76 महिला चित्रकारों ने राजस्थान के किले, महल और हवेलियों को चित्रित किया - द्वितीय भाग : संदीप सुमहेन्द्र

राज्य की कला संस्था विनीता आर्ट्स एवं आर्ट ट्यून के संयुक्त तत्वावधान में विश्व धरोहर दिवस पर आयोजित हुई "वीमन आर्ट ऑरा-6" द्वारा अदभुद चित्र प्रदर्शनी में प्रतिभागी चित्रकारों द्वारा लाइव म्यूजिक द्वारा आगंतुओं एवं कला प्रेमियों को देर तक प्रदर्शनी में बांधे रखा। इस परफॉर्मेंस में विक्रम सिंह शेखावत, लक्ष्मी गजराज, पूजा भार्गव, हर्षा गुप्ता एवं पूजा भारद्वाज ने खूब तालियां बटोरी।

जवाहर कला केन्द्र की सुकृति कला दीर्घा में 13 अप्रैल, 2024 को आरंभ हुई और 14 अप्रैल को संपन्न हुई। प्रदर्शनी का विधिवत उद्घाटन हिमांशु गौतम, प्रधान सेवक, त्रिनेत्र गणेश मंदिर, रणथंभोर द्वारा किया गया।

इस प्रदर्शनी की आयोजक एवं संचालिका विनीता प्रजापति ने बताया कि राजस्थान की धरोहरों की खूबसूरती को दिखाने और संरक्षित करने के उद्देश्य से इस प्रदर्शनी का आयोजन किया गया है, इसमें चित्रकारों ने पेंटिंग, स्कल्पचर, फोटोग्राफ्स और इंस्टालेशन को प्रदर्शित किया साथ ही कुछ चित्रकारों ने लाइव पेंटिंग का डेमो भी दिया।

मेरे आग्रह पर जेकेके के स्थापना दिवस के उपलक्ष में आयोजित प्रदर्शनी जिसमें "जेकेके द्वारा आयोजित कला शिविरों में सृजित अपनी अपनी पेंटिंग को देखने पधारे आदरणीय समदर सिंह खंगारोत "सागर जी" के साथ आदरणीय आर. बी. गौतम जी ने भी इस प्रदर्शनी को देखा एवं चित्रकारों से खूब बातें भी की साथ ही उन्हें और अच्छा चित्रण करने के लिए प्रेरित भी किया। मेरे साथ मेरे मित्र राजकुमार चौहान जो राजस्थान स्कूल ऑफ आर्ट में मेरे सहपाठी भी रहे है। उन्होंने भी दो दिन तक व्यवस्थाओं को संभालने में पूरा सहयोग भी किया।

मैं फिर अपने आलेख के लिए पेंटिंग्स की फोटो क्लिक करते हुए कुछ और चित्रकारों से उनके चित्रण एवं विचारों के साथ चित्रण की तकनीक पर भी चर्चा हुई, इस क्रम में अगली चित्रकार थी गीतांजलि कोठारी।


गीतांजलि ने बताया कि उन्होंने अपने एक चित्र में जैसलमेर की गड़ीसर झील, और दूसरे में जयपुर के जलमहल को चित्रित किया है मैं अलग अलग समय में देखती हूं तो इसके रंग रूप में अदभुत परिवर्तन होता है, उसी प्रकार तालाब व झीलों में बनी धरोहरों पर सुबह, दोपहर और रात के समय में पड़ने वाले प्रकाश का खूब अध्ययन किया, जिससे उसकी खूबसूरती के आयाम ही बदल जाते है। अपनी सुरीली आवाज में खूब गाने भी गाये गीतांजलि ने।

गीतांजलि ने कहा कि सूर्योदय के समय तो यह सब सोने की तरह चमकते है और रात में चांद के प्रकाश में चांदनी जैसे प्रकाश में अदभुद अनुभूति होती है इन्हें देखकर। मैंने वही सुंदर अनुभूति को अपने चित्र ने दर्शाने का प्रयास किया है।

