यूमेंट्स को चित्रित कर अपने टैलेंट का दमखम दिखाया। मौका था विनिता आर्ट्स एंड आर्ट ट्यून के संयुक्त तत्वावधान में इस दो दिवसीय पेंटिंग एग्जीबिशन 'वीमन आर्ट ऑरा-6' के उद्घाटन समारोह उपरांत शुभारंभ हुआ।

मुख्य अतिथि, त्रिनेत्र गणेश मन्दिर ट्रस्ट, सवाई माधोपुर के प्रधान सेवक हिमांशु गौतम के करकमलों द्वारा विधिवत रूप से उद्घाटन किया गया। गौतम ने व्यक्तिगत रूप से एक एक चित्रकार से उनके चित्रों के बारे में जानकारी ली जिससे वें बहुत प्रभावित हुए और सभी चित्रों की प्रसंशा करते हुए कहा कि राजस्थान के मॉन्यूमेंट्स की पूरे विश्व में अलग ही पहचान है। यहाँ के हेरिटेज जगहों को देखने के लिए लोग विश्वभर से आते है। चित्रकारों को प्रोत्साहित करते हुए उन्होंने 10 पेंटिंग को खरीदा भी अपने संग्रह के लिए। साथ ही विक्रम सिंह शेखावत ने भी दो पेंटिंग खरीद कर चित्रकारों का उत्साहवर्धन किया। 

इस प्रदर्शनी में 75 कलाकारों की 150 से अधिक कलाकृतियाँ सुबह 10 से शाम 7 बजे तक आगंतुकों के लिए प्रदर्शित रही। आयोजक विनिता ने बताया कि विश्व धरोहर दिवस के उपलक्ष्य में राजस्थान की धरोहर की खूबसूरती को दिखाने के साथ इन्हे को बचाने को संदेश भी हम देना चाहते थे, और इसी उद्देश्य से इस प्रदर्शनी का आयोजन किया है, जिसमें स्कल्पचर्स, पेंटिंग्स और फोटोग्राफ्स के माध्यम से राजस्थान के मॉन्यूमेंट्स की खूबसूरती को दिखाया गया है। साथ ही कुछ आर्टिस्ट लाइव पेंटिंग का डेमो भी किया।

उद्घाटन के उपरांत मैंने कुछ चित्रकारों से उनके चित्रण एवं विचारों के साथ तकनीक पर भी चर्चा की। इस क्रम में सर्वप्रथम मेरी बात हुई जयपुर की पूजा भार्गव से तो पूजा ने बताया कि मेरी पेंटिंग्स मैं अपने चित्रों में जीवन के प्रति मेरे दृष्टिकोण को दर्शाने का प्रयास करती हूं। कलम की तरह, पेंट ब्रश भावनाओं और प्रकृति के तत्वों को स्पष्ट रूप से व्यक्त करने का शक्तिशाली उपकरण हैं। रंगों से किए गए प्रहार संस्कृति और धर्म की सारी सीमाएं तोड़ देते हैं। मेरे चित्र अपनी जीवंतता के साथ जीवंत हो उठते हैं और चमकीले रंगों के साथ जीवन और खुशियों को प्रतिबिंबित करती हैं, जो हमें पूरी तरह से जीवन जीने के लिए प्रेरित करती हैं। रंगीन पृष्ठभूमि चित्रों को अद्वितीय बनाती है, आगे बढ़ने की प्रेरणा देती है और हमेशा खुश रहने की आकांक्षा रखती है। मेरा मंत्र है "बनाए, फिर से बनाएं और बस बनाएं” मेरा मानना है "कला वहां बोलती है जहां शब्द समझाने में असमर्थ होते हैं, यह एक स्वतंत्र आत्मा की यात्रा है।"

फिर बात हुई राजस्थान स्कूल ऑफ आर्ट में मेरे सहपाठी रहे बृजराज राजावत की सुपुत्री रश्मि राजावत से राजस्थानी आन-बान और शान के साथ संस्कृति व गांव से मेरा सतत संबंध होने के कारण, राजस्थानी संस्कृति व परिवेश के दृश्य मेरे सबसे प्रिय विषय हैं। जल रंग की कठिनाइयां व सुंदरता के कारण यह चित्रांकन के लिए मेरा पसंदीदा माध्यम है। मैंने चारकोल पेंसिल सॉफ्ट पेस्टल एक्रेलिक में भी बहुत कार्य किया है और तेल रंग की पेंटिंग मुझे बहुत आकर्षित करती है, समय-समय पर मैं आयल पेंटिंग भी बनाती हूं। कला जगत में अपनी तूलिका से मैं सतत प्रयास करने हुए अपने सृजनात्मक चित्रण से अपना योगदान कर सकूं यही मेरा उद्देश्य है। इसी से मुझे आत्मिक संतुष्टि का सुखद अहसास होता है ।

