कला के मौन साधक एवं राजस्थान में भित्ति चित्रण पद्धति आरायश के उन्नायक प्रोफेसर देवकीनंदन शर्मा (भाग-06)

इन फ्रेस्को टाइल्स में प्रयोग धर्मिता विविधता, संयोजन की विशेषता के कारण सभी हमें विशेष आकर्षित करती है। जयपुर के एस. एम. एस. मेडिकल कॉलेज की सीढ़ियों पर चढ़ते समय मध्य एक फ्रेस्को चित्र "संजीवनी" विषय पर बनाया है जिसमे लक्ष्मण के मूर्छित होने के उपरांत हनुमान जी संजीवनी लाये थे। 70 के दशक में बापू नगर जयपुर में अपने पारिवारिक घर में इटालियन पद्धति में बनाया गया वाराणसी घाट व आरायश में बनाया चित्र मनन, चिंतन व आध्यात्मिक भावों की अभिव्यक्ति करने वाले संयोजन है। कुछ वर्ष पूर्व निवाई में अपने पुत्र के यहां बनाया अन्य फ्रेस्को चित्र भी मानवीय भावों, प्राकृतिक सौंदर्य व आध्यात्मिक अभिव्यक्ति का अच्छा उदाहरण है। कुछ समय उपरांत पुत्र ने अपने घर को विक्रय कर दिया जब सबसे छोटे पुत्र वीरेंद्र को यह ज्ञात हुआ तो उसने इसे चुनौती के रूप में लिया और 8x11 फ़ीट की दिवार को सुरक्षित निकलकर ग्राम पिल्लई में अपने घर पर स्थापित किया बिना किसी सुविघा के गांव में यह कठिन कंजर्वेशन का कार्य संम्पन किया  यह कंजर्वेशन कार्य का अदभुद उदाहरण है  इसके लिए भाई वीरेंद्र बधाई के पात्र है प्रोफेसर शर्मा के भित्ति चित्र विभिन्न प्रयोगों के अनेक आयाम व पड़ाव को व्यक्त करने वाले हैं। उन्होंने फ्रेस्को व टेम्परा टाइल्स में अपने जीवन में किए गए सृजनात्मक प्रयोगों को इस तरह आत्मसात किया है कि वे उनके भित्ति चित्रों की विभिन्न संभावनाओं को आत्म संचारित तूलिका आघातों से जीवंत करते प्रतीत होते हैं। 

प्रोफेसर देवकीनंदन शर्मा ने आरायश इटेलियन व टेम्परा पद्धति में सृजन, शिक्षण में विभिन्न प्रयोगों के साथ कंजर्वेशन व सुरक्षा हेतु भी महत्वपूर्ण योगदान दिया है। वनस्थली के भित्ति चित्रों को जलवायु, इमारत की क्षति या मानव द्वारा पहुंचाई क्षति की सुरक्षा व उन्हें ठीक करने हेतु भी अनेक प्रयोग किए और उन्होंने सुरक्षित रखने का प्रयास किया। इससे उन्हें भित्ति चित्रों की सुरक्षा व क्षति को मूल रूप में कंजर्वेशन करने की समृद्ध अनुभव हुए जिनका प्रयोग बग्गड़ (शेखावटी, राजस्थान) में पीरामल की हवेली के क्षतिग्रस्त भित्ति चित्रों को मूल रूप देने में सफलतापूर्वक किया। प्रोफेसर शर्मा ने कोटा, बूंदी में राष्ट्रीय संग्रहालय द्वारा 2003 में आयोजित कंजर्वेशन कार्यशाला में भित्ति चित्रों की सुरक्षा मरम्मत कर मूल रूप देने संबंधित उपायों से सभी को अवगत कराया और इस कार्य हेतु सही मार्गदर्शन दियाl जिससे भविष्य में हमारी राष्ट्रीय धरोहर को अज्ञानता से होने वाली क्षति से बचाया जा सके। बूंदी के महलों में चित्रशाला के भित्ति चित्रों संरक्षण देते समय पहुंचाई गई क्षति की और भी सभी का ध्यान आकर्षित किया। किसी तरह अज्ञानवश उनका मूल स्वरूप नष्ट कर दिया गया। राष्ट्रीय संग्रहालय के कंजर्वेशन निदेशक व अन्य विशेषज्ञ इससे काफी प्रभावित हुए और भविष्य में इस तरह की क्षति से बचा जा सके, उसके उपायों का ध्यान रखा जा सके, उसकी व्यवस्था करने का निर्णय लिया। इसके उपरांत राष्ट्रीय संग्रहालय के सहयोग से वनस्थली विजुअल आर्ट में भी कंजर्वेशन का शिविर आयोजित किया।

प्रोफेसर शर्मा ने पुष्कर में स्थित पुराने रंग जी के मंदिर के ट्रस्टी श्री गनेरी वाल अनंत प्रसाद को वहां के भित्ति चित्रों के संरक्षण के लिए प्रेरित व मार्गदर्शन देकर उनकी सुरक्षा सुनिश्चित करने में महत्वपूर्ण योगदान दिया, जिससे हमारी धरोहर बच सकी। मंदिर के ट्रस्टी की संवेदनशीलता के कारण इन चित्रों के कंजर्वेशन व सुरक्षा के लिए उन्होंने महत्वपूर्ण योजना के अंतर्गत प्रयास किए हैं।

बड़े दुख का विषय है हमारे यहां कलाकृतियों की सुरक्षा का ध्यान नहीं रखा जाता जिससे हमारी प्राचीन धरोहर के साथ समकालीन कलाकारों के चित्र भी नष्ट हो जाते हैं। पुराने भवनों में बने बहुमूल्य चित्र अज्ञान के कारण सफेदी से पुतवा दिए गए हैं। उदयपुर गणगौर घाट पर बनी बागौर की हवेली इसका उदाहरण है। जहां के चित्रों की सफेदी राष्ट्रीय संग्रहालय ने हटाकर मूल चित्रों का स्वरूप फिर से स्थापित किया। कोटा की झाला हवेली में क्षतिग्रस्त भवन से चित्र को सुरक्षित निकालकर राष्ट्रीय संग्रहालय दिल्ली में संरक्षित किया। आश्चर्य की बात है कि कुछ माह पूर्व ही जयपुर रेलवे स्टेशन पर बने बहुमूल्य भित्ति चित्रों पर रेलवे प्रशासन ने सफेदी पुतवा दी राजस्थान के तीन वरिष्ठ कलाकारों देवकीनंदन शर्मा, कृपाल सिंह शेखावत व गोवर्धन लाल जोशी द्वारा रचित ये चित्र राजस्थान की बहुमूल्य धरोहर थी। आज हमारे बीच नहीं है। जयपुर के निवासियों की संवेदनहीनता के कारण किसी को इस से सरोकार नहीं था। इस लेख के लेखक ने प्रयत्न कर इस मुद्दे को समाचार पत्र में उठाया और जयपुर के वरिष्ठ अधिकारियों को भी इस से अवगत कराया पर किसी ने भी इन चित्रों के कंजर्वेशन हेतु कोई संज्ञान नहीं लिया और इन बहुमूल्य चित्रों को नष्ट कर दूसरे अन्य चित्र उन पर बनवा लिए।
 लेखक : प्रोफ़ेसर भवानी शंकर शर्मा
जयपुर

Comments

  1. This post is very much inspiring to a wall painter of freshcho .thanks for this surprising post ..

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