फिर बात हुई जोधपुर की चित्रकार हर्षा गुप्ता से उनके चित्रण के बारे में बात हुई तो उन्होंने बताया कि इस प्रदर्शनी में मेरे भी दो चित्र है। एक खजुराहो के मंदिर को कॉफी से मोनोक्रोम में वैल्यू स्टडी करने का प्रयास किया है, दूसरे चित्र के मैंने जोधपुर फोर्ट के पास "जसवंत थाडा" को चित्रित किया है। यह पूरा व्हाइट मार्बल से बना हुआ है, इसलिए मैंने इसे जलरंग मीडियम से बनाया है, हर्षा ने बताया कि ये दोनों ही पेंटिंग उन्होंने लाइव बनाई फिर प्रदर्शनी के लिए भेजा, फोटो देखकर चित्र बना मुझे कभी नहीं भाता, मैं स्वयं लोकेशन पर जाकर ही चित्र सृजित करती हूं। आशा करती हूं सबको मेरा चित्रण पसंद आएगा।

जयपुर की चित्रकार लक्ष्मी गजराज, ने बताया कि मेरे चित्रण कार्य अधिकतर एब्स्ट्रेक्ट होता है, लेकिन इस बार विषय का ध्यान रखते हुए मैंने एक चित्र में जयपुर के जयगढ़ फोर्ट का एक सुंदर हिस्से को एवं दूसरे चित्र में नवलगढ़ की एक छोटी सी हवेली जो कुछ कुछ वैसी ही है को चित्रित किया है। इस हवेली को भी मैं धरोहर की श्रेणी में मानती हुँ, इसलिए मैंने उसका चित्र बनाया है।


रंगों की बात करूं तो मैंने एक्रिलिक का उपयोग किया जिन्हें मैं हैं सीधे ट्यूब से निकालकर कैनवास पर लगाकर, अपनी पेंटिंग को बनाया है मुझे पेलेट में रंग निकाल कर ब्रश के स्थान पर अपनी अंगुली का इस्तेमाल किया है। मेरा मानना है कि "कला आत्मा की अभिव्यक्ति है। यह हमें अपनी दिव्यता को समझने में मदद करती है।” स्वामी विवेकानंद जी का यह उपदेश मुझे प्रेरणा देता है। "अमूर्तता" कला में कल्पना के चित्रण में वास्तविकता से प्रस्थान का संकेत देती है। एब्स्ट्रेक्ट आर्ट मुझे हमेशा से ही आकर्षित करती रही है, इसमें मुझे हमेशा स्वतंत्रता का आभास होता है अपने स्वतंत्र भाव के साथ अपनी कल्पना को और स्वतंत्रता पूर्वक चुने गए चित्रों में रंगों को बिखेरती हूं तो मुझे आनंद की अनुभूति होती है। वैसे एक्रेलिक कलर में ही काम करना अधिक पसंद करती हूं साथ ही वाटर कलर में भी काम करना मुझे पसंद है। इसके साथ ही आपको बताऊं कि लक्ष्मी गजराज बहुत अच्छी गायिका भी ही प्रदर्शनी में बहुत से लोग तो इनके गाने को सुनने के लिए रुके रहे। साथ आपको बताता हूं लक्ष्मी बहुत अच्छी शूटर भी है स्टेट लेवल खेल चुकी है और गाने भी बहुत अच्छे से गाती है गिटार बजाते हुए।

आगे बढ़ा तो बात हुई खुशबू शर्मा से, उन्होंने कहा कि मैंने ये पेंटिंग हेरिटेज थीम पर बनाई हैं। मेरी अवधारणा जैसलमेर की हवेलियों में बने झरोखे हैं जो अत्यंत सुंदर और आकर्षक है। यहां फूल राज्य की चमक और सुगंध का प्रतिनिधित्व करते हैं, हाथी शांति दिखाते हैं, दो कलश अपार धन का प्रतिनिधित्व करते हैं और मोर राज्य में समृद्धि का प्रतिनिधित्व करते हैं। हवेलियों में पत्थर में गढ़े इन झरोखों की कलाकारी और स्थापत्य जी सच में मंत्रमुग्ध कर देने वाली अनुभूति और आनंद प्रदान करती है।