साथ ही आत्मशिक्षित चित्रकार कविता उपाध्याय से बात हुई तो कविता ने बताया कि मैं ज्यादातर प्रकृति से संबंधित चित्र बनाती हूँ और मेरी कोशिश यही रहती है कि मैं सभी को प्रकृति से जोड़ूं और अपने आप को भी प्रकृति से जोड़े रखूं। विश्व धरोहर दिवस के मौके पर सभी महिला चित्रकारों के साथ मैंने भी अपने दो चित्रों ने 'अमेर के किले' को बनाया है। मेरी कोशिश रहती है कि मैं कुछ नया करूं। मेरे मन में जो विचार चलते हैं, वह मेरी पेंटिंग में अपने आप आ जाते हैं और अगर हम कला को समझें और उससे प्रेम करें तो सृजन अभिव्यक्ति में और अधिक निखार आता है।

इसके उपरांत एक शिल्प को देखा, जिसमें पेड़ के तने के छोटे से टुकड़े को पेपरमेशी के माध्यम से एक उजड़े हुए किले का रूप दिया गया था। यह शिल्प था पूजा भारद्वाज का। पूजा ने बताया कि उनके शिल्प का शीर्षक है "खंडित होती विरासत" पूर्वजों द्वारा निर्मित ये अदभुद किले, महल, हवेलियां और शहर हमारी जड़ें है, इन्हीं से हमारी पहचान है। आज के समय में इनका संरक्षण होना अत्यंत आवश्यक है। इनमें पड़ी दरारें संकेत दे रही है अपनी अंतिम सांसों का, समय रहते हम नहीं जागे तो ये हमेशा के लिए लुप्त हो जाएंगी। इन धरोहरों को हम किसी भी कीमत पर वापस नहीं पा सकते ना ही इन्हें दुबारा बना सकते है। ये वो अदभुद धरोहरे है जिन्हे हम अपनी आने वाली पीढ़ी को देंगे, कही ऐसा ना हो की हम उनके गुनहगार बन जाए।

प्रदर्शनी में अगला चित्र था शिल्पी चटर्जी का, शिल्पी ने बताया कि मुझे हमेशा से रंगों ने अपनी ओर खिचतें है, मैंने अपनी पेंटिंग में रंगो के द्वारा राजस्थान की जीवंत संस्कृति को दिखाने की कोशिश की है। मै पीले रंग के मध्यम से राजस्थान की खुशी, उमंग, उत्साह को अपने चित्र ने दिखने की कोशिश की है उम्मीद करती हूं कि यह सभी को पसंद आएगा। तभी आमेर महल के एक झरोखे के चित्रण ने मुझे स्वयं को देखने के लिए उत्साहित किया, यह तस्वीर थी जयपुर की चित्रकार किरण राजे की जिसमे उन्होंने पेपर मेशी से झरोखे की खिड़की बनाई और अन्दर कि और शीशा लगाया। रश्मि राजावत से बात करते समय मैंने उसी शीशे में रश्मि का फोटो क्लिक किया। जिसे देखकर वो बहुत प्रसन्न हुई। इसी शीशे में दैनिक भास्कर के फोटो जर्नलिस्ट मनोज जी ने मेरी फोटो भी क्लिक की।

गाजियाबाद से आई आर्टिस्ट सुमित्रा प्रजापत ने हवामहल की पेंटिंग बना सभी का ध्यान अपनी ओर खींचा। वही उदयपुर से आर्टिस्ट प्रीति निमावत, प्रज्ञा गर्ग व सिमरन बिड़ला ने उदयपुर के सिटी पैलेस, सहेलियों की बाड़ी को बहुत ही सुन्दरता से चित्रित करते हुए कैनवास पर उतारा, जोधपुर की कलाकार हर्षा गुप्ता ने जसवंत थडा कों चित्रित किया है। हर्षा ने बताया कि वो अधिकतर जल रंगों में प्रकृति का चित्रण उसी स्थान पर रह कर करने में विश्वास रखती है ताकि उनका चित्र और अधिक प्रभावी बन सके।

