महिला सशक्तिकरण व सृजनात्मकता : प्रो. भवानी शंकर शर्मा
महिला सशक्तिकरण को सुनिश्चित करने के लिए शैक्षणिक उपलब्धि
एवं आर्थिक सहभागिता प्रमुख बिंदु हैंl महिला शिक्षा में
व्यक्तित्व के संपूर्ण विकास के लिए शारीरिक, व्यवहारिक, कला विषयक, नैतिक व बौद्धिक
शिक्षा पर ध्यान दिया जाना चाहिएl ज्ञान विज्ञान के
साथ आध्यात्मिक चेतना विकसित हो सके ऐसा वातावरण शैक्षिक परिवेश में आवश्यक हैl
एक बालिका को निश्चित रूप से देखभाल में, शिक्षा में, परिवार और सामाजिक सहयोग में तथा रोजगार में एवं प्रगति में समान अवसर मिलने चाहिएl किसी ने सही कहा
है "यदि हम पुरुषों को शिक्षित करते हैं तो वह केवल एक को शिक्षित करेगा एक
महिला को शिक्षित करते हैं तो वह पूरे परिवार को शिक्षित करेगी"l शिक्षा का अर्थ
केवल पुस्तक ज्ञान नहीं है शिक्षा एक जीवन पर्यंत चलने वाली प्रक्रिया है मानव
व्यक्ति के निर्माण की जिसके अंतर्गत सभी अंतर्निहित क्षमताओं का विकास होl महिला सशक्तिकरण
सामाजिक परिवर्तन व समुचित आर्थिक विकास की दिशा में प्रगति करने की उनकी योग्यता
को बढ़ाता है इसके अतिरिक्त महिलाओं का आर्थिक सशक्तिकरण उनके राजनीतिक सशक्तिकरण
को भी बढ़ाता है, आर्थिक गतिविधियों एवं कार्य सृजन के क्षेत्र में महिलाओं
की अधिक से अधिक भागीदारी वृहद रूप से उन्हें राजनीतिक, प्रशासनिक एवं
नीतिगत मामलों के निर्माण में प्रभावशाली कारक बनती हैl एक अंतरराष्ट्रीय अध्ययन द्वारा यह दर्शाया गया
है कि यदि महिलाओं को व्यय करने की प्राथमिकता दी जाती है तो वे पुरुषों की तुलना
में पारिवारिक एवं सामुदायिक ढांचे को व्यवस्थित, सुनियोजित व
बेहतर बनाने में खर्च करेंगीl
कार्य स्थल में समान अवसर प्रदान करने पर ध्यान केंद्रित
करते हुए यह भी ध्यान रखना आवश्यक है कि जमीनी स्तर पर महिलाओं को बिना समान अवसर
प्रदान किए सब अर्थहीन हैl
महिला शिक्षा में कला, क्राफ्ट एवं
डिजाइन इंस्टीट्यूट महत्वपूर्ण भूमिका अदा कर सकते हैं ये ऐसे विषय हैं जिनके
द्वारा महिलाएं
जीविकोपार्जन के लिए घर पर रहकर भी आर्थिक रूप से
आत्मनिर्भर हो सकती हैं तथा दूसरे लोगों को भी व्यवसाय दे सकती हैंl क्राफ्ट व डिजाइन वोकेशनल लघु कार्यक्रम 6 माह, एक वर्षीय व
एडवांस पाठ्यक्रम दो वर्ष के भी हो सकते हैंl जिन्हें स्कूल
शिक्षा के उपरांत आत्मनिर्भर बनाने के लिए किया जा सकता हैl
कला अभिव्यक्ति का व मानव को संवेदनशील बनाने का प्रमुख
साधन रहा है शिक्षा में कला का महत्वपूर्ण स्थान हैl किसी भी समाज के लिए सामाजिक व शैक्षणिक परिवेश
को संवेदनशील व सौन्दर्यात्मक बनाने के लिए तथा रचनात्मकता व सकारात्मकता विकसित
करने में कला का प्रमुख योगदान होता हैl
पारंपरिक कला शिक्षा में ललित कलाओं के साथ क्राफ्ट, स्थापत्य कला आदि
साथ जुड़े रहेl आज की शिक्षा पद्धति में देखें तो विभिन्न क्राफ्ट
प्रोफेशनल संस्थानों में महत्वपूर्ण विषय के रूप में पढ़ाये जा रहे हैंl शिक्षार्थी इन
विषयों को संजीदगी से लेकर इनमें अपना उज्जवल भविष्य देख रहे हैं तथा स्वतंत्र रूप
से कार्य कर क्राफ्ट को जीविकोपार्जन का साधन बना रहे हैंl आज देश-विदेश में
क्राफ्ट की मांग है और विदेशी मुद्रा कमाने का प्रमुख स्रोत हैl सबसे महत्वपूर्ण
बदलाव यह आया है कि कलाकार विभिन्न रूप से जुड़कर अपनी सृजनात्मकता द्वारा विशेष
योगदान दे रहे हैंl अब क्राफ्ट का तकनीकी, चातुर्य, कौशल व कलाकार की
सृजनात्मकता दोनों के साथ मिलने से कला जगत में अच्छी व्यवसायिक संभावनाएं उजागर