इसके पश्चात मेरी बात हुई संगीता खींची से, संगीता वर्तमान में महाराजा गर्ल्स स्कूल, किशनपोल बाजार में स्कूल व्याख्याता के पद पर कार्यरत है। जयपुर की चारदीवारी में बनी हवेलियों के मुख्य द्वार, झरोखे, दरवाजों आदि को वें आते-जाते हर दिन देखती है संगीता ने बताया कि "मैं इनमें बने चित्रों एवं रंगों को देख बहुत प्रभावित होती हूं और विश्व धरोहर दिवस पर विनीता आर्ट्स की प्रदर्शनी में भाग लेने का अवसर मिला तो मैंने भी अजमेर गेट, और महाराज स्कूल के परिसर में बने द्वार को हस्त निर्मित कागज पर जल रंग से चित्रित किया है" इतनी बड़ी प्रदर्शनी जिसमें एकसाथ 75 महिला चित्रकार प्रतिभागी हो, में भाग लेकर बहुत अच्छा लग रह रहा है मुझे।

किसी कारणवश चित्रकार किरण राजे प्रदर्शनी में उपस्थित तो नहीं हो सकी लेकिन उनसे मेरा परिचय पहले से है तो मैंने फोन पर बात करके उनके सृजन के बारे में जानकारी ली। किरण ने बताया कि मुझे हर बार नये नये प्रयोग कर चित्रण करने में बहुत आनंद आता है मैं किसी एक या दो माध्यमों में बंध कर नहीं रहना चाहती हूं इसलिए हर प्रकार की कलाओं का मुझे शौक है। मैं अपने कलात्मक विचारों के साथ इसकी सुंदरता को बढ़ाने का लक्ष्य रखते हुए, इसमें अपना स्पर्श और अवधारणाएं जोड़ते हुए प्रत्येक कला के सार को बनाए रखने का प्रयास करती हूं। इसी उद्देश्य से विश्व धरोहर दिवस पर मैंने जयपुर के सिटी पैलेस के गेट को अपनी अनूठी शैली के साथ-साथ पारंपरिक तकनीकों को शामिल करते हुए बनाया, जिसमें उन्हें एक विशिष्ट रूप देने के लिए मिट्टी के काम और दर्पणों को शामिल किया गया। इन द्वारों की अत्यधिक सराहना की गई है, जिससे मुझे अपनी रचनात्मक दृष्टि से पुराने कला स्वरूपों को पुनर्जीवित करने के लिए प्रोत्साहित किया गया है।


वाकई किरण के दोनों चित्र बहुत पसंद किए गए, मैंने चित्रकार रश्मि राजावत की फोटो इसी पेंटिंग में लगे शीशे में क्लिक की जिसकी सभी ने बहुत सराहना की। तो इसी शीशे में मुझे क्लिक किया दैनिक भास्कर के फोटो जर्नलिस्ट मनोज जी ने ... इस पेंटिंग के शीशे में फोटो क्लिक करना हम दोनों की फोटो हमारे लिए अनोखी यादगार है इस प्रदर्शनी की।

इसके बाद बात हुई डीडवाना, राजस्थान से आई चित्रकार विनीता पंवार से। विनीता ने बताया कि मैं पहली बार है इतनी बड़ी प्रदर्शनी के द्वारा कला जगत में कदम रख रही हूं, मैं भी राजस्थान की प्राचीन कला और संस्कृति से बहुत प्रभावित हूं यह मेरा प्रिय विषय भी है, जिसमें राजस्थानी मांडने, बंधेज की चुनडियां और राजपूती पोशाकें अत्यंत प्रभावित करती है। इसलिए मैंने कैनवास पर राजस्थान की संस्कृति को ध्यान में रखकर अपना चित्र बनाया है। हमारे पूर्वजों ने अपनी सांस्कृतिक विरासत एवं धरोहरों को बचाने के लिए कितना बलिदान किया है अब इस विरासत को संरक्षित करने की जिम्मेदार हमारी भी है। हर काम के लिए सरकारों पर निर्भर रहने से यह कार्य नहीं होगा।

विनीता ने अपने एक चित्र में ग्रामीण महिला को कच्चे मकान जिस पर गोबर-मिट्टी का लेप लगा हुआ है उस पर मांडने बनाते हुए चित्रित किया है, साथ ही दूसरे चित्र में किसी बड़े सेठ की हवेली की सार-संभाल करने जाती महिला को चित्रित किया है।