जयपुर की ही चित्रकार सुमन शेखावत ने अपने चित्र में जैसलमेर के गढ़ीसर झील में बने स्मारक की छतरी को चित्रित किया है। जलरंग से बनी इस पेंटिंग है में रंगों का अच्छा प्रभाव है। सुमन ने आगे बताया कि मैंने इस प्रदर्शनी के लिए जोधपुर के घंटाघर और जैसलमेर की गढ़ीसर झील को चित्रित करने का मन बनाया। गढ़ीसर झील, जिसे "बापा रावल जैसल" ने बनवाया था। बाद में रावल गडसी सिंह ने इसका पुनर्निर्माण कराया था। मुझे लगता है कि हम वर्तमान पीढ़ी और आने वाली पीढ़ियों को अपने स्मारकों को संरक्षित करना चाहिए क्योंकि हमारे पूर्वजों ने उनकी रक्षा के लिए अपना जीवन दिया है।


प्रदर्शनी में प्रतिभागी चित्रकार : रश्मि राजावत, पूजा भारद्वाज, लैशराम मोनिका, पूजा भार्गव, अनामिका बैरियर, प्रिया दर्शनी जोधा, धर्मेन्द्र शर्मा, किरण राजे, शोभा विजयवर्गीय, कविता उपाध्याय, वर्षा व्यास, स्नेहलता गहलोत, पूनम तंवर, शीला पुरोहित, अनिशा चावला, सुस्मिता दास, कविता राठौड़, संगीता खींची, रती जोशी, शिल्पा शर्मा, ऋतु शर्मा, शिल्पी चटर्जी, खुशबू शर्मा, सुमित्रा प्रजापत - गाजियाबाद, अनुपमा शर्मा - उत्तराखंड, रेणु नवारिया, गीतांजलि कोठारी, डॉ. रीटा पाण्डेय, वंदना अग्रवाल, प्रियंका गोयल, नीलम नाइजी, राधा अग्रवाल - डीडवाना, शिल्पा पराते, मीना जैन, वंदना व्यास, लक्ष्मी गजराज, कोमल जांगिड़, द्रौपदी मीणा, अंजू दुबे, सोनू भारद्वाज, फरहा मुग़ल - बीकानेर, खुशबू जैन - दौसा, दीपिका पंवार - जोधपुर, विनीता पंवार - डीडवाना, भावना सक्सेना, डॉ. चारु भारद्वाज, निशा कुमारी, ममता परनामी, विनीता सिंह, सुमन शेखावत, पूर्णिमा पंत, कौशल्या बांकोलिया, मीनाक्षी खींची, सुरभि सिंह, मधु राठौड़, मधु सैनी, मानसी शर्मा, प्रतिभा यादव, डॉ. रेणु शाही, कविता सिसोदिया, दीपशिखा मेहता, निहारिका राठौड़, पूर्वा राजावत, बिंदु कुमावत, प्रियांशी जैन, दीपिका पारीक, पीयूष कुमारी, रुद्राक्षी शेखावत, प्रीति निमावत - उदयपुर, प्रज्ञा गर्ग - उदयपुर, नीलम पटेल - उदयपुर, हर्षा गुप्ता - जोधपुर, प्रतिभा गोयल, अरिना सिंह, सिमरन बिरला - उदयपुर आदि।

सभी 75 चित्रकारों के चित्रण के बारे में एक ही लेख में बताना संभव नहीं है, यह कई भागों में पूर्ण होगा। अत: अगला भाग कुछ समय बाद प्रेषित करूंगा।


संदीप सुमहेन्द्र
चित्रकार एवं कला समीक्षक
ई-मेल : sundipsumahendra@gmail.com

Comments

  1. Thankyou very much Pooja Bhargava, it's really wonderful exhibition by Vinita Arts, and big thanks to Vinita Prajapati for organizing everything very nicely. Covering some more artist in 2nd and 3rd part.

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  2. Wonderful exhibition by organizers. Thank you so much pooja bhargav for fantastic arts.