हुई हैंl
इसके लिए वोकेशनल क्राफ्ट केंद्र हो जिनका उद्देश्य समृद्ध
पारंपरिक ज्ञान व आधुनिक दृष्टि का समन्वय कर बालिकाओं को नई शिक्षा देने का होl विषय का
सैद्धांतिक पक्ष, तकनीकी ज्ञान व सृजनात्मकता का सामंजस्य कर उसके व्यवसायिक
व सौन्दर्यात्मक पक्ष को ध्यान में रखकर विभिन्न क्राफ्ट का प्रशिक्षण कर सकते हैंl शिक्षण, प्रशिक्षण, सृजन तथा रिसर्च, डॉक्यूमेंटेशन, कंजर्वेशन व
प्रिजर्वेशन इस केंद्र की मुख्य गतिविधियां होंl
इन केंद्रों के सभी क्राफ्ट को ध्यान में रखकर डिजाइन
(द्विआयामी व त्रिआयामी) कार्यशालाएं भी नियमित रूप से आयोजित की जा सकती हैंl जिससे चित्र व
शिल्पगत कला के मूलभूत आधार, आकार, रंग व संयोजन की
विभिन्न संभावनाओं पर विभिन्न प्रयोगों द्वारा नये आयाम उजागर किए जा सकेl इसमें कंप्यूटर
से डिजिटल आर्ट संबंधी आवश्यक जानकारी व प्रयोग की सुविधा होl डिजिटल
टेक्नोलॉजी ज्ञान उपलब्ध कराया जावेl जिससे संसार में
हो रहे विभिन्न देशों के क्राफ्ट व कला की जानकारी हो सके तथा महिलाएं उसका पूर्ण
उपयोग कर सकेंl
केन्द्र में एक रिसर्च सेल एवं संग्रहालय भी विकसित करना
उपयुक्त रहेगा जिसके अंतर्गत इन विधाओं में हो रहे प्रयोग के आधार पर नया कुछ करने
की प्रेरणा मिल सकेl पारंपरिक क्राफ्ट व उनकी कार्य पद्धती का
डॉक्यूमेंटेशन संग्रह व आधुनिक प्रयोगों का तुलनात्मक अध्ययन किया जा सकेl विभिन्न
जानकारियों का संकलन करने की सुविधा होl
इन वोकेशनल पाठ्यक्रमों में निम्नांकित दैनिक आवश्यकताओं से
संबंधित आवश्यक क्राफ्ट को जोड़ा जा सकता है, आवश्यकताओं के
अनुसार इसमें वृद्धि की जा सकती हैl
इन वोकेशनल संस्थानों का अपने नूतन प्रयोगों, सृजनधर्मिता एवं
अनुसंधान द्वारा स्त्री शिक्षा को नई शिक्षा देना होगीl ये संस्थान निम्न
प्रमुख उद्देश्यों को लेकर कार्य करें तो महिलाओं के लिए व समाज के लिए महत्वपूर्ण
योगदान कर सकते हैंl
* विजुअल आर्ट में वोकेशनल क्राफ्ट द्वारा विकास के अवसर
खोजनाl
* शिक्षार्थियों में निहित क्षमताओं में सृजनात्मकता की खोजl
* शिक्षार्थियों की संवेदनशीलता व पूर्ण व्यक्तित्व का विकासl
* तकनीकी कौशल का विकास एवं हस्त उद्योगों में उसका प्रयोगl
* विभिन्न कलाओं में सामंजस्यl
* समाज में सौनदर्याभिरुचि एवं सौन्दर्यात्मकता का विकासl
* व्यवसायिक प्रयोगl
निम्नांकित आर्ट व वोकेशनल क्राफ्ट के अंतर्गत महिलाओं के
लिए अनेक व्यावसायिक अवसर सृजित किए जा सकते हैंl
- विजुअल आर्ट
- पारम्परिक आरायश (जयपुर फ्रेस्को) व टेम्परा भित्ति चित्रण पद्धति
- मास कम्युनिकेशन व्यवसायिक कला
- वुड व मेटल क्राफ्ट
- पोट्री एवं सिरेमिक
- पेपरमेशी, पेपर मेकिंग
- कावड़ व फड़ पेंटिंग
- टैक्सटाइल क्राफ्ट
- लेदर वर्क
- डिजाइन
अंत में अपनी बहनों को यह कहना चाहूंगा कि जीवन भौतिक, मानसिक, आध्यात्मिक स्तर
पर जिया जा सकता हैl अपने जीवन का विस्तार कीजिए, उसे समृद्ध
बनाइयेl जैसे आप अपने शरीर को पुष्पों और आभूषणों से सुसज्जित करती
हैं, अपनी सुंदरता को बढ़ाती हैं, वैसे आप अच्छी
पुस्तकों के अध्ययन से अपने को संस्कारित कीजिएl पढ़िए, चिंतन-मनन कीजिए, चर्चा कीजिए, लेखन कार्य करिये, गाइए, चित्र बनाइये, यात्राएं कीजिये, रचनात्मक बनिएl अपने महत्व को
समझें अपने आत्मविश्वास से अपने सपनों को साकार कीजियेl
प्रोफेसर भवानी शंकर शर्मा
15 लखनपुरी, दुर्गापुरा कृषि फार्म के पास,
जयपुर 302018 मोबाइल नं. 98871 17561
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