फिर बात हुई उदयपुर की चित्रकार प्रीति निमावात से, उन्होंने बताया कि मैंने अपनी दोनों कलाकृति में सितार से लेकर गिटार तक की संस्कृति को राजस्थान की धरोहरों से जोड़ने का प्रयास किया है। आप जानते है कि संगीत हमारी भारतीय संस्कृति का बहुत ही अहम भाग है, और राजस्थान अपनी लोक कला, लोक गीत, लोक नृत्य, महलों, झीलों और झरोखों आदि के लिए जाना जाता है और पूरे विश्व में सबसे अलग पहचान रखता है। विरासत के रूप में जो कला, संस्कृति हमें मिली है। उसी का ध्यान रखते हुए मैंने अपनी कलाकृति में उदयपुर के सिटी पैलेस की सुंदरता और भव्यता को गिटार के माध्यम द्वारा संगीत से जोड़ने का प्रयास किया है।
कुछ समय प्रदर्शनी देखने आए मित्रों से मिलने के पश्चात प्रतिभा यादव से उनके चित्र के बारे में चर्चा हुई तो प्रतिभा ने बताया कि "लाल और सफेद बलुआ पत्थर से बना कलात्मक आमेर का किला, तेज खिली हुई धूप में हल्का बैंगनी से रंग का प्रतीत होता है इसलिए मैने भी अपने चित्र में हल्के बैंगनी रंग का प्रयोग करते हुए इसकी सुंदरता को दिखाने की कोशिश की है। ऊंचे पहाड़ पर बना हुआ यह किला विभिन्न रंगों से सजाता है। इसके अलावा मैंने अपनी पेंटिंग में राजस्थान की पारंपरिक वेशभूषा में महल को निहारते एक ग्रामीण व्यक्ति के अंदाज को कुछ इस तरह चित्रित किया है, जो टिकट खरीदकर अंदर नहीं जा सकता इसलिए बाहर से किले को देखकर संतुष्ट होने का प्रयास कर रहा है।राजस्थान की आन - बान और शान के साथ इसका समृद्ध इतिहास और वास्तुकला को मैंने अपने चित्र में प्रतिबिंबित करता प्रतीत होता है जैसे कह रहा हो यह धरोहर हमारी शान है इसकी सुरक्षा और संरक्षण हमारी भी जिम्मेदारी है।

थोड़ी देर मित्रों के साथ कॉफी हाउस में समय बिताने के बाद मेरी बात हुई रेणु नावरिया से, चित्रण के बारे में पूछने पर रेणु ने बताया कि "मैं शुरू से ही राजस्थान से जुड़ी हुई हूं मेरा बचपन यही गुजरा है और मुझे यही के वातावरण में कला की बारियों को आत्मसात करने का मौका मिलता रहा है।

मैंने कई ग्रुप शो और कला के विभिन्न विषयों पर नेशनल सेमिनार में सम्मिलित रही हूं। मैं शुरुआत से ही राजस्थान की कला संस्कृति से जुड़ी हुई हूं यहां के किले, बावड़िया, झरोखे, महल और यहां की कला और संस्कृति पूरी दुनिया में अलग ही पहचान रखती है। अब मैं पेंटिंग्स के बारे में बताती हूं, मैंने दो कृतियों का सृजन किया है, एक जयगढ़ फोर्ट की है इसमें मैंने छतरीनुमा आकृति को दर्शाया है कुछ पक्षी उड़ते हुए दिखाएं हैं जिनसे जीवन का जुड़ाव महसूस होता है।

दूसरी कृति में मैंने जयपुर के जल-महल को चित्रित किया है जो अपनी अलग पहचान के साथ साथ अनेक देशी एवं विदेशी पक्षियों को आश्रय देता है। इसमें जल महल को प्रातःकाल के समय में चित्रित किया है, व्यक्तिगत मुझे आसमान के अलग-अलग कलर जो खासतौर पर सुबह और शाम के समय दिखाई देते हैं बहुत ही प्यारे लगते हैं कई बार प पीला, ऑरेंज, नीला और कई बार गुलाबी रंग के हजारों लाखों शेड्स दिखाई देता है। मैंने प्रातः के अनुसार ऑरेंज कलर में सनराइज दिखाया है। क्योंकि जब मैं जल महल घूमने गई थी तो यहां पर चारों तरफ ऑरेंज कलर छाया हुआ था, आसमान, पानी और पानी में जल महल की परछाई चारों तरफ ऑरेंज कलर ही था बहुत ही मन को आकर्षित करता है जो बहुत ही सुंदर लग रहा था। मैंने बहुत ही सुंदर प्राकृतिक दृश्य अपने चित्र में चित्रित किया है, क्योंकि कला द्वारा हम अपने भावों को रेखांकन द्वारा अभिव्यक्त कर सकते है। विश्व धरोहर दिवस के अवसर पर मुझे इस प्रदर्शनी में प्रतिभागिता के लिए प्रदर्शनी की आयोजक विनीता प्रजापति का बहुत बहुत आभार करती हूं।