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  3. Bahut sari badhaiyan bahut bahut sari shubhkamnaen ISI tarah sab ek dusre ke sath se aage badhate rahen

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  4. Beautiful exhibition & beautiful article of sumhendrji sir👏👏
    Thank you so much sir🙏🙏

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  5. आयोजन और मायने में सफल हो जाते है ज़ब आप जैसे कला मर्मज्ञ सकारात्मक समीक्षा करतें हुवे सराहना करतें है, इस अति सुन्दर लेख के लिए आपको ह्रदयतल से आभार और साधुवाद 🙏🏻🙏🏻

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  6. Brajraj Rajawat21 April 2024 at 18:07

    बहुत ही सफल और सुंदर आयोजन,
    उत्साहपूर्ण भागीदारी और उत्कृष्ट चित्रों का प्रदर्शन। सभी सहभागी कलाकारों और आयोजकों को हार्दिक बधाई।
    इस अनूठी चित्र प्रदर्शनी की कलावृत्त व संस्था के संयोजक श्री संदीप सुमहेन्द्र जी के माध्यम से सम्पूर्ण और संतुलित समीक्षा सामने आयी है।
    मैं इस चित्र प्रदर्शनी को देख नहीं पाया था, किंतु विस्तृत और अच्छी कला समीक्षा पढकर उसकी काफी हद तक पूर्ति हुई है।
    बहुआयामी ब्यक्तित्व वाले हमारे साथी संदीप जी को बहुत बहुत बधाई ... और साधुवाद

    सभी कलाकारों को पुनः बधाई

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  7. 𝕍𝕚𝕟𝕚𝕥𝕒 𝔸𝕣𝕥𝕤 𝕕𝕨𝕒𝕒𝕣𝕒 𝕒𝕒𝕪𝕠𝕛𝕚𝕥 𝕓𝕒𝕙𝕦𝕥 𝕙𝕚 𝕜𝕙𝕦𝕓𝕤𝕦𝕣𝕥 𝕒𝕠𝕣 𝕤𝕒𝕗𝕒𝕝 𝕒𝕒𝕪𝕠𝕛𝕒𝕟👍
    में विनीता आर्ट्स का तहे दिल से आभार व्यक्त करती हुँ इतने खूबसूरत चित्र प्रदर्शनी के लिए🙏सभी ने इस प्रदर्शनी में बढ़ चढ़कर हिस्सा लिया और अपना महत्वपूर्ण योगदान दिया मैं भी इस खूबसूरत प्रदर्शनी का हिस्सा रही!
    मैं आदरणीय संदीप सुमहेंद्र सर जी का तहे दिल से आभार व्यक्त करती हूं उन्होंने बहुत ही खूबसूरत लेख लिखा इस प्रदर्शनी की आपने बहुत ही खूबसूरत तरीके से समीक्षा की बहुत बहुत आभार दिल से शुक्रिया🙏🙏🙏🙏🙏 आदरणीय सर जी आप हमें इसी तरीके से प्रेरणा देते रहें 🙏🙏🙏

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  8. वर्ल्ड हेरिटेज डे ( विश्व सांस्कृतिक धरोहर दिवस ) के उपलक्ष में राजस्थान की 76 महिला कलाकारों ने जिस प्रकार से सांस्कृतिक धरोहर को चित्रित किया है वो अद्वितीय है ! उनकी सांस्कृतिक धरोहर के लिए चिंता / संगरक्षण / उसके सोंदर्यकरण की जो अभिव्यक्ति इन चित्रों में मुखरित हुई है वो अपने आप में बेमिशाल है ! मेरा साधुवाद उन सभी महिला कलाकारों को जिन्होंने राजस्थान की सांस्कृतिक धरोहर के संगरक्षण की और ध्यान आकृष्ट करने को ये चित्र प्रदर्शनी वर्ल्ड हेरिटेज डे पर प्रदर्शित की ! संभवतः इसके दूरगामी परिणाम सकारात्मक स्वरुप में हमारे सामने आएंगे !
    आभार कलावृत्त के संपादक श्री संदीप शर्मा जी का जिन्होंने इस रचनात्मक पोस्ट के माध्यम से मुझे कला विद्यार्थी को लाभान्वित करवाया !
    चित्रकार
    योगेंद्र कुमार पुरोहित
    मास्टर ऑफ़ फाइन आर्ट,
    बीकानेर, इंडिया

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  9. Suman shekhawat24 April 2024 at 13:16

    Really appreciate the effort taken by kalavrritt in covering the event beautifully.your effort is motivating soany artist

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