कला के मौन साधक एवं राजस्थान में भित्ति चित्रण पद्धति आरायश के उन्नायक प्रोफेसर देवकीनंदन शर्मा (भाग-07)
तकनीक :-
जयपुर पद्धति से भित्ति चित्रण करने के लिए निम्नलिखित बातें आधारभूत हैं जिनका ज्ञान और अभ्यास नितांत ही आवश्यक है। इनके ज्ञान के अभाव का हो तो अभ्यास भी असफल रहता है।
1. भित्ति की सतह जिस पर हमें चित्र बनाना है, यह पहचान कि वह कितनी टिकाऊ है। दीवार पर दरार ना हो, पोली न हो यदि हो तो पहले उसे ठीक करना आवश्यक है।
2. मसाले व प्लास्टर की पहचान तथा उसे ठीक अनुपात में तैयार करना।
3. कार्य करने का ताव, यानी दीवार को कितना भिगोना है, मसाले की कितनी मोटी कोटिंग देना और कितने अंतर के पश्चात देना आदि।
3. कार्य करने का ताव, यानी दीवार को कितना भिगोना है, मसाले की कितनी मोटी कोटिंग देना और कितने अंतर के पश्चात देना आदि।
4. पत्थर, मिट्टी व खनिज रंगों का प्रयोग व उनकी जानकारी आवश्यक है।
5. सब्र के साथ एकाग्र चित्त होकर कार्य करना, जो मन की स्थिति पर निर्भर करता है। इसके बिना यह कार्य संभव नहीं।
6. मौसम के अनुसार दीवारों की नमी व सूखने की प्रक्रिया को समझ कर कार्य का अभ्यास।
7. बड़ा कार्य हो तो किसी की मदद से कार्य करना पूर्ण कार्य को सफलतापूर्वक करने में सहायक होता है।
8. कलाकार को स्वयं पूर्ण पद्धति का ज्ञान व झींकी चूने के मसाले बनाने का अच्छा अभ्यास होना चाहिए तभी वह आरायश कार्य में सफल हो सकता है।
राजस्थान आरायश व आलागीला के नाम से जानी जाने वाली फ्रेस्को पद्धति का कार्य कठोर लगन व परिश्रम का है। पूर्ण कार्य गीली दीवार पर ही होता है। गीली दीवार पर कार्य करने के कारण ही इस से इटली में फ्रेस्को (फ्रेश से बना शब्द) व जयपुर में आलागीला के नाम से जाना जाता है। यह पद्धति चुने व झींकी (मार्बल पाउडर) के मसाले के आधार से विकसित हुई। जयपुर के आस-पास राहोली का चुना इस कार्य के लिए अच्छा माना जाता है चुने को काफी समय पूर्व भिगोकर उसके पानी को प्रतिदिन बदला जाता है और कली की पपड़ी उतारते रहते रहे और छाछ देते रहे। उसमें गुड व छाछ शुद्ध करने हेतु डालते हैं जिससे वह सफेद मक्खन की भांति कोमलता लिए हो जाता है। पूराना होने से इसकी तेजी समाप्त हो जाती है, कार्य में लेने के उपरांत दरार नहीं आती और आरायश कार्य में विशेष लुनाई आ जाती है। इमारत बनाते समय ही इस कार्य के लिए दीवार बना प्लास्टर किए खुरदरी छोड़ दे जाती है। इसके लिए ईंट व पत्थर की खुरदरी दीवार (प्लास्टर करने से पूर्व) उपयुक्त होती है। सीमेंट की खुरदरी दीवार पर कार्य किया जा सकता है। इमारत बनाते समय ही कार्य के लिए दीवार बिना प्लास्टर किये खुरदरी छोड़ दी जाती है, उस पर मोटा प्लास्टर किया जाता है जिससे सरेसी कहते हैं, इससे दीवार समतल हो जाती है, प्लास्टर की हुई दीवार पर कार्य करना है तो दो सूत प्लास्टर टाँच कर निकाल दिया जाता है, जिससे प्लास्टर उसे सही से पकड़ सके। कार्य आरंभ करने से पूर्व दीवार को पानी से खूब तर कर कार्य आरम्भ किया जाता है जिससे पूरे दिन कार्य करते समय वह गीली रह सके। फिर दीवार पर झींकी व चुने से मिश्रित मसाला (एक-तीन के अनुपात में) लगा देते हैं। लगाने से पूर्व मसाले को अच्छी तरह से पीस लिया जाता है ताकि वह एक रूप हो जावे। दीवार की परख के लिए प्रथम अस्तर झींकी चुने का मसाला लगाकर एक वर्ष छोड़ना ठीक रहता है। गर्मी, वर्षा, सर्दी निकल जाने के प्राथमिक प्लास्टर ठीक से दीवार के साथ एक रूप हुआ कि नहीं ज्ञात हो जाता है। फिर से काम आरंभ करने के लिए दीवार को अच्छी तरह भिगोकर (पूरे दिन रह सके) झींकी चुने का पतला मसाला लगाकर उस पर शुद्ध साफ किए चुने का पतला मसाला लगाया जाता है। झींकी की जगह पक्की खोर (पकाई हुई मिट्टी) व बजरी भी काम में ली जाती है। किंतु झींकी का मसाला ही सबसे अच्छा माना जाता है। पहले प्लास्टर में पानी के साथ झींकी चुने के मसाले का अनुपात तीन-एक का होता है। इसके बाद झावे (सेंडस्टोन पत्थर) से व लकड़ी के बटकड़े से सपाट कर घुटाई करते हैं। अंतिम सतह चुने की होती है, उसे गुरुमाला से समतल करके घोटी फेर देते हैं। यदि प्लेन आरायश ही रखनी हो तो घोटी (अकीक) से सतह को पॉलिश कर छोड़ देते हैं। दीवार चित्रित करनी हो तो ट्रेस कर या सीधे रेखांकन करते हुए रंग भरकर घुटाई की जाती है। रेखांकन व रंग भरकर नहले से पिटाई की जाती है। फिर अकीक पत्थर से घुटाई होती है। फिर काजल की स्याही से रेखाओं द्वारा आकार की खुलाई की जाती है। इस तकनीक में काफी स्थायीत्व होता है और सतह संगमरमर की माफिक हो जाती है तथा दर्पण की तरह चमकने लगती है। अच्छी आरायश संगमरमर का भ्रम उत्पन्न करती है।
लेखक : प्रोफ़ेसर भवानी शंकर शर्मा
जयपुर
Thanks for write about technic of Rajasthan wall painting .you have write is very much detail a artist can do practical by this text guide line of yours .thanks to sir Bhawani Shankar sharma..I have completed 1000 ' square wall at home in pattern design ( wall painting by Asian colors .but I prepared to wall from my hand .by jhiki ..image are on my Facebook wall page ..
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