रेणु से बात होने के बाद मेरी चर्चा हुई भावना सक्सेना से उन्होंने बताया कि "मैने भी अपनी दो पेंटिंग इस प्रदर्शनी में प्रदर्शित की। अपने चित्रण के द्वारा मैने राजस्थान की ऐतिहासिक हेरिटेज को फड़ शैली में चित्रित किया है। पहली पेंटिंग में मैने जलमहल को चित्रित किया। उसके आगे नाव में नृत्य करती हुई नायिका को चित्रित किया। जो अपने सहेलियों के साथ नाव में बैठकर प्रकृति के सौंदर्य का आनंद लेते हुए खुशी में स्वयं ही नृत्य करने लगती है। दूसरी पेंटिंग में आमेर महल को चित्रित किया। उसके आगे हाथी की सफारी करते हुए पर्यटक को दर्शाया। वही साथ में मावठा को भी दिखाया। इस प्रकार अपनी पेंटिंग में मैंने विश्व प्रसिद्ध परंपरागत कला और संस्कृति के साथ अपनी सांस्कृतिक विरासत को और नए प्रयास के तहत विख्यात फड़ शैली की चित्रण तकनीक से अपना चित्र बनने का प्रयास किया।

जोधपुर की एक और चित्रकार दीपिका त्रिवेदी की पेंटिंग देखी दीपिका ने जोधपुर फोर्ट का चित्र कुछ इस तरह बनाया की फोर्ट के साथ नीचे पानी से भरा तलाब हो, वैसे ये सही भी है क्योंकि किले के बाहरी हिस्से में एक बड़ा जलाशय है जो वर्षों से सूखा पड़ा है, वर्षा के समय कुछ पानी आता भी होगा लेकिन वो कुछ समय बाद ही पुनः सुख जाता है। संभवतः दीपिका की कल्पना में यही रहा होगा कि यदि यह तालाब पानी से भरा होता तो फोर्ट और जसवंत थाडा की खूबसूरती कितनी बढ़ जाती और कितना सुन्दर और मनमोहक दृश्य हमारी आंखो के सामने होता, विशेषकर बारिश के मौसम में। मैं समझता हूं कि इन धरोहरों के संरक्षण में सारे मत-भेद बुलाकर स्थानीय लोगों को आगे आना चाहिए, उनसे अधिक जिम्मेदारी से इनका संरक्षण कोई और नहीं कर सकता है। हां सिर्फ बातें कर-कर के कुछ दोषारोपण करेंगे, कुछ उपदेश देंगे और कुछ नहीं होगा तो सरकारों की निन्दा जरूर करेंगे। लेकिन उनकी स्वयं भी जिम्मेदारी है ये नहीं मानेंगे।

इन सबके बाद मेरी बात हुई द्रौपदी मीणा से जो लाख से अपने चित्र बनती है। बात करते हुए द्रौपदी ने बताया कि "हम भारतीय है, हमें हमारी भारतीय विरासतों पर गर्व करना चाहिए। वर्ल्ड हेरिटेज पर मुझे पेंटिंग बनानी थी। मैंने सोचा कि हमारे भारत में भी कला विधाओं की कोई कमी नहीं है। देश की कला एवं संस्कृति की विदेशों में खूब धाक है बहुत पसंद की जाती है हमारी कलाएं। तो मैंने अपने देश की विरासतों में प्रमुख दिल्ली स्तिथ इण्डिया गेट बनाने का मन बना लिया। चूंकि यह देश भक्ति का प्रतीक है तो मैंने इण्डिया गेट की पेंटिंग बनाने में एकलिक कलर और लाख का प्रयोग किया है मैं अधिकतर पेंटिंग लाख से ही बनाती हूँ। यह वही लाख जिससे बनी चूड़ियां राजस्थान में सुहागिन महिलाओं के लिए बनाई जाती है। इण्डिया गेट को तीन रंगों में बनाया है। केसरियां, सफ़ेद और हरा ये तीनों रंग साहस, शांति, समृद्धि के प्रतीक है इसके ऊपर तिंरगा भी बनाया, तिरंगा हमारे देश की आन, बान, शान का प्रतीक है। इस प्रदर्शनी में अपनी प्रतिभागिता के लिए मैं आयोजकों का आभार व्यक्त करती हूं।"

युवा चित्रकार कोमल जांगिड़ से उनके चित्रण एवं तकनीक पर बात हुई तो कोमल ने बताया कि "मैंने लैंडस्केप पेंटिंग में अपने हालिया अन्वेषण में जयपुर के "गलता मंदिर" और "गेटोरे की छतरियां" की आश्चर्यजनक वास्तुकला पर ध्यान केंद्रित कर उन्हें अपनी स्टाइल से चित्रित करना चाहा। इसी उद्देश्य से मैंने ऑयल रंगों का उपयोग कर इन ऐतिहासिक स्थलों और आसपास की प्राकृतिक सुंदरता के बीच सामंजस्य स्थापित करना था। पूर्णता का पीछा करने के बजाय मैं अपने प्रयोग को अधिक महत्व देती हूं। इससे मेरी कला को व्यवस्थित रूप से विकसित होने का अवसर मिलता है। खामियों को स्वीकार करके नई तकनीकों का प्रयोग और उपयोग कर नव सृजन करना ही मेरा लक्ष्य रहता है। इन वास्तुशिल्प चमत्कारों के कालातीत आकर्षण का जश्न मनाते हुए प्रकृति के कच्चे सार को व्यक्त करना ही मेरा मुख्य ध्येय है।

उत्तराखंड की चित्रकार अनुपमा शर्मा ने भी अपने दो चित्र इस प्रदर्शनी में लगायें, व्यक्तिगत रूप से तो वें जयपुर नहीं आई, लेकिन इनकी भी दो तस्वीरें, जो धरोहर के संरक्षण का संदेश देती है। अनुपमा ने ड्रॉइंग पेन से चित्र बनाने के उपरांत जल रंगों से एन्हांस करते हुए अच्छा प्रभाव चित्रित किया है, सशक्त रेखांकन से चित्र आपने आप को देखने के लिए प्रेरित करता है। एक चित्र चित्तौड़गढ़ किले के विस्तार का है और दूसरे चित्र मे जोधपुर के "उम्मेद भवन" को चित्रित किया है।


गहरे रंगों के चित्रों के बीच व्हाइट बैकग्राउंड में पेन से रेखांकन कर बहुत हल्के रंगों से आसमान और पानी को चित्रित करने से बहुत अनोखे प्रभाव के साथ चित्र दर्शनीय और अलग दिखाई देते है। अच्छा प्रयोग किया है अपने दिनों चित्रों में अनुपमा ने।

वर्ल्ड हेरिटेज डे पर आयोजित इस प्रदर्शनी में कुछ चित्रकारों ने फोटोग्राफी करके भी अपने छायाचित्र को प्रदर्शित किया, जिसमे नीलम नियाजी के दो छायाचित्र आकर्षित करते है, पहला जयपुर में "जल महल" का सूर्योदय के समय क्लिक किया गया, फोटो के एंगल ऐसा है जो एक चित्रकार की आंखे ही देख सकती है। साथ ही दूसरा चित्र अजमेर की "दरगाह शरीफ" का है। दोनों ही चित्रों ने कला प्रेमियों को आकर्षित किया।

फिर मेरी बात हुई पीयूष कुमारी से, तो उन्होंने कहा कि इस प्रदर्शनी में मेरे चित्र मे मैंने "मरवा किले" को चित्रित किया है। यह लगभग 400 वर्ष पुराना है और जयपुर से लगभग 91 कि.मी. की दूरी पर है। इसे चित्रित उद्देश्य ये था कि अपने चित्र द्वारा मैं लोगो को उन स्थानों को दिखने का प्रयास करूं जो लोगों की नजरों से छुपे हुए है, या की जिनके बारे में लोगों को कम जानकारी है, अपने इसी उद्देश्य को पूरा करने के लिए मुझे विश्व धरोहर दिवस पर विनीता आर्ट्स इस प्रदर्शनी में अवसर मिला उसके लिए मैं आयोजकों एवं विशेष रूप से विनीता प्रजापति की बहुत आभारी हूं। मेरा प्रयास यही रहता है कि मैं अपने चित्रों द्वारा ऐसे स्थानों के बारे में जागरूक कर सकूं ताकि इनके संरक्षण के लिए लोग आगे आएं।

चर्चा के आखिर में मेरी बात हुई फोटोग्राफर रुद्राक्षी शेखावत से रुद्राक्षी ने बताया कि "मेरी यह छवि महाराणा प्रताप के जन्म स्थान कुम्भलगढ़ किले की एक संरचना की जटिल वास्तुकला को दर्शाती है, जो ऊबड़-खाबड़ पहाड़ी इलाके और विशाल आकाश की पृष्ठभूमि में विस्तृत नक्काशी और पैटर्न को प्रदर्शित करती है। मैं जब भी फोटोग्राफी करती हूं तो अपने विषय का गहराई से अध्ययन करती हूं, ताकि मैं अच्छे से बता सकूं कि मैंने क्या किया है। उल्लेखनीय बात यह है कि रुद्राक्षी पीयूष कुमारी की बेटी है, अच्छा लगा मां-बेटी को एक साथ एक ही प्रदर्शनी में अपनी कला का प्रदर्शन करते हुए।

निसंदेह विनीता प्रजापति ने महिला चित्रकारों को आगे लाने में महत्वपूर्ण कदम रखा है, ऐसे बड़े आयोजनों जिसमें एकसाथ 76 चित्रकार हो या 20-25 पेंटिंग्स की एकल प्रदर्शनी व्यवस्था में कुछ ना कुछ कमी तो रह ही जाती है अधिकतर किसी दूसरे के कारण कुछ कार्यों में देरी होती है। मैं समझता हूं और मानता हूं कि ऐसे आयोजनों में प्रतिभागियों को स्वयं कुछ जिम्मेदारी लेनी चाहिए जिससे व्यवस्था ठीक रहे और जिस उद्देश्य को लेकर कार्यक्रम का आयोजन किया गया है उसमें पूर्ण सफलता मिले, कमियों को तो आगे के कार्यक्रमों में सुधारा जा सकता है। लेकिन बिगड़े हुए की तो निंदा ही होती है।

आलेख : 
संदीप सुमहेन्द्र
चित्रकार एवं कला समीक्षक

Comments

  1. बहुत ही सुंदर और कलाकार की प्रतिभा का सूक्ष्म वर्णन उनकी कृतियों को मानो शब्दो में फूलों की भाती पिरो रहा हे एक फोटो प्रतिभा यादव का चेक करके वो प्रतिभा ही हे मुझे संशय हुआ इस लिए कहा अगर नहीं i तो नाम करेक्ट कर ले

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  2. इस प्रदर्शनी का हिस्सा बनकर कर बहुत अच्छा लगा नई-नई चीज सीखने को मिली क्योंकि यहां पर बहुत सारी नारी शक्ति है उनसे मिलने का मौका मिला और खासतौर से बहुत-बहुत धन्यवाद देना चाहूंगी विनीता मैम को साथ ही धन्यवाद करना चाहूंगी मैं सुरेंद्र जी का जिन्होंने हम सबके कला की बारियों को समझा और इस लेख में हम लोगों को हिस्सा दिया और हमारी कलाकृतियों के बारे में बहुत सुंदर लेख लिखा और हमारे सभी का मनोबल बढ़ाया थैंक यू सो मच

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    1. बहुत बहुत आभार एवं धन्यवाद आपको।

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  3. Bahut hi sunder lekh
    Me adarniya sandip sumhendraji sir ka tahe did se dhanyavad karti hu jinhone mere or mere work ke uper bahot hi sunder lekh likha
    Sath hi me vinitaji ka shukriya ada karna chahungi jinhone mujhe is exhibition me participate karne ka suavsar pradan kiya
    Dhanyavad adarniya 🙏

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  4. Thanks sir ...it means alot

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  5. बहुत बहुत आभार सर जी इतनी सुन्दर समीक्षा के लिए🙏🙏🙏
    vinita जी का में आभार व्यक्त करती हुँ वो हम महिला कलाकारों को एक सूत्र में बांधे रखें 🙏🙏🙏

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    1. बहुत बहुत आभार एवं धन्यवाद आपका 👍

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    2. बहुत बहुत आभार एवं धन्यवाद आपका 👍

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  6. Thanku soo much for giving us a beautiful and exprasive platform ......thanku Kalavritt and Sandeep Sumhendra sir🙏

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  7. Thank you for affording us the opportunity to showcase our artwork. We sincerely appreciate your recognition and support. Your gesture is deeply appreciated.

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  8. बहुत ही सुन्दर लिखा है आपने और सभी फोटोज अपने विवरण के साथ बड़ी सुन्दर लग रही है 👏🏻👏🏻
    आपका बहुत बहुत आभार 🙏🏻💐🤩

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    1. आभार एवं धन्यवाद 👍

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  9. महिला कलाकारों के प्रयास को शब्दों में पिरोने के लिए कलावृत का बहुत बहुत धन्यवाद। विनीता मैम का भी इस प्रयास के लिए शुभकामनाएँ और धन्यवाद।

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    1. धन्यवाद रश्मि जी 👍

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  10. Thankyou Pooja ji, aapki photo's ne article ka look hi badal diya.

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  11. संदीप जी आपका दिल से आभार बहुत सुंदर शब्दों से पेंटिंग्स को जोड़ कर और सुंदर बना दिया हम सभी का उत्साहवर्धन करने के लिए आपका धन्यवाद और विनीता आर्ट्स को ढेर सारी शुभकामनाए बधाई इस शानदार आयोजन के लिए 💐

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    1. बहुत बहुत आभार एवं धन्यवाद आपका

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  12. प्रदर्शनी संयोजक विनीता प्रजापति जी को बधाई ! मैंने प्रथम पोस्ट के कमेंट में जो लिखा है उसी को आगे जारी रखते हुए इस पोस्ट के लिए भी मैं यही कहूंगा की सांस्कृतिक धरोहर को संरक्षित करने को इस प्रकार के रचनात्मक और कलात्मक प्रस्तुति ही समाज को आइना दिखा सकती है और ये जरुरी भी है ! मैंने मास्टर ऑफ़ फाइन आर्ट के अध्ययन के समय प्रथम वर्ष के पाठ्यक्रम में राजस्थान स्कूल ऑफ़ आर्ट के हॉल नो. २ में वाल पेंटिंग पर हेरिटेज ( जयपुर शहर की सांस्कृतिक धरोहर के समकालीन परिदृश्यों को चित्रित किया एक आईने के समान !) मेरा विरोध भी हुआ शिक्षण संस्थान के प्रबंधन की और से ! पर परिणाम दूर गामी सकारात्मक स्वरुप में सामने आये ! आज आमेर का किला अपने वास्तविक स्वरुप में हमारे सामने है ! स्टेट बैंक ऑफ़ बीकानेर एंड जयपुर ( वर्तमान में sbi ) ने आमेर किले को गोद लिया और आज वो अपने वास्तविक स्वरुप में है ! उसी प्रकार जलमहल भी और भी जयपुर और राजस्थान की कई सांस्कृतिक धरोहर अपने वास्तविक स्वरुप को प्राप्त कर रही है समाज के जागरूक होने से और समाज की जागरूकता में कला और कलाकार की भूमिका बहुत महताऊ है और इस कला प्रदर्शनी के जरिये राजस्थान की 76 महिला कलाकारों ने जो मुहीम छेड़ी है संयोजक विनीता प्रजापति जी के सहयोग से! सो सभी महिला कलाकारों को एक एक का नाम लिए बग़ैर साधुवाद ज्ञप्ति करता हूँ ! कला से ही संस्कृति का निर्माण विकास संभव है ये खूबी सिर्फ और सिर्फ कला में ही है अन्य किसी विषय ज्ञान में नहीं ऐसा मुझे मेरे कलात्मक ज्ञान ने बोध करवाया है और आप सब की ये कला प्रदर्शनी इसका जिवंत उदाहरण है !
    चित्रकार
    योगेंद्र कुमार पुरोहित
    मास्टर ऑफ़ फाइन आर्ट
    बीकानेर, इंडिया

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    1. महिला चित्रकारों के चित्रण कार्य की बहुत सुन्दर सराहना की आपने, जो एक कलाकार होने के नाते करनी भी चाहिए थी बहुत बहुत आभार एवं धन्यवाद आपका योगेंद्र जी